भारत का प्रधानमंत्री की नियुक्ति, वेतन, कार्यकाल, कार्य व शक्तियां

भारत का संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति केवल नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख होता है (de jure executive) तथा वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में (de facto executive) निहित होती हैं। दूसरे शब्दों में, राष्ट्रपति राज्य का प्रमुख होता है, जबकि भारत का प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।

प्रधानमंत्री की नियुक्ति

संविधान में प्रधानमंत्री के निर्वाचन और नियुक्ति के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं दी गई है। अनुच्छेद 75 केवल इतना कहता है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की नियुक्ति करेगा।

  • राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है
  • राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अपनी वैयक्तिक विवेक स्वतंत्रता का प्रयोग कर सकता है।
    • लोकसभा में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत में न हो तो
    • प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो जाए और उसका कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी न हो।

1. लोकसभा में कोई भी दल स्पष्ट बहुमत में न हो तो

इस स्थिति में राष्ट्रपति सामान्यत: सबसे बड़े दल अथवा गठबंधन के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है और उससे 1 माह के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कहता है।

राष्ट्रपति द्वारा इस विवेक स्वतंत्रता का प्रयोग प्रथम बार 1979 में किया गया, जब तत्कालीन राष्ट्रपति नीलम संजीवन रेड्डी ने मोरारजी देसाई वाली जनता पार्टी के सरकार के पतन के बाद चरण सिंह (गठबंधन के नेता) को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

2. प्रधानमंत्री की अचानक मृत्यु हो जाए और उसका कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी न हो।

राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के चुनाव व नियुक्ति के लिए अपना व्यक्तिगत निर्णय ले सकता है।

जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त करने की प्रथा को अनदेखा किया। बाद में कांग्रेस संसदीय दल ने सर्वसम्मति से उन्हें अपना नेता चुना। हालाकि किसी वर्तमान प्रधानमंत्री की मृत्यु पर यदि सत्ताधारी दल एक नया नेता चुनता है तो राष्ट्रपति के पास उसे प्रधानमंत्री नियुक्त करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होता है।

सन 1980 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान में यह आवश्यक नहीं है कि एक व्यक्ति प्रधानमंत्री नियुक्त होने से पूर्व लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध करे। राष्ट्रपति को पहले प्रधानमंत्री  की नियुक्ति करनी चाहिए और तब एक यथोचित समय सीमा के भीतर उसे लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने के लिए कहना चाहिए।

  • चरण सिंह (1979),
  • वी.पी. सिंह (1989),
  • चंद्रशेखर (1990),
  • पी.वी. नरसिम्हा राव (1991),
  • अटल बिहारी वाजपेयी (1996),
  • एच.डी. देवेगौड़ा (1996),
  • आई.के. गुजराल (1997) और
  • पुनः अटल बिहारी वाजपेयी (1998)

इसी प्रकार प्रधानमंत्री नियुक्त हुए।

1997 में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि एक व्यक्ति को जो किसी भी सदन का सदस्य न हो, 6 माह के लिए प्रधानमंत्री नियुक्त किया जा सकता है।

  • इस समयावधि में उसे संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनना पड़ेगा; अन्यथा वह प्रधानमंत्री के पद पर नहीं बना रहेगा।
  • संविधान के अनुसार, प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है।

दूसरी और ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को निम्र सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) का सदस्य होना ही चाहिए।

शपथ, पदावधि एवं वेतन

प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने करने से पूर्व राष्ट्रपति उसे पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलवाता है। पद एवं गोपनीयता की शपथ लेते हुये प्रधानमंत्री कहता है कि:

  • मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूगा।
  • मैं भारत की प्रभुता एवं अखंडता अक्षुण्ण रखूगा।
  • में श्रद्धापूर्वक एवं शुद्ध अंतरण से अपने पद के दायित्वों का निर्वहन्‌ करूंगा।
  • मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।

प्रधानमंत्री गोपनीयता की शपथ के रूप में कहता है में ईश्वर की शपथ लेता हूं कि जो विषय मेरे विचार के लिए लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को तब तक के सिवाए जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन्‌ के लिए ऐसा अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा।

भारत का प्रधानमंत्री का कार्यकाल

प्रधानमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं है तथा वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यत अपने पद पर बना रहता है। हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि राष्ट्रपति किसी भी समय प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकता है।

  • प्रधानमंत्री को जब तक लोकसभा में बहुमत हासिल है, राष्ट्रपति उसे बर्खास्त नहीं कर सकता है।
  • लोकसभा में अपना विश्वास मत खो देने पर उसे अपने पद से त्यागपत्र देना होगा अथवा त्याग-पत्र न देने पर राष्ट्रपति उसे बर्खास्त कर सकता है।

भारत का प्रधानमंत्री के वेतन व भत्ते

  • प्रधानमंत्री के वेतन व भत्ते संसद द्वारा समय-समय पर निर्धारित किए जाते हैं।
  • वह संसद सदस्य को प्राप्त होने वाले वेतन एवं भत्ते प्राप्त करता है।
  • इसके अतिरिक्त वह व्यय विषयक भत्ते, नि:शुल्क आवास, यात्रा भत्ते, स्वास्थ्य सुविधाएं आदि प्राप्त करता है।
  • सन 2001 में संसद ने उसके व्यय विषयक भत्तों को 1500 से बढ़ाकर रु. 3000 प्रतिमाह कर दिया है।

प्रधानमंत्री के कार्य व शक्तियां

भारत का प्रधानमंत्री के कार्य व शक्तियां निम्नलिखित हैं

1. मंत्रिपरिषद के संबंध में

केंद्रीय मंत्रिपरिषद के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री की शक्तियां निम्न हैं:

  • वह मंत्री नियुक्त करने हेतु अपने दल के व्यक्तियों की राष्ट्रपति को सिफारिश करता है।
  • राष्ट्रपति उन्हीं व्यक्तियों को मंत्री नियुक्त कर सकता है जिनकी सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
  • वह मंत्रियों को विभिन्न मंत्रालय आवंटित करता है और उनमें फेरबदल करता है।
  • वह किसी मंत्री को त्याग-पत्र देने अथवा राष्ट्रपति को उसे बर्खास्त करने की सलाह दे सकता है।
  • वह मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करता है तथा उसके निर्णयों को प्रभावित करता है।
  • वह सभी मंत्रियों की गतिविधियों का नियंत्रित, निर्देश करता है और उनमें समन्वय रखता है।
  • वह पद से त्याग-पत्र देकर मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर सकता है

चूँकि प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख हाता है अत: जब प्रधानमंत्री त्याग-पत्र देता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है मंत्रिपरिषद संवय ही विघटन हो जाती है। दूसरी ओर किसी अन्य मंत्री की मृत्यु या त्याग-पत्र पर केवल रिक्तता उत्पन होती है, जिसे भरने के लिए प्रधानमंत्री स्वतंत्र होता है।

2. राष्ट्रपति के संबध में

राष्ट्रपति के संबंध में प्रधानमत्री निम्न शनिया का प्रयोग करता है

1. वह राष्ट्रपति एक मंत्रिपरिषद के बीच संवाद का मुख कर्ट है। उसका दायित्व है कि वह :

  • संघ के कार्यकलाप के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबधी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्चय राष्ट्रपति का संसूचित कर
  • संघ के कार्यकलाप के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी जा जानकारी राष्ट्रपति मांगे वह दे, और
  • किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री – विनिमय कर दिया है कि मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया है राष्ट्रपति द्वारा अपेक्षा, किए जाने पर परिषद के समक्ष विचार के लिए रखें

2. वह राष्ट्रपति का विभिन्न अधिकारियोँ की नियुक्ति के संबंध में परामर्श देता है।

  • भारत के महान्यायवादी
  • भारत का महानियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
  • संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष एव उसके सदस्य
  • चुनाव आयुक्त
  • वित आयोग का अध्यक्ष एव उसके सदस्य एव अन्य

3. संसद के संबंध में

प्रधानमंत्री निचले सदन का नेता होता है। इस संबंध में वह निम्नलिखित शक्तियों का प्रयाग करता है:

  • वह राष्ट्रपति का संसद का सत्र आहत करने एवं सत्रावसान करने संबंधी परामर्श दता है।
  • वह किसी भी समय लोकसभा विघटित करन की सिफारिश राष्ट्रपति से कर सकता है।
  • वह सभा पटल पर सरकार की नीतिया की घोषणा करता है।

अन्य शक्तिया व कार्य

उपरोक्त तीन मुख्य भूमिकाओं के अतिरिक्त प्रधानमंत्री की अन्य विभिन्न भूमिकाएं भी हैं:

  • वह नीति आयोग, राष्ट्रीय एकता परिषद, अंतर्राज्यीय परिषद, राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद्‌ और कुछ अन्य संस्थाओं का अध्यक्ष होता हैं
  • वह राष्ट्र की विदेश नीति को मूर्त रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • वह केंद्र सरकार का मुख्य प्रवक्ता है।
  • वह आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर आपदा प्रबंधन का प्रमुख है।
  • वह सत्ताधारी दल का नेता होता है।
  • वह सेनाओं का राजनैतिक प्रमुख होता है, इत्यादि।

इस प्रकार प्रधानमंत्री देश की राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था में अति महत्वपूर्ण एवं अहम्‌ भूमिका निभाता है।

डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने कहा, “हमारे संविधान के अंतर्गत किसी कार्यकारी की यदि अमेरिका के राष्ट्रपति से तुलना की जाए तो वह प्रधानमंत्री है, न कि राष्ट्रपति।”

भूमिका का वर्णन

कई प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्रियों एवं संविधान विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री की भूमिका की, विशेष रूप से ब्रिटिश प्रधानमंत्री की भूमिका के संदर्भ में उसकी व्याख्या की है। इनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं:

लार्ड मॉ्ले: उन्होंने प्रधानमंत्री का वर्णन ‘समान के बीच प्रथम’ तथा ‘कैबिनेट रूपी चाप के मुख्य प्रस्तर’ के रूप में किया है। वे कहते हैं “कैबिनेट का प्रमुख समान लोगों के बीच श्रेष्ठ होता है तथा वह उस पद को धारित करता है, जो काफी दायित्वपूर्ण होता है, वह देश का सबसे प्रमुख प्राधिकारी होता है’।

हबर्ट मैरिसनः ‘सरकार के मुखिया के रूप में वह सबसे प्रमुख है लेकिन आज उसके दायित्वों में काफी परिवर्तन आया है।

सर विलियम वर्नर हरकोर्ट: उन्होंने प्रधानमंत्री को ‘तारों के बीच चंद्रमा’ की संज्ञा दी है।

जेनिंग्सः “वह सूर्य के समान है, जिसके चारों ओर गृह परिभ्रमण करते हैं।” वह संविधान का सबसे मुख्य आधार है। संविधान के सभी मार्ग प्रधानमंत्री की ओर ही जाते हैं।

एच. जे. लास्की: प्रधानमंत्री एवं कैबिनेट के संबंधों पर वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री इसके निर्माण का केंद्र बिदु, इसके जीवन का केंद्र बिंद एवं इसकी मृत्यु का केंद्र बिंदु है।’ उन्होंने प्रधानमंत्री को ऐसी धरी बताया जिसके ईद-गिर्द संपूर्ण सरकारी मशीनरी घूमती है।

ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था में प्रधानमंत्री की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण और अहम होती है कि देखने वाले इसे ‘प्रधानमंत्री सरकार’ कहते हैं। इस प्रकार आर.एच. क्रॉसमैन कहते हैं, “युद्ध के पश्चात्‌ कैबिनेट सरकार प्रधानमंत्री सरकार में पूर्णतः परिवर्तित हो गई है।” इसी प्रकार बर्कले कहते हैं, “संसद प्रायोगिक रूप से संप्रभु नहीं है। संसदीय लोकतंत्र अब ढह चुका है। ब्रिटिश व्यवस्था का प्रमुख दोष प्रधानमंत्री की सुपर मिनिस्ट्रीयल शक्ति है।” यही व्याख्या भारत के संदर्भ में भी सही है।

राष्ट्रपति के साथ संबंध

संविधान में राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री के संबंध में निम्नलिखित उपबंध हैं:

अनुच्छेद 74

  • राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा।
  • राष्ट्रपति इसकी सलाह के अनुसार कार्य करेगा हालांकि राष्ट्रपति मंत्रिमंडल से उसकी सलाह पर पुनर्विचार करने के लिए कह सकता है।
  • राष्ट्रपति इस पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह के अनुसार कार्य करेगा।

Article (अनुच्छेद) 75

  • प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा,
  • मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यत अपने पद पर बने रहेंगे, और
  • मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।

अनुच्छेद 78

प्रधानमंत्री के कर्तव्य हैं:

  • संघ के कार्यकलाप के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्रिपरिषद के सभी विनिश्चय राष्ट्रपति को संसूचित करे
  • संघ के कार्यकलाप के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी, जो जानकारी राष्ट्रपति मांगे वह दे, और;
  • किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है किन्तु मंत्रिपरिषद्‌ ने विचार नहीं किया है, राष्ट्रपति द्वारा अपेक्षा, किए जाने पर परिषद्‌ के समक्ष विचार के लिए रखे।

वे मुख्यमंत्री, जो प्रधानमंत्री बने

1. मोरारजी देसाई

तत्कालीन बम्बई राज्य के 1952-56 की अवधि तक मुख्यमंत्री थे, जो मार्च 1977 में देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने।

2. चरण सिंह

अविभाजित उत्तर प्रदेश के 1967-68 तथा पुन: 1970 में मुख्यमंत्री थे, जो मोरारजी देसाई के बाद प्रधानमंत्री बने।

3. वी. पी. सिंह

वी.पो. सिंह भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे जो राष्ट्रीय मोर्चा सरकार में प्रधानमंत्री बने (दिसंबर 1989 से नवंबर 1990 तक)।

4. पी.वी. नरसिम्हा राव,

दक्षिण भारत से प्रधानमंत्री बनने वाले पहले नेता थे। ये 1971-1973 तक आध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, बाद में वे 1991-96 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।

5. एच.डी.देवगौडा

कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे, जिन्हें जून 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार का मुखिया चुना गया था।

6. नरेन्द्र मोदी

(भाजपा) मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक गुजरात के मुख्यमंत्री थे। वे 2001 से 2014 तक चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।

भारत का प्रधानमंत्री से संबंधित अनुच्छेद: एक नजर में

अनुच्छेदविषयवस्तु
74मंत्रिपरिषद का राष्ट्रपति को सहयोग एवं परामर्श देना
75मंत्रियों से संबंधित अन्य प्रावधान
77भारत सरकार द्वारा कार्यवाहियों का संचालन
78प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति को सूचनाएं प्रदान करने संबंधी कर्तव्य
88सदनों के आदर्णीय मंत्रियों के अधिकार

 

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