भारतीय अर्थव्यवस्था में भारतीय कृषि का महत्व

कृषि क्षेत्र (Importance of Indian agriculture) भारतीय अर्थव्यवस्था का आधारभूत स्तंभ है। इस क्षेत्र का भारत की जीडीपी में लगभग 15% का योगदान करता है। साथ ही भारत की लगभग आधी जनसंख्या रोज़गार के लिये कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर है। यह क्षेत्र द्वितीयक उद्योगों के लिये प्राथमिक उत्पाद भी उपलब्ध करवाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में भारतीय कृषि से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य (Importance of Indian agriculture)

  1. वर्तमान में भारत के GDP में कृषि क्षेत्र का 17.1% योगदान है, जबकि 1950-51 में कृषि क्षेत्र का योगदान 55.40 % था।
  2. भारत में कृषि क्षेत्र का 60% भाग पूर्णत: वर्षा पर निर्भर है।
  3. भारत में कृषि क्षेत्र के GDP का 0.3 % भाग कृषि शोध पर खर्च किया जाता है।
  4. प्रथम कृषि गणना 1970 ई0 में की गयी थी।
  5. न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारक कृषि लागत एवं मूल्य आयोग है।
  6. एक हेक्टेअर से कम भूमि वाले किसान को सीमांत किसान कहा जाता है।
  7. रेशम उत्पादन में चीन का प्रथम और भारत का द्वितीय स्थान है और साथ ही साथ रेशम के उपभोग में भारत का प्रथम स्थान है।
  8. तम्बाकू के उत्पादन में चीन का प्रथम तथा भारत का तीसरा स्थान है, तथा तम्बाकू के उपभोग में चीन का प्रथम स्थान है।
  9. भूमिगत जल के सिंचाई हेतु उपयोग को सम्भव बनाने के लिये लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत किया जाता है।
  10. भूमिहीन कृषकों एवं श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु RLEGP (Rural-Landless Employment Guarantee Programme) कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
  11. किसान कॉल सेंटर का उद्देश्य कृषि समबंधी सलाहकारी सेवा उपलब्ध कराना है।
  12. केंद्रिय आलू अनुसंधान संसथान को 1956 ई0 में शिमला स्थानांतरित किया गया था।
  13. भारत की कुल सिंचित भूमि का 36% भाग नहरों द्वारा सिंचित है।
  14. भारत में कृषि क्षेत्र के 40% भाग में सिंचाई की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।
  15. 1966 में भारतीय कृषि के प्रति हेक्टेअर उत्पादकता को बढाने के लिये के उद्देशय से HYVP (Hybrid Yielding Varieties Programme) योजना चलायी गयी।
  16. दालों का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला राज्य महाराष्ट्र है।
  17. भारत में कॉफी का सबसे अधिक उत्पादन कर्नाटक में होता है, जबकि विश्व में सबसे अधिक कॉफी का उत्पादन ब्राजील में होता है।
  18. प्याज का सबसे अधिक उत्पादन महाराष्ट्र में होता है।
  19. दूध के उत्पादन में भारत का स्थान प्रथम है।
  20. दालों के उत्पादन में महाराष्ट्र का स्थान प्रथम है।
  21. चाय, काजू और आम के उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है।
  22. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की स्थापना 1965 में हुई थी।
  23. Trifed (The Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India Limited) की स्थापना 1987 ई0 में हुई थी।
  24. भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1966-67 ई0 में हुई थी, तथा भारत में इसके अग्रदूत एमo एसo स्वामीनाथन को माना जाता है। तथा विश्व में इसका जनक “नार्मन ई0 बोरलॉग” को माना जाता है।
  25. भारत में हरित कांति का सबसे अधिक प्रभाव गेंहू की फसल पर पडा, तथा सबसे निराशाजनक परिणाम दलहन की फसल में देखे गये।
  26. दीर्घकालिक कृषि ऋण 5 वर्ष से अधिक मध्यकालीन की अवधि 15 माह से 5 वर्ष तक होती है। तथा अल्पकालिक ऋण की अवधि 15 माह से कम की होती है।
  27. वाणिज्य बैंकों क्षेत्रिय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों से प्राप्त ऋण को सरल बनाने के लिये किसान क्रेडिट कार्ड योजना 1998 से प्रारम्भ की गयी।
  28. भारत के 21.2% भाग पर जंगलों का विस्तार है।
  29. भारत में चंदन की लकडीयों के सबसे घने जंगल नीलगिरी की पहाडियों पर पाये जाते हैं।
  30. देहरादून स्थित Forest Survey of India संस्थान द्वारा 2 वर्षों के अंतराल पर देश में वनों की स्थिति पर रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है।
  31. राष्ट्रिय किसान आयोग का गठन 2004 में किया गया, तथा इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है।
  32. राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन संस्थान हैदराबाद में स्थित है।
  33. राष्ट्रीय कृषि विपणन संसथान जयपुर में स्थित है।
  34. खाद्दान्न श्रंखला क्रांति का समबन्ध खाद्दानों, फलों तथा सब्जियों को सडने से बचाने से है।
  35. भारत में कृषि उत्पादन में पशुपालन की लगभग 26% हिस्सेदारी है।
  36. भारत में उर्वर्कों का प्रति हेक्टेअर उपभोग कम होने का कारण कृषकों निर्धनता, अज्ञानता और अपर्याप्त जल पूर्ति है।
  37. नयी राष्टीय कृषि नीति (Importance of Indian agriculture) का वर्णन इंद्रधनुषिय क्रांति के रूप में किया गया है। इसमें तीन क्रांतियां सम्मिलित है हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और खद्दान्न शृन्खला क्रांति शामिल हैं।
  38. भारत नाइट्रोजनी उर्वरकों की अपनी कुल खपत का 94% हिस्सा घरेलू उत्पादन से पूरा करता है। जबकि पोटेशियम उर्वरकों की पूर्ती के लिये भारत पूर्णत: आयात पर निर्भर है।
  39. भारत में जोतों का औसत आकार घटने का कारण उत्तराधिकार का नियम और भू स्वामित्व की ललक है।
  40. रूपांतरित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना कृषि उत्पादन में होने वाले विभिन्न जोखिमों को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय द्वारा किसानों को इन जोखिमों के विरुद्ध  सुरक्षा प्रदान करने के लिए वर्ष 1999-2000 के रबी मौसम से, केन्द्रीय क्षेत्रक योजना के रूप में लागू की गयी।

वर्तमान समय में भारतीय कृषि क्षेत्र (Importance of Indian agriculture) कई समस्याओं से जूझ रहा है। सिंचाई संबंधी सुविधाओं के अभाव के कारण मानसून पर निर्भरता, कृषि तथा किसानों की आय में कमी, छोटे एवं सीमांत जोत की समस्या, बाज़ार एवं अवसंरचना की  अनुपलब्धता, प्रौद्योगिकी तथा तकनीक का अभाव, व्यावसायिक भावना का अभाव, जलवायु परिवर्तन तथा रासायनिक खादों के प्रयोग के कारण धारणीय कृषि से संबंधित समस्या भारतीय कृषि क्षेत्र (Importance of Indian agriculture) में देखी जा सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्त्व को देखते हुए 2017-18 के बजट में इन समस्याओं के समाधान हेतु कई प्रयास किये गए हैं।

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