पश्चिम बंगाल माण पत्र क्या था? इसकी सिफारिशें क्या थी

1977 में पश्चिम बगाल सरकार (जिसका नेतृत्व साम्यवादियों के हाथीं में था) ने केंद्र राज्य संबंध पर एक स्मरण पत्र या मेमोरेंडम प्रकाशित किया (जिसे पश्चिम बंगाल माण पत्र के नाम से जाना जाता है।) तथा उसे कद्रयाकार को प्रेषित किया।

पश्चिम बंगाल माण पत्र

इस स्मरणपत्र में अन्य बातों के साथ साथ निम्न मद्याव दिए गए:

  • सविधान में उल्लिखित शब्द ‘संघ’ की जगह ‘संघीय शब्द रखा जाए।
  • केंद्र सरकार का कार्यक्षेत्र पक्षा, विदशी मामले, संचार एवंआर्थिक समन्वय तक ही सीमित रहना चाहिय।
  • अन्य सभी मामलों पर राज्या का शक्ति दी जाय।
  • अनुच्छेद 356, 357 एव 360 (राष्ट्रपति शासन स सर्वाधन) का पूर्णतया समाप्त कर दिया जाय।
  • नये राज्या क निर्माण एवं वर्तमान राज्य के पुर्नगठन में राज्य की सहमति अनिवार्य बनायी जाय।
  • केंद्र द्वारा प्राप्त्समस्त राजस्व का 75 प्रतिशत हिस्या राज्य का दिया जाये।
  • राज्यसभा का लोकसभा क वरावर शक्तियां प्रदान की जाय।
  • केवल कंद्र एवं राज्य सेवाओं होनी चाहिय तथा अखिल भारतीय सेवाओं को पूर्णतया समाप्त कर दिया जाना चाहिय।
  • केन्द्र सरकार ने इस ज्ञापन में की गयी मांगों को स्वीकार नहीं किया।

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