अंतर्राज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य से सम्बंधित नियम क्या है?

सविधान के भाग XIII के अनुच्छेद 301 से 307 में भारतीय क्षेत्र में व्यापार, वाणिज्य तथा समागम (अंतर्राज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य) का वर्णन है।

अंतर्राज्यीय व्यापार तथा वाणिज्य

अनुच्छेद 301 घोषणा करता है कि संपूर्ण भारतीय क्षेत्र में व्यापार, वाणिज्य तथा समागम स्वतंत्र होगा। इस प्रावधान का उद्देश्य राज्यों के मध्य सीमा अवरोधों को हटाना तथा देश में व्यापार, वाणिज्य तथा समागम के अबाध प्रवाह को प्रोत्साहित करने हेतु एक इकाई बनाना है। इस प्रावधान में स्वतंत्रता अंतर्राज्यीय व्यापार, वाणिज्य तथा समागम तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका विस्तार राज्यों के भीतर व्यापार, वाणिज्य तथा समागम पर भी है। अत: यदि किसी राज्य की सीमा पर या पहले अथवा बाद के स्थानों पर प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो यह अनुच्छेद 301 का उल्लंघन होगा।

अनुच्छेद 301 द्वारा दी गई स्वतंत्रता संविधान द्वारा स्वयं अन्य प्रावधानों (संविधान के भाग XIII अनुच्छेद 302 से 305) द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को छोड़कर सभी प्रतिबंधों से स्वतंत्र है,

अपवाद

इसे इस प्रकार से समझाया जा सकता है:

  1. संसद सार्वजनिक हित में राज्यों के मध्य अथवा किसी राज्य के भीतर व्यापार, वाणिज्य तथा समागम की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा सकती है किंतु संसद एक राज्य को दूसरे राज्य पर प्राथमिकता नहीं दे सकती अथवा भारत के किसी भाग में वस्तुओं की कमी की स्थिति को छोड़कर राज्यों के मध्य विभेद नहीं कर सकती।
  2. किसी राज्य की विधायिका सार्वजनिक हित में उस राज्य अथवा उस राज्य के अंदर व्यापार, वाणिज्य तथा समागम की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगा सकती है किंतु इस उद्देश्य हेतु विधेयक विधानसभा में राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही पेश किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त राज्य विधायिका एक राज्य को दूसरे पर प्राथमिकता नहीं दे सकती अथवा राज्यों के मध्य विभेद नहीं कर सकती।
  3. किसी राज्य की विधायिका दूसरे राज्य अथवा संघ राज्य से आयातित उन वस्तुओं पर कर लगा सकती है जो उस संबंधित राज्य में उत्पादित होते हैं। यह प्रावधान राज्यों द्वारा विभदकारी करों के लगाने का निषेध करता है।
  4. स्वतंत्रता (अनुच्छेद 301 के अंतर्गत) राष्ट्रीयूकृत विधियों के अधीन है (वे विधियां जो केंद्र अथवा राज्यों के पक्ष में एकाधिकार के लिए पूर्वनिर्दिष्ट हैं)। इस प्रकार, संसद अथवा राज्य विधायिका संबंधित सरकार द्वारा किसी व्यापार, व्यवसाय, उद्योग अथवा सेवा को जिसमें सामान्य नागरिक शामिल न हो, शामिल हो अथवा आंशिक रूप से शामिल हो या नहीं हो, जारी रखने के लिए कानून बना सकती है

संसद व्यापार, वाणिज्य तथा समागम की स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उचित प्राधिकरण की नियक्ति कर सकती है तथा इस प्रतिबंधित भी कर सकती है। संसद इस प्राधिकरण को आवश्यक शक्ति तथा कार्य दे सकती है किंतु अभी तक ऐसे किसी प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है।

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