क्या है भारत की ‘डबल फिश हुक’ रणनीति?

क्या है भारत की ‘डबल फिश हुक’ रणनीति?

पिछले कुछ दिनों में भारत की ‘डबल फिश हुक’ रणनीति काफी चर्चा में रही है। जिस तरह मछली को पकड़ने हेतु हुक (Hook) का इस्तेमाल किया जाता है। भारत ने भी उसी तरह की अपनी रणनीति बनाई है। भारत की रणनीति में में दो हुक हैं, इसलिए इसे ‘डबल फिश हुक’ रणनीति कहा जा रहा है।

भारत की ‘डबल फिश हुक’ रणनीति में दो हुक हैं; अर्थात इसके दो कम्पोनेंट हैं-

  • पूर्वी फिश हुक और
  • पश्चिमी फिश हुक कम्पोनेंट ।

यहां पूर्वी फिश हुक कम्पोनेंट के तहत , भारत अंडमान- निकोबार द्वीप समूह से लेकर डिएगो गार्शिया तक के द्वीप क्षेत्र शामिल हैं। जबकि पश्चिमी फिश हुक कम्पोनेंट के तहत डुकम (Duqm) से लेकर डिएगो गार्शिया तक के द्वीप क्षेत्र शामिल हैं;। इस प्रकार दोनों ही कम्पोनेंट का अंतिम बिन्दु डिएगो गार्शिया ही है।

पूर्वी फिश हुक कम्पोनेंट

पूर्वी फिश हुक कम्पोनेंट में भारत का अंडमान- निकोबार द्वीप समूह, इन्डोनेशिया का सबांग (Sabang) पोर्ट, आस्ट्रेलिया का कोको या कीलिंग पोर्ट और डिएगो गार्शिया शामिल है। भारत ने इन्डोनेशिया के साथ सबांग(Sabang) पोर्ट विकसित करने हेतु एक एग्रीमेंट साइन किया है। इसी प्रकार भारत ने आस्ट्रेलिया के साथ भी कोको या कीलिंग पोर्ट विकसित करने हेतु एक एग्रीमेंट साइन किया है।

भारत ने अंडमान- निकोबार द्वीप समूह को सैन्य व अन्य उद्देश्यों हेतु काफी विकसित किया है। यहाँ भारत की ट्राई सर्विस कमांड है। इसके अतिरिक्त, पिछले कुछ समय में भारत ने अंडमान- निकोबार द्वीप समूह में लैंडिंग स्ट्रिप्स और डीप सी हार्बर भी विकसित किए हैं। भारत इसे क्वाड समूह के लिए एक मीटिंग पॉइंट के रूप में विकसित करना चाहता है।

पश्चिमी फिश हुक कम्पोनेंट

पश्चिमी फिश हुक कम्पोनेंट का टिप बिन्दु ओमान का डुकम (Duqm) पोर्ट है। भारत ने इसे विकसित करने हेतु मैरिटाइम ट्रांसपोर्ट एग्रीमेंट साइन किया है। पश्चिमी फिश हुक कम्पोनेंट में ओमान के डुकम के अलावा हिन्द महासागर आयोग के सदस्य देश, रीयूनियन द्वीप (फ़्रांस) और अंत में डिएगो गार्शिया आता है।

इंडिया को पिछले वर्ष हिन्द महासागर आयोग में पर्यवेक्षक देश का दर्जा हासिल हुआ था; इसके अतिरिक्त, पश्चिमी फिश हुक कम्पोनेंट के तहत भारत ‘हार्न ऑफ अफ्रीका’ के जिबूती में भी लाजिस्टिक सपोर्ट विकसित करने हेतु बात-चीत कर रहा है।

भारत की ‘डबल फिश हुक’ रणनीति का उद्देश्य

भारत ने अपनी ‘डबल फिश हुक’ रणनीति का विकास चीन का मुकाबला करने हेतु किया है; दरअसल ‘डबल फिश हुक’ रणनीति; चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ की रणनीति का मुकाबला करने के लिए; ‘नेकलेस ऑफ डायमंड्स’ रणनीति के साथ भारत की एक समुद्री रणनीति है।

इस प्रकार हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की रणनीतियों का मुकाबला करने के लिए; भारत ने अपने पूर्वी हिंद महासागर पड़ोसियों (यथा-इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया आदि ) और दक्षिणी-पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में द्वीपीय देशों जैसे; मॉरीशस, सेशेल्स, मेडागास्कर और फ्रांसीसी क्षेत्र (रीयूनियन द्वीप) के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

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