क्या है वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट?

रिज़र्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) के 22वें अंक को प्रकाशित किया है; इस रिपोर्ट में वित्तीय स्थिरता के जोखिमों से संबंधित वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफ़एसडीसी) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन और वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित समसामयिक मुद्दों के संदर्भ में वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन को दर्शाया गया है।

क्या है वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट का प्रकाशन भारतीय रिजर्व बैंक प्रत्येक छः माह में किया जाता है। यह रिपोर्ट भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता के समग्र मूल्यांकन को प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति के सामूहिक मूल्यांकन को दिखाया जाता है। साथ ही इसमें वित्तीय स्थिरता के जोखिमों और वित्तीय क्षेत्र के लचीलेपन के बारे में भी बताया गया है। इसके अलावा इस FSR में वित्तीय क्षेत्र के विकास और उसके विनियमन से जुड़े मामलो पर भी चर्चा की जाती है।

इस एफ़एसआर के प्रकाशन को पुनर्निर्धारित किया गया था; ताकि 2020-21 के लिए राष्ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमानों को शामिल किया जा सके; जोकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा 7 जनवरी 2021 को जारी किए गए थे।

22वीं एफ़एसआर(FSR) के प्रमुख निष्कर्ष

7 जनवरी 2021 को जारी 2020-21 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रथम अग्रिम अनुमानों को शामिल करने वाले समष्टि तनाव परीक्षणों से संकेत मिलता है कि बेसलाइन परिदृश्य के तहत सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के जीएनपीए अनुपात सितंबर 2020 में 7.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 में 13.5 प्रतिशत हो सकता है; और एक गंभीर तनाव परिदृश्य के तहत; यह अनुपात 14.8 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। यह संपत्ति की गुणवत्ता में संभावित गिरावट का सामना करने के लिए; पर्याप्त पूंजी के अग्रसक्रिय निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के जोखिम-भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर); मार्च 2020 में 14.7 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2020 में 15.8 प्रतिशत हो गया; जबकि उनकी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 8.4 प्रतिशत से घटकर 7.5 प्रतिशत हो गया; और प्रावधान कवरेज अनुपात (पीसीआर) 66.2 प्रतिशत से बढ़कर 72.4 प्रतिशत हो गया।

COVID-19 महामारी के प्रारंभिक चरण में; सामान्य कामकाज को बहाल करने और तनाव को कम करने को ध्यान में रखते हुए नीतिगत कार्रवाईयों को तैयार किया गया था अब बहाली के समर्थन और कारोबारों तथा परिवारों के दिवालियापन को संरक्षित करने की दिशा में ध्यान को उन्मुख किया जा रहा है।

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