संसदीय व्यवस्था की परिभाषा, विशेषतायें, गुण तथा दोष

भारत का संविधान, केंद्र और राज्य दोनों में सरकार के संसदीय स्वरूप की व्यवस्था करता है। अनुच्छेद 74 और 75 केंद्र में संसदीय व्यवस्था का उपबंध करते हैं और अनुच्छेद 163 और 164 राज्यों में।

संविधान की मूल संरचना का विकास, सिद्धांत, तत्व और सम्बंधित मामले

अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संसद के संवैधानिक अधिकार उसे संविधान की मूल संरचना को ही बदलने की शक्ति नहीं देते। इसका अर्थ यह हुआ कि संसद मौलिक अधिकारों को सीमित नहीं कर सकती अथवा वैसे मौलिक अधिकारों को वापस नहीं ले सकती जो संविधान की मूल संरचना से जुड़े हैं।

संविधान का संशोधन प्रक्रिया क्या है? आलोचना व महत्व

संविधान के भाग XX के अनुच्छेद-368 में संसद को संविधान एवं इसकी व्यवस्था में संशोधन की शक्ति प्रदान की गई है। संविधान का संशोधन प्रक्रिया ब्रिटेन के समान आसान अथवा अमेरिका के समान अत्यधिक कठिन नहीं है। दूसरे शब्दों में, भारतीय संविधान न तो लचीला है, न कठोर; यद्यपि यह दोनों का समिश्रण है।

मूल कर्तव्य क्या है? सूची, विशेषताएं, आलोचना व महत्व

भारतीय संविधान में मूल कर्तव्यों को पूर्व रूसी संविधान से प्रभावित होकर लिया गया है। 1976 में नागरिकों के मूल कर्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया। 2002 में एक और मूल कर्तव्य को जोड़ा गया।

निदेशक तत्वों का क्रियान्वयन

निदेशक तत्वों का क्रियान्वयन (Implementation of Directive Principles) 1950 से केंद्र में अनुवर्ती सरकारों एवं राज्य ने निदेशक तत्व को लागू करने के लिए अनेक कार्यक्रम एवं विधियों (Implementation of…

मूल अधिकारों एवं निदेशक तत्वों में टकराव के कारण

एक ओर मूल अधिकारों की न्यायोचितता और निदेशक तत्वों की गैरन्यायोचितता तथा दूसरी ओर निदेशक तत्वों (अनुच्छेद 37) को लागू करने के लिए राज्य की नैतिक बाध्यता ने दोनों के मध्य टकराव को जन्म दिया है।

निदेशक तत्वों की विशेषताएं, आलोचना व उपयोगिता

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.सी. छागला के मतानुसार 'यदि इन सभी तत्वों का पूरी तरह पालन किया जाए तो हमारा देश, पृथ्वी पर स्वर्ग की भांति लगने लगेगा।" भारत राजनीतिक मामले में तब न केवल लोकतांत्रिक होगा, बल्कि नागरिकों के कल्याण के हिसाब से कल्याणकारी राज्य भी होगा।"

नीति निदेशक तत्व क्या है? विशेषताएं, वर्गीकरण, सिद्धांत व सम्बन्धित अनुच्छेद

राज्य के नीति निदेशक तत्व का उल्लेख संविधान के भाग चार के अनुच्छेद 36 से 54 तक में किया गया है। मूल अधिकारों के साथ निदेशक तत्व, संविधान की आत्मा एवं दर्शन हैं।