संसद को मूल अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने की शक्ति
अनुच्छेद 35 केवल संसद को कुछ विशेष मूल अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। Power of Parliament to make laws to give effect to Fundamental Rights.
अनुच्छेद 35 केवल संसद को कुछ विशेष मूल अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। Power of Parliament to make laws to give effect to Fundamental Rights.
संविधान लागू होने के समय से ही संपत्ति का मूल अधिकार सबसे अधिक विवादास्पद रहा। इसके कारण संसद व उच्चतम न्यायालय के बीच विवाद उत्पन्न हुआ इस पर कई सारे संविधान संशोधन हुए। उनमें पहला, चौथा, सातवा, पच्चीसवां, उनतालिसवा, चालीसवा एवं बयालिसवां संशोधन शामिल हैं।
अनुच्छेद 34 मूल अधिकारों पर तब प्रतिबंध लगाता है जब भारत में कहीं भी मार्शल लॉ लागू हो। यह संसद को इस बात की शक्ति देता है कि किसी भी…
अनुच्छेद 33 संसद को यह अधिकार देता है कि वह सशस्त्र बलों, अर्द्ध सैनिक बलों, पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों एवं अन्य के मूल अधिकारों पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगा सके। इस व्यवस्था का उद्देश्य, उनके समुचित कार्य करने एवं उनके बीच अनुशासन बनाए रखना है।
मूल अधिकारों की संवैधानिक घोषणा तब तक अर्थहीन, तर्कहीन एवं शक्तिविहीन है, जब तक कि कोई प्रभावी मशीनरी उसे लागू करने के लिए न हो। इस तरह अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचार का अधिकार प्रदान करता है।
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29- 30) भारतीय सविंधान के भाग – 3 में अनुच्छेद 29-30 तक में अल्पसंख्यकों के लिए संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (Right to Culture…
धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 25- 28) भारतीय सविंधान के भाग – 3 में अनुच्छेद 25-28 तक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार (Right to freedom of religion) का…
शोषण के विरुद्ध अधिकार ( अनुच्छेद 23 - 24) भारतीय सविंधान के भाग – 3 में अनुच्छेद 23-24 तक में शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against exploitation in hindi) का वर्णन…