राष्ट्रपति के पद की रिक्तता तथा महाभियोग

इस लेख में राष्ट्रपति के पद की रिक्तता तथा महाभियोग से सम्बंधित चर्चा की गयी है।

राष्ट्रपति पर महाभियोग

राष्ट्रपति पर ‘संविधान का उल्लंघन’ करने पर महाभियोग चलाकर उसे पद से हटाया जा सकता है। हालांकि संविधान ने ‘संविधान का उल्लंघन’ वाक्य को परिभाषित नहीं किया है।

  • महाभियोग के आरोप संसद के किसी भी सदन में प्रारंभ किए जा सकते हैं।
  • इन आरोपों पर सदन के एक-चौथाई सदस्यों (जिस सदन ने आरोप लगाए गए हैं) के हस्ताक्षर होने चाहिये और राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस देना चाहिए।
  • महाभियोग का प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के पश्चात्‌ यह दूसरे सदन में भेजा जाता है, जिसे इन आरोपों की जांच करनी चाहिए।
  • राष्ट्रपति को इसमें उप-स्थित होने तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का अधिकार होगा।
  • यदि दूसरा सदन इन आरोपों को सही पाता है और महाभियोग प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित करता है
  • तो राष्ट्रपति को प्रस्ताव पारित होने की तिथि से उसके पद से हटाना होगा।

इस प्रकार महाभियोग संसद की एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है। इस संदर्भ में दो बातें ध्यान देने योग्य हैं

  • संसद के दोनों सदनों के नामांकित सदस्य जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लिया था, इस महाभियोग में भाग ले सकते हैं।
  • राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य तथा दिल्ली व पुडुचेरी केंद्रशासित राज्य विधानसभाओं के सदस्य इस महाभियोग प्रस्ताव में भाग नहीं लेते हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया था।

अभी तक किसी भी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं चलाया गया है।

राष्ट्रपति के पद की रिक्तता

राष्ट्रपति का पद निम्न प्रकार से रिक्त हो सकता है:

  • पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने पर,
  • उसके त्याग-पत्र देने पर,
  • महाभियोग प्रक्रिया द्वारा उसे पद से हटाने पर
  • उसकी मृत्यु पर’,
  • अन्यथा, जैसे यदि वह पद ग्रहण करने के लिए अर्हक न हो अथवा निर्वाचन अवैध घोषित हो।

1. यदि पद रिक्त होने का कारण उसके कार्यकाल का समाप्त होना हो तो

  • उस पद को भरने हेतु उसके कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व नया चुनाव कराना चाहिए।
  • यदि नए राष्ट्रपति के चुनाव में किसी कारण कोई देरी हो तो, वर्तमान राष्ट्रपति अपने पद पर बना रहेगा (पांच वर्ष उपरांत भी) जब तक कि उसका उत्तराधिकारी कार्यभार पर कर ले।

2. यदि उसका पद उसकी मृत्यु, त्याग पत्र, निष्कासन अथवा अन्यथा किसी कारण से रिक्त होता है, तो

  • नए राष्ट्रपति का चुनाव पद रिक्त होने की तिथि से छह महीने के भीतर कराना चाहिए।
  • नए निर्वाचित राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से पांच वर्ष तक अपने पद पर बना रहेगा।
  • उप राष्ट्रपति, नए राष्ट्रपति के निर्वाचित होने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।

3. यदि वर्तमान राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य कारणों से अपने पद पर कार्य करने में असमर्थ हो तो

  • उप-राष्ट्रपति उसक पुन: पद ग्रहण करने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।

4. यदि उप-राष्ट्रपति का पद रिक्त हो, तो

  • भारत का मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा तथा उसक कर्तव्यों का निर्वाह करेगा।

5. यदि मुख्य न्यायाधीश भी का पद रिक्त हो, तो

  • उच्चतम न्यायालय का वरिष्टठतम न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा तथा उसक कर्तव्यों का निर्वाह करेगा।

जब कोई व्यक्ति, जैसे-उप-राष्ट्रपति, भारत का मुख्य न्यायाधीश अथवा उच्चतम न्यायालय का वरिष्ठतम न्यायाधीश, कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है अथवा उसके कर्तव्यों का निर्वहन करता है तो उसे राष्ट्रपति की समस्त शक्तियां व उन्मुक्तियां प्राप्त होती हैं तथा वह संसद द्वारा निर्धारित सभी उप-लब्धियां, भत्ते व विशेषाधिकार भी प्राप्त करता है।

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