आनुवंशिक कोड (Genetic Code) डीएनए और बाद में ट्रांसक्रिप्शन द्वारा बने mRNA पर नाइट्रोजन क्षार का विशिष्ट अनुक्रम (Sequence) है, जिनका अनुवाद प्रोटीन के संश्लेषण के लिए एमीनो अम्ल के रूप में किया जाता है।
आनुवंशिक कोड (Genetic Code) सभी जीवों और वायरस के लिए सार्वभौमिक है। यानी यदि बैक्टीरिया में UUA एमिनो अम्ल Leucine को कोड करता है। तो यह मानव या पादपो में भी Leucine को हो कोड करेगा। हालांकि कुछ अपवाद (Exception) माइटोकोंड्रिया में पाए जाते हैं।
जैसे मानव के माइटोकोंड्रिया में UGA tryptophan को कोड करता है, और AUA Methionone को कोड करता है। AGG तथा AGA सामान्यतः Arginine को कोड करता है लेकिन मानव के माइटोकोंड्रिया में ये समापक कोडोन (Stop Codon) है। Paramecium तथा अन्य पक्ष्माभी जीवों में UGA तथा UAA ग्लूटेमिक अम्ल को कोड करते है।
जेनेटिक कोड क्या हैं? (Definition of Genetic Code in Hindi)
जेनेटिक कोड कुछ नियमों का समुच्चय है, जिसके उपयोग से जीवित कोशिकाएं जेनेटिक पदार्थों में पाए जाने वाले जानकारियों को प्रोटीन में अनुवादित करने का कार्य करती है।
सभी जीवों में जेनेटिक कोड लगभग एक जैसे होते हैं 64 एंट्री के टेबल के द्वारा आसानी से व्यक्त किये जा सकते हैं।
जेनेटिक कोड का कार्य (function of genetic code in hindi)
यह अनुवादन रिबोसोम के मदद से किया जाता है जो एमिनो एसिड को जोड़ने या लिंक करने का काम करती है। इसके अंतर्गत मैसेंजर आरएनए (mRNA) ट्रांसफर आरएनए (tRNA) की सहायता से एमिनो एसिड को प्रवाहित करने का काम करते हैं और एक बार में तीन न्यूक्लिओटाइड को पहचान पाने में सक्षम हैं।
इस कोड के माध्यम से यह पता चलता है कि कैसे ट्रिपल न्यूक्लिओटाइड के समूह (जिन्हे कोडोन कहा जाता है) पहचानते हैं कि कौनसा वाला एमिनो एसिड अगले प्रोटीन संश्लेषण (synthesis) में जाके जुड़ेगा।
कुछ आक्षेपों को छोड़कर न्युक्लियक एसिड समुच्चय के अंतर्गत तीन जोड़ों वाला नुक्लेओटाइड कोडोन एक एमिनो एसिड को दर्शाता है। हर एक कोडोन एक विशिष्ट एमिनो एसिड के लिए कोड करता है।
जेनेटिक कोड की खोज (Discovery of Genetic Code in Hindi)
साल 1961 में फ्रांसिस क्रीक एवं उनके साथी वैज्ञानिकों ने कोडोन से अवगत कराया। फिर कुछ सालों बाद मार्शल निरेनबर्ग के नेतृत्व में जेनेटिक कोड का गहराई से अध्ययन किया गया और उसे स्पष्ट किया गया।
उन्होंने यह बताया कि चार न्यूक्लियोटाइड बेस होते हैं – A (adenine), U (uracil), G (guanine), C (cytocine)। ये चार अलग अलग प्रकार के बेस कोडोन बनाते हैं। इसमें प्रोटीन संश्लेषण के लिए जरुरी सभी 20 प्रकार के एमिनो एसिड आ जाते हैं।
विशेषताएं (Features of Genetic Code in Hindi)
जेनेटिक कोड की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
स्टार्ट & स्टॉप कोडोन (start and stop codon):
एक स्टार्ट कोडोन के द्वारा अनुवादन की शुरुआत होती है। AUG सबसे प्रमुख स्टार्ट कोडोन है। यूकैर्योट्स में ये मेथियोनाइन के लिए कोड करते हैं एवं प्रोकैरिओट में फोरमाइल मेथिओनाइन के लिए कोड करते हैं।
स्टॉप कोडोन इस बात का सिग्नल देते हैं कि प्रोटीन संश्लेषण प्रतिक्रिया के दौरान प्रोटीन संश्लेषण बंद हो चुका है। UAG, UAA, UGA – तीन स्टॉप कोडोन हैं जिनको एम्बर, ओपल एवं औचरै भी कहा जाता है। स्टॉप कोडोन रिबोजोम को नया पेप्टाइड चैन छोड़ने के लिए ट्रिगर करती है।
mutation का प्रभाव
डीएनए रेप्लिकेशन प्रक्रिया के दौरान दूसरे स्ट्रैंड के polymerization के दौरान कई गलतियां होती हैं। ये गलतियां जीवों के फेनोटाइप (observable characteristic) को प्रभावित क्र सकती हैं। जेनेटिक कोड प्रतिक्रिया के कारण यह स्थिति 10 – 100 मिलियन बेस में सिर्फ एक या दो में अवतरित होती है।
mutaion का प्रभाव कभी कभी हानिकारक होता है और कभी कभी कुछ असर नहीं करता। कई बार यह भी पाया गया है कि mutation जरुरी भी होते हैं जैसे कि कुछ के प्रभाव से जीव वातावरण में होने वाले बदलाव को आसानी से झेल पाते हैं।
डीजेनेरेसी (degeneracy)
यह जेनेटिक कोड का अतिरेक (redundancy) प्रभाव है। जेनेटिक कोड में अतिरेकता है लेकिन कोई अस्पष्टता नहीं है। उदाहरणस्वरूप कोडोन GAA एवं GAB ग्लूटेमिक एसिड को दर्शाते हैं जोकि अतिरेक हैं, नाकि एमिनो एसिड को, जो यहाँ स्पष्ट रूप में है।
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