प्रथम विश्वयुद्ध क्यों हुआ? प्रथम विश्वयुद्ध होने के कारण

प्रथम विश्वयुद्ध होने के कारण क्या कारण हैं? (What are the reasons for the first world war?)

प्रथम विश्वयुद्ध (First World War) साम्राज्यवादी राष्ट्रों की पारस्परिक प्रतिस्पर्द्धा का परिणाम था। प्रथम विश्वयुद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण कारण गुप्त संधि प्रणाली थी। यूरोप में गुप्त संधि की प्रथा जर्मन चांसलर बिस्मार्क ने शुरू की थी। जो यूरोप को दो विरोधी गुटों में विभाजित कर दिया। जिनमे एक-दूसरे के प्रति संदेह और घृणा का भाव बढ़ता गया। इस कारण से राजनीतिक वातावरण दूषित हो गया।

1879 ई. में जर्मनी ने ऑस्ट्रिया-हंगरी (Austria-Hungary) के साथ गुप्त संधि की। 1882 ई. में इटली शामिल हो गया। जिससे त्रिगुट का निर्माण हुआ। 1887 ई. में जर्मनी और रूस दोनों मिल गए। विश्व राजनैतिक अखाड़े में फ्रांस अकेला पड़ गया। फ्रांस विरोध में जर्मनी ने संधि की थी। 1894 ई. में फ्रांस ने भी रूस से संधि की। फिर इंग्लैंड ने 1902 ई. में जापान के साथ, 1904 ई. में फ्रांस और 1907 ई. में रूस के साथ संधि कर ली। इंग्लैंड, फ्रांस, रूस और जापान एक था और जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, इटली और तुर्की एक था।

1912-13 ई. में बाल्कन युद्धों (War in the Balkans) ने प्रथम विश्वयुद्ध को शुरुआत का पैगाम दिया। यूरोप के अनेक राष्ट्र बाल्कन क्षेत्र में अपने साम्राज्य के विस्तार करने कोशिश की कर रहे थे। ऑस्ट्रिया और रूस अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहते थे।

प्रथम विश्व युद्ध होने के कारण (Reason of First World War)-

  1. उग्र राष्ट्रीयता (FURIOUS NATIONALITY) – उग्र राष्ट्रीयता से भी प्रथम विश्वयुद्ध (First World War) की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। बड़े एवं शक्तिशाली राष्ट्रों के साथ यूनान और सर्बिया में भी उग्र राष्ट्रीयता बढ़ने लगा था। चेक, स्लाव जातियाँ अपनी राष्ट्रीय आकांक्षा को पूरा करने के लिए यूरोप में अशांति उत्पन्न कर रही थीं। जब यूरोप के साम्राज्यवादी राष्ट्र अपनी सभ्यता-संस्कृति और धर्म का पाठ के लिए में आगे बढ़े तो उनमें संघर्ष अनिवार्य हो गया।
  2. आर्थिक प्रतिद्वंदिता (ECONOMIC RIVALRY) – औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के फलस्वरूप यूरोप के राष्ट्रों के आर्थिक जीवन में महान् परिवर्तन हुआ। पूंजीवाद की उत्पत्ति हुई, पूँजीवादी अतिरिक्त पूँजी लगाने के लिए उपनिवेश की माँग करने लगे। बढ़ती हुई जनसंख्या को बसाने के लिए भी उपनिवेश की आवश्यकता थी। इस समस्या का समाधान साम्राज्य-विस्तार से ही संभव था।
  3. साम्राज्यवादी होड़ (IMPERIALIST COMPETITION) – साम्राज्यवादी प्रथम विश्वयुद्ध का एक आधारभूत कारण था। औद्योगिक क्रान्ति से यूरोपीय देशों के सामने व्यावसायिक माल की खपत और कल-कारखानों को चलाने के लिए कच्चे माल की प्राप्ति की समस्या उत्पन्न हुई। इंग्लैंड, फ्रांस, हॉलैंड, बेल्जियम, पुर्तगाल, डेनमार्क, इटली अपना साम्राज्य बढ़ाने का प्रयत्न करने लगे।
  4. सैन्यवाद और शस्त्रीकरण (MILITARISM AND ARMAMENT) – उग्र राष्ट्रीयता और साम्राज्यवादी से यूरोप के राष्ट्रों में सैन्यवाद और शस्त्रीकरण की ओर बढ़ा। फ्रांस, जर्मनी आदि साम्राज्यवादी राष्ट्र अपनी आमदनी का 85% सैनिक तैयारी पर खर्च करने लगे। भय तथा संदेह ने प्रत्येक राष्ट्र को युद्ध-सामग्री जमा करने के लिए उत्प्रेरित किया।
  5. समाचारपत्रों का झूठा प्रचार (NEWSPAPERS’ FALSE PROPAGANDA) – प्रथम विश्वयुद्ध (First World War) के पहले सभी देशों के समाचारपत्र एक-दूसरे के खिलाफ हो गए थे। इससे एक-दूसरे की राष्ट्रीय भावना को ठेस लग रही थी। कभी-कभी दो राष्ट्रों के बीच विवादास्पद प्रश्न पर समाचारपत्र में आलोचना की जाती थी।
  6. फ्रांस में बदले की भावना (FRANCE’S REVENGE SPIRIT) – जर्मनी का एकीकरण फ्रांस को पराजित कर पूरा किया गया था। फ्रांस को अल्सस-लारेन का प्रदेश खोना पड़ा था। फ्रांस राष्ट्रीय अपमान को भूला नहीं था और वह जर्मनी से बदला लेना चाहता था। जर्मनी मोरक्को में फ्रांस का विरोध कर रहा था। इससे दोनों में मनमुटाव पैदा हुआ।
  7. अंतर्राष्ट्रीय अराजकता (INTERNATIONAL ANARCHY) – इस समय यूरोप में एक प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय अराजकता फ़ैल चुकी थी। प्रत्येक राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहा था। खुद की रक्षा के लिए कोई भी देश अपने विरोधी के साथ संधि कर सकता था। स्वार्थी राष्ट्र की इस नीति ने विरोधाभास को जन्म दिया। इस परिस्थिति को रोकने के लिए कोई अंतर्राष्ट्रीय संस्था नहीं थी जिसके अभाव के कारण सभी राष्ट्र मनमानी कर रहे थे।
  8. सराजेवो हत्याकांड (SARAJEVO ASSASSINATION) – युद्ध का तात्कालिक कारण ऑस्ट्रिया (Austria) के राजकुमार आर्कड्यूक फ्रान्ज़ (Archduke Franz) की हत्या थी। राजकुमार की हत्या बोस्निया (Bosnia) की राजधानी सराजेवो (Sarajevo) में हुई थी। ऑस्ट्रिया की सरकार ने राजकुमार की हत्या के लिए सर्बिया को उत्तरदाई ठहराया और उसके समक्ष 12 कड़ी शर्तें रखीं। सर्बिया की सरकार ने सभी शर्तों को मानने में अपनी असमर्थता प्रकट की।

निष्कर्ष

सर्बिया की सरकार समस्या का समाधान महाशक्तियों के सम्मलेन द्वारा करना चाहती थी। किन्तु ऑस्ट्रिया के राजनीतिज्ञों और सैनिक पदाधिकारियों ने सर्बिया की प्रार्थना पर ध्यान नहीं दिया। ऑस्ट्रिया की सरकार ने 28 जुलाई, 1914 ई. को युद्ध की घोषणा कर अपनी सेना को सर्बिया पर आक्रमण करने का आदेश दिया। इस घटना से ही प्रथम विश्वयुद्ध (First World War) की शुरुआत हुई। युद्ध की समाप्ति 11 नवम्बर, 1918 को हुई।

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