अंतर्राज्यीय संबंध क्या है? सम्बंधित अनुच्छेद

अंतर्राज्यीय संबंध

भारतीय संघीय व्यवस्था की सफलता मात्र केंद्र तथा राज्यों के सौहार्दपर्ण संबंधों तथा घनिष्ठ सहभागिता पर ही नहीं अपित राज्यों के अंतर्सबंधों (अंतर्राज्यीय संबंध) पर भी निर्भर करती है। अत: संविधान ने अंतर्राज्यीय सौहार्द के संबंध में निम्न प्रावधान किए हैं:

  • अंतर्राज्यीय जल विवादों का न्याय-निर्णयन,
  • अंतर्राज्यीय परिषद द्वारा समन्वयता,
  • सार्वजनिक कानूनों, दस्तावेजों तथा न्यायिक प्रक्रियाओं को पारस्परिक मान्यता,
  • अंतर्राज्यीय व्यापार, वाणिज्य तथा समागम की स्वतंत्रता।

इसके अतिरिक्त संसद द्वारा अंतर्रज्यीय सहभागिता तथा समन्वयता को बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया है।

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अंतर्राज्यीय संबंधी अनुच्छेद: एक नजर में

अनुच्छेदविषय-वस्तु
261लोक लेखा को पारस्परिक मान्यता, आदि
262अंतर-राज्यीय नदियों अथवा नदी घाटियों के जल से सम्बन्धित विवादा के न्याय निर्णय। (जल सम्बन्धी विवाद)
263राज्यों के बीच समन्वय  (अन्तर-राज्य परिषद से सम्बन्धित प्रावधान।)
अंतर-राज्य व्यापार एवं वाणिज्य
301व्यापार-वाणिज्य तथा व्यावहारिक लेन-देन
302व्यापार, वाणिज्य तथा व्यावहारिक लेन-देन पर प्रतिबंध की संसद की शक्तिया।
303व्यापार एवं वाणिज्य के संबंध में केन्द्र तथा राज्यों की विधायी शक्तियों पर प्रतिबंध।
304राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य एवं व्यावहारिक लेन- देन पर प्रतिबंध।
305पहले से लागू कानूनों तथा राज्य के एकाधिकारों से संबंधित कानूनों की सुरक्षा।
306पहली अनुसूची के भाग-बी में कतिपय राज्यों द्वारा व्यापार एवं वाणिज्य पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति (निरस्त)।
307अनुच्छेद 301 से 304 तक सन्निहित उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्राधिकार की नियुक्ति।

 

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