क्या है राष्ट्रपति का निर्वाचन की पूरी प्रक्रिया

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा उसका निर्वाचन किया जाता है।

राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है?

इसमें निम्र लोग शामिल होते हैं:

  • संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य,
  • राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य, तथा
  • केंद्रशासित प्रदेशों दिल्‍ली व पुड्चेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।

राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं।

  • संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य,
  • राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य,
  • राज्य विधानपरिषदों (द्विसदनीय विधायिका के मामलों में) के सदस्य (निर्वाचित व मनोनीत) और
  • दिल्ली तथा पुडुचेरी विधानसभा के मनोनीत सदस्य

जब कोई सभा विघटित हो गई हो तो उसके सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान नहीं कर सकते। उस स्थिति में भी जबकि विघटित सभा का चुनाव राष्ट्रपति के निर्वाचन से पूर्व न हुआ हो।

सदस्य के मतों का मूल्य

संविधान में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो, साथ ही राज्यों तथा संघ के मध्य भी समानता हो।

इसे प्राप्त करने के लिए, राज्य विधानसभाओं तथा संसद के प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या निम्न प्रकार निर्धारित होती है:

1. प्रद्येक विधानसभा के निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या, उस राज्य की जनसंख्या को, उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों तथा 1000 के गुणनफल से प्राप्त संख्या द्वारा भाग देने पर प्राप्त होती है :

एक विधायक के मत का मूल्य = राज्य की कुल जनसंख्या/ राज्य विधानसभा के निर्वाचित कुल सदस्य X 1/1000

2. संसद के प्रत्येक सदन के निर्वाचित सदस्यों के मतों की संख्या, सभी राज्यों के विधायकों की मतों के मूल्य को संसद के कुल सदस्यों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है:

एक संसद सदस्य के मतों के मूल्य = सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य / संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल सदस्य संख्या

राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान द्वारा होता है।

3. किसी उम्मीदवार को, राष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचित होने के लिए, मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त करना आवश्यक है। मतों का यह निश्चित भाग, कुल वैध मतों की, निर्वाचित होने वाले कुल उम्मीदवारों (यहां केवल एक ही उम्मीदवार राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होता है) की संख्या में एक जोड़कर प्राप्त संख्या द्वारा, भाग देने पर भागफल में एक जोड़कर प्राप्त होता है:

निश्चित मतों का भाग = कुल वैध मत/1+1 = (2) + 1

चुनाव की प्रक्रिया

1. निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य को केवल एक मतपत्र दिया जाता है।

  • मतदाता को मतदान करते समय उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी वरीयता 1, 2, 3, 4 आदि अंकित करनी होती है।
  • इस प्रकार मतदाता उम्मीदवारों की उतनी वरीयता आदि दे सकता है, जितने उम्मीदवार होते हैं।

2. प्रथम चरण में प्रथम वरीयता के मतों की गणना होती है।

  • यदि उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त कर लेता है तो वह निर्वाचित घोषित हो जाता है; अन्यथा मतों के स्थानांतरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
  • प्रथम वरीयता के न्यूनतम मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार के मत को रद्द कर दिया जाता है तथा

3. इसके द्वितीय वरीयता के मत

  • इसके द्वितीय वरीयता के मत अन्य उम्मीदवारों के प्रथम वरीयता के मतों में स्थानान्तरित कर दिए जाते है
  • यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त नहीं कर लेता।

चुनाव से संबंधित सभी विवादों की जांच

  • राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित सभी विवादों की जांच व फैसले उच्चतम न्यायालय में होते हैं तथा उसका फैसला अंतिम होता है।
  • राष्ट्रपति के चुनाव को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि निर्वाचक मंडल अपर्ण है (निर्वाचक मंडल के किसा सदस्य का पद रिक्त होने पर)।

यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति की राष्ट्रपति के रूप में नियुक्ति को अवैध घोषित किया जाता है, तो उच्चतम न्यायालय की घोषणा से पूर्व उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं माने जाएंगे तथा प्रभावी बने रहेंगे

चुनाव व्यवस्था की आलोचना

संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने अप्रत्यक्ष चुनाव व्यवस्था की आलोचना की थी तथा राष्ट्रपति के चुनाव को अलोकतांत्रिक बताया तथा प्रत्यक्ष चुनाव का प्रस्ताव किया था।

हालांकि, संविधान निर्माताओं ने अप्रत्यक्ष चुनाव को निम्नलिखित कारणों से चुना:

  • राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष चुनाव, संविधान में परिकल्पित सरकार की संसदीय व्यवस्था के साथ सद्भाव रखता है।
  • राष्ट्रपति केवल नाममात्र का कार्यकारी होता है तथा मुख्य शक्तियां प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में निहित होती हैं।
  • विस्तृत निर्वाचन गुणों को देखते हुए राष्ट्रपति का प्रत्यक्ष चुनाव अत्यधिक खर्चीला तथा समय व ऊर्जा का अपव्यय होता।

यह देखते हुए कि वह एक प्रतीकात्मक प्रमुख है ऐसा करना संभव नहीं था,

1. राष्ट्रपति का चुनाव केवल संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा

संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने सझाव दिया था कि राष्ट्रपति का चुनाव केवल संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होना चाहिए।संविधान निर्माताओं ने इसे प्राथमिकता नहीं दी, क्योंकि संसद में एक दल का बहुमत होता है, जो निश्चित तौर पर उसी दल के उम्मीदवार को चुनेगा और ऐसा राष्ट्रपति भारत के सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। वर्तमान व्यवस्था में राष्ट्रपति संघ तथा सभी राज्यों का समान प्रतिनिधित्व करता है।

2. राष्ट्रपति के चुनाव में ‘आनुपातिक प्रतिनिधित्व’ शब्द का प्रयोग गलत

इसके अतिरिक्त संविधान सभा में यह कहा गया कि राष्ट्रपति के चुनाव में ‘आनुपातिक प्रतिनिधित्व’ शब्द का प्रयोग गलत है।आनुपातिक प्रतिनिधित्व का प्रयोग दो अथवा अधिक स्थान होता है। राष्ट्रपति के मामले में पद केवल एक ही है; बेहतर होता कि इसे प्राथमिक अथवा वैकल्पिक व्यवस्था कहा जाता। इसी ‘एकल संक्रमणीय मत’ के अर्थ की इस आधार पर आलोचना कि किसी भी मतदाता का मत एकल न होकर बहुसंख्यक होता है।

राष्ट्रपति का निर्वाचन के लिए अर्हताओं

राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए व्यक्ति की निम्न अर्हताओं को करना आवश्यक हैः

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
  • वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अहित है।
  • वह संघ सरकार में अथवा किसी राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकरण में अथवा किसी सार्वजनिक प्राधिकरण में लाभ के पद पर न हो।

एक वर्तमान राष्ट्रपति अथवा उप-राष्ट्रपति, किसी राज्य का राज्यपाल और संघ अथवा राज्य का मंत्री किसी लाभ के पद पर नहीं माना जाता।

इस प्रकार वह राष्ट्रपति पद के लिए अर्हक उम्मीदवार होता है।

इसके अतिरिक्त

  • राष्ट्रपति के चुनाव के लिए नामांकन के लिए उम्मीदवार के कम-से-कम 50 प्रस्तावक व 50 अनुमोदक होने चाहिये।
  • प्रत्येक उम्मीदवार भारतीय रिजर्व बैंक में 15000 रु. जमानत राशि के रूप में जमा करेगा।
  • यदि उम्मीदवार कुल डाले गए मतों का 1/6 भाग प्राप्त करने में असमर्थ रहता है तो यह राशि जब्त हो जाती है।

1997 से पूर्व प्रस्तावकों व अनुमोदकों की संख्या दस-दस थी तथा जमानत राशि 2,500 थी। 1997 में इसे बढ़ा दिया गया ताकि उन उम्मीदवारों को हतोत्साहित किया जा सके, जो गंभीरता से चुनाव नहीं लडते हैं।

राष्ट्रपति के पद के लिए शर्ते

संविधान द्वारा राष्ट्रपति के पद के लिए निम्नलिखित शर्ते निर्धारित की गई हैं:

  • वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि कोई ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होता है तो उसे पद ग्रहण करने से पूर्व उस सदन से त्याग-पत्र देना होगा।
  • वह कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा।
  • उसे बिना कोई किराया चुकाए आधिकारिक निवास (राष्ट्रपति भवन) आवंटित होगा।
  • उसे संसद द्वारा निर्धारित उप-लब्धियों, भत्ते व विशेषाधिकार प्राप्त होंगे।
  • उसकी उप-लब्धियां और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जाएंगे।

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