राजमन्नार समिति क्या थी? इसकी सिफारिशें क्या-क्या थी?

1969 में तमिलनाडु सरकार (डीएमके) ने डॉ. वी.पी. राजमन्नार की अध्यक्षता में केन्द्र राज्य संबंधों की समीक्षा करने एवं राज्यों को स्वायत्तता दिलाने के लिये संविधान में संशोधन के सुझाव देने हेतु तीन सदस्यीय समिति यानि राजमन्नार समिति का गठन किया गया। इस समिति ने 1971 में तमिलनाडु सरकार को अपना प्रतिवेदन सौंपा।

राजमन्नार समिति

इस समिति ने केंद्र की एकात्मकता की प्रवृत्ति (केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति) की समीक्षा की। इसमें शामिल थे:

  • संविधान के वे विशेष प्रावधान, जो केंद्र को विशेष शक्तियां प्रदान करते हैं।
  • केंद्र एवं राज्यों, दोनों में एकल पार्टी की सरकार।
  • राज्यों को संसाधनों की होने वाली कमी एवं इसके कारण केंद्र की सहायता पर उनकी निर्भरता।
  • केंद्रीय नियोजन की संस्था एवं योजना आयोग की भूमिका।

इस समिति की महत्वपूर्ण सिफारिशें इस प्रकार थीं:

  • एक अंतर-राज्यीय परिषद का गठन किया जाये।
  • योजना आयोग का स्थान एक सांविधि निकाय द्वारा लिया जाए।
  • वित्त आयोग को एक स्थायी निकाय बना दिया जाये।
  • अनुच्छेद 356, 357 एवं 365 (राष्ट्रपति शासन से संबंधित) को पूर्णतया समाप्त कर दिया जाये।
  • राज्यपाल के प्रसादपर्यत राज्य मंत्रिपरिषद के पद धारित करने का जो प्रावधान है, उसे समाप्त कर दिया जाये।
  • संघ सूची एवं समवर्ती सूची के कुछ विषयों को राज्य सूची में हस्तांतरित कर दिया जाये।
  • राज्यों को अवशिष्ट शक्तियां प्रदान की जायें।
  • अखिल भारतीय सेवाओं (आईएएस, आईपीएस एवं आईएफएस) को समाप्त कर दिया जाये।

केंद्र सरकार ने राजामन्नार समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

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