अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 कानून 1989 में दलितों तथा अन्य समुदायों की माँगों के जवाब में बनाया गया था। वह अधिनियम दलितों और आदिवासियों के साथ रोजमर्रा होने वाले दुर्व्यवहार और अपमान पर रोक लगाने के लिए बनाया गया है।

1970 और 1980 के दशकों में आदिवासियों ने भी खुद को बड़े पैमाने पर संगठित किया;। उन्होंने न केवल बराबरी के लिए आवाज़ उठाई, बल्कि अपनी जमीन व संसाधनों को हासिल करने के लिए भी आंदोलन चलाए। इन आदिवासियों को भी ताकतवर सामाजिक गुटों का गुस्सा झेलना पड़ा और उनके साथ भी जमकर हिंसा हुई ।

अतः सरकार द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दलित समूह, आदिवासी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को संरक्षण प्रदान किया गया।

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989

  • अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति को कोई अखाद्य अथवा गंदा पदार्थ पीने या खाने के लिए विवश करते हैं;
  • अनु सूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति को नंगा करते हैं; या उसे नंगा घुमाते हैं या उसके चेहरे अथवा देह पर रंग लगाते हैं; या कोई और ऐसा कृत्य करते हैं जो मानवीय प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है।
  • अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति के नाम पर आबंटित की गई; या उसके स्वामित्व वाली जमीन पर कब्जा करता है या खेती करता है; या उसे अपने नाम पर स्थानांतरित करवा लेता है तो उसे सज़ा दी जाएगी।
  • अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की किसी महिला को अपमानित करने के लिए उस पर हमला करते हैं; या उसके साथ जोर-जबरदस्ती करते हैं…

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