राष्ट्रपति के वेतन एवं पेंशन, पदावधि, तथा प्राप्त विशेषाधिकार
इस लेख में राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान, राष्ट्रपति के वेतन एवं पेंशन, राष्ट्रपति को प्राप्त विशेषाधिकार, राष्ट्रपति की पदावधि से सम्बंधित चर्चा की गयी है।
इस लेख में राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान, राष्ट्रपति के वेतन एवं पेंशन, राष्ट्रपति को प्राप्त विशेषाधिकार, राष्ट्रपति की पदावधि से सम्बंधित चर्चा की गयी है।
भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा उसका निर्वाचन किया जाता है।
संविधान के भाग V के अनुच्छेद 52 से 78 तक में संघ की कार्यपालिका का वर्णन है। संघ की कार्यपालिका में भारत का राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल तथा महान्यायवादी शामिल होते हैं।
एक बार यदि संसद के दोनों सदनों से इसे मंजूरी प्राप्त हो जाए तो वित्तीय आपात अनिश्चित काल के लिए तब तब प्रभावी रहेगा जब तक इसे वापस न लिया जाए। वित्तीय आपातकाल की अवधि में राज्य के सभी वित्तीय मामलों में केंद्र का नियंत्रण हो जाता है।
केंद्र, अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्य में संविधान तंत्र के विफल हो जाने पर राज्य सरकार को अपने नियंत्रण में ले सकता है। यह सामान्य रूप में 'राष्ट्रपति शासन' के रूप में जाना जाता है। इसे 'राज्य आपात' या 'संवैधानिक आपातकाल' भी कहा जाता है।
यदि भारत की अथवा इसके किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध अथवा बाह्य आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह के कारण खतरा उत्पन्न हो गया हो तो अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति, राष्ट्रीय आपात की घोषणा कर सकता है।
संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन प्रावधान उल्लिखित हैं। संविधान में इन प्रावधानों को जोड़ने का उद्देश्य देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता, लोकतांत्रिक राजनैतिक व्यवस्था तथा संविधान की सुरक्षा करना है।
क्षेत्रीय परिषदों का उद्देश्य राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों की के बीच सहभागिता तथा समन्वयता को बढ़ावा देना है। ये आर्थिक तथा सामाजिक योजना, भाषायी अल्पसंख्यक सीमा किन अंतर्रज्यीय परिवहन आदि जैसे संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श संस्तुति करती हैं।