By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Times DarpanTimes DarpanTimes Darpan
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Search
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Reading: शीत युद्ध (cold war) क्या है? इनके क्या कारण और परिणाम थे
Share
Sign In
Notification Show More
Font ResizerAa
Times DarpanTimes Darpan
Font ResizerAa
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Search
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
History

शीत युद्ध (cold war) क्या है? इनके क्या कारण और परिणाम थे

Gulshan Kumar
Last updated: 2019/12/20 at 6:55 PM
By Gulshan Kumar
Share
11 Min Read
cold war
cold war
SHARE

शीत युद्ध (cold war) को ‘शस्त्र सज्जित शान्ति’ के नाम से भी जाना जाता है इस युद्ध की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस के बीच उत्पन्न तनाव की स्थिति से हुई द्वितीय विश्व युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने मिलकर जर्मनी, इटली और जापान के विरूद्ध संघर्ष किया था। किन्तु युद्ध समाप्त होते ही, ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ में तीव्र मतभेद उत्पन्न होने लगा। बहुत जल्द ही इन मतभेदों ने तनाव की भयंकर स्थिति उत्पन्न कर दी।

Contents
शीत युद्ध (cold war) की उत्पत्ति के कारण1857 के विद्रोह और असफलता के ये 6 महत्वपूर्ण कारण थे।शीत युद्ध (cold war) का विकासशीत युद्ध (cold war) के प्रथम चरणशीत युद्ध (cold war) के विकास का दूसरा चरणगौरवपूर्ण क्रांति: इतिहास के रक्तहीन क्रांति से जुड़ें 7 तथ्यशीत युद्ध (cold war) के विकास का अन्तिम कालअंतरराष्ट्रीय राजनीति पर शीत युद्ध (cold war) का प्रभावनिष्कर्ष

शीत युद्ध (cold war) के बारे कहा जाता है यह एक प्रकार का वाक युद्ध था जो कागज के गोलों, पत्र-पत्रिकाओं, रेडियो तथा प्रचार साधनों तक ही लड़ा गया। इस युद्ध में न तो कोई गोली चली और न कोई घायल हुआ। युद्ध को शस्त्रायुद्ध में बदलने से रोकने के सभी उपायों का भी प्रयोग किया गया, यह केवल कूटनीतिक उपायों द्वारा लड़ा जाने वाला युद्ध था। जिसमें दोनों देश एक दूसरे को नीचा दिखाने के सभी उपायों का सहारा लेती रही। इस युद्ध का उद्देश्य अपने-अपने गुटों में मित्र राष्ट्रों को शामिल करके अपनी स्थिति मजबूत बनाना था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत संघ के मध्य पैदा हुआ अविश्वास व शंका की अन्तिम परिणति था।

शीत युद्ध (cold war) की उत्पत्ति के कारण

शीत युद्ध (cold war) होने की स्थिति द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ही प्रकट हो रही थी। दोनों देश के बीच जो सहयोग की भावना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दिखाई दे रही थी, वह युद्ध के बाद समाप्त होने लगी थी। ये पारस्परिक मतभेद ही शीत युद्ध (cold war) के प्रमुख कारण थे, शीत युद्ध की उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. पूंजीवादी और साम्यवादी विचारधारा का प्रसार
  2. सोवियत संघ द्वारा याल्टा समझौते का पालन न किया जाना
  3. सोवियत संघ और अमेरिका के वैचारिक मतभेद
  4. सोवियत संघ का एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरना
  5. ईरान में सोवियत हस्तक्षेप
  6. टर्की में सोवियत हस्तक्षेप
  7. यूनान में साम्यवादी प्रसार
  8. द्वितीय मोर्चे सम्बन्धी विवाद
  9. तुष्टिकरण की नीति
  10. सोवियत संघ द्वारा बाल्कान समझौते की उपेक्षा
  11. अमेरिका का परमाणु कार्यक्रम
  12. परस्पर विरोधी प्रचार
  13. लैंड-लीज समझौते का समापन
  14. फासीवादी ताकतों को अमेरिकी सहयोग
  15. बर्लिन विवाद
  16. सोवियत संघ द्वारा वीटो पावर का बार-बार प्रयोग किया जाना
  17. संकीर्ण राष्ट्रवाद पर आधारित संकीर्ण राष्ट्रीय हित

1857 के विद्रोह और असफलता के ये 6 महत्वपूर्ण कारण थे।

शीत युद्ध (cold war) का विकास

शीत युद्ध का विकास धीरे धीरे हो रहा था इसकी संभावना 1917 में ही दिखने लगा था लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ये स्पष्ट रूप से दिखा दोनों देश के बीच इस अशांति और आलोचना के कारण पुरे विश्व में भय का कारण बना था इसके विकास क्रम को निम्नलिखित चरणों में समझा जा सकता है-

  1. शीत युद्ध के विकास का प्रथम चरण (1946 से 1953)
  2. शीत युद्ध के विकास का दूसरा चरण (1953 से 1963)
  3. शीत युद्ध के विकास का तीसरा चरण – 1963 से 1979 तक (दितान्त अथवा तनाव शैथिल्य का काल)
  4. शीत युद्ध के विकास का अन्तिम काल – 1980 से 1989 तक (नया शीत युद्ध)

शीत युद्ध (cold war) के प्रथम चरण

इसी समय से शीत युद्ध (cold war) के असली रूप निकला इस काल में शीत युद्ध को बढ़ाने देने वाली प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित हैं-

  1. 1946 में चर्चिल ने सोवियत संघ के साम्यवाद की आलोचना की। जिससे विरोध की भावना दिखने लगी और बाद में यह शीत युद्ध का कारण बना
  2. मार्च 1947 में ट्रूमैन सिद्धान्त द्वारा साम्यवादी प्रसार रोकने की बात कही गई। इस सिद्धान्त के अनुसार विश्व के किसी भी भाग में अमेरिका हस्तक्षेप को उचित ठहराया गया।
  3. 23 अप्रैल 1947 को अमेरिका द्वारा प्रतिपादित मार्शल योजना ने भी सोवियत संघ के मन में अविश्वास व वैमनस्य की भावना को बढ़ावा दिया।
  4. सोवियत संघ ने 1948 में बर्लिन की नाकेबन्दी करके शीत युद्ध को और अधिक भड़का दिया।
  5. 1949 में अमेरिका ने अपने मित्र राष्ट्रों के सहयोग से नाटो जैसे सैनिक संघ का निर्माण किया।
  6. अक्टूबर 1940 में चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना होने से अमेरिका का विरोध अधिक प्रखर हो गया।

शीत युद्ध (cold war) के विकास का दूसरा चरण

इस चरण में दोनों देशों के नेतृत्व में परिवर्तन हुआ। सोवियत संघ में स्तालिन की मृत्यु के बाद खुश्चेव ने शासन सम्भाला और अमेरिका में राष्ट्रपति आइजन हावर ने शासन की बागडोर अपने हाथ में ली। सोवियत संघ की तरफ से दोनों देशों के मध्य अच्छे सम्बन्ध स्थापित करने के प्रयास हुए लेकिन उनका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला और अमेरिका तथा सोवियत संघ में शीत युद्ध का तनाव जारी रहा। इस दौरान कुछ घटनाएं घटी जिन्होंने शीत युद्ध को बढ़ावा दिया।

  1. 1953 में सोवियत संघ ने प्रथम आणविक परीक्षण किया, इससे अमेरिका के मन में सोवियत संघ के इरादों के प्रति शक पैदा हो गया। 1953 में चर्चिल ने अमेरिका से कहा कि दक्षिण पूर्वी एशिया के लिए नाटो जैसे संघ का निर्माण किया जाए।
  2. 1956 में हंगरी में सोवियत संघ के हस्तक्षेप ने भी शीत युद्ध को और अधिक भड़काया। 1956 में ही स्वेज नहर संकट ने दोनों देशो के बीच तनाव में वृद्धि की। सोवियत संघ ने इस संकट में मिस्र का साथ दिया।
  3. जून 1957 में आईज़नहावर सिद्धान्त के अंतर्गत अमेरिका की कांग्रेस ने राष्ट्रपति को साम्यवाद के खतरों का सामना करने के लिए सशस्त्र सेनाओं का प्रयोग करने का अधिकार प्रदान करके पश्चिमी एशिया को शीत युद्ध का अखाड़ा बना दिया।
  4. जून 1961 में ख्रुश्चेव द्वारा पूर्वी जर्मनी के साथ एक पृथक संधि पर हस्ताक्षर करने की धमकी ने भी शीत युद्ध को बढ़ावा दिया।

इस प्रकार इस युग में शीत युद्ध को बढ़ावा देने वाली कार्यवाहियां दोनों तरफ से हुई। लेकिन दोनों महाशक्तियों ने शीत युद्ध के तनाव को कम करने की दिशा में भी कुछ प्रयास किए। 5 सितम्बर 1963 को अमेरिका, सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच ‘मास्को आंशिक परीक्षण निषेध सन्धि’ (Moscow Partial Test Ban Treaty) हुई। इससे शीत युद्ध को समाप्त करने का सकारात्मक कदम कहा गया।

गौरवपूर्ण क्रांति: इतिहास के रक्तहीन क्रांति से जुड़ें 7 तथ्य

शीत युद्ध (cold war) के विकास का अन्तिम काल

1970 के दशक का दितान्त अफगानिस्तान संकट के जन्म लेते ही नए प्रकार के शीत युद्ध में बदल गया। इस संकट को ‘दितान्त की अन्तिम शवयात्रा’ कहा जाता है। इसकी उत्पत्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैंः-

  • सोवियत संघ की शक्ति में वृद्धि ने अमेरिका के खिलाफ अपनी पुरानी दुश्मनी आरम्भ कर दी।
  • रीगन ने राष्ट्रपति बनते ही शस्त्र उद्योग को बढ़ावा दिया और मित्र राष्ट्रों का शस्त्रीकरण करने पर बल दिया।
  • अमेरिका तथा सोवियत संघ में अन्तरिक्ष अनुसंधान की होड़ लग गई।
  • अफगानिस्तान में सोवियत संघ ने हस्तक्षेप किया, इससे शीत युद्ध में वृद्धि हुई। अमेरिका और सोवियत संघ में पारस्परिक प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई।
  • सोवियत संघ ने दक्षिण पूर्वी एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया।

इन सभी कारणों से नए शीत युद्ध का जन्म हुआ और दितान्त का अन्त हो गया। इससे अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में नई खटास पैदा हुई अमेरिका ने खाड़ी सिद्धान्त के द्वारा विश्व शान्ति के लिए खतरा पैदा कर दिया।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर शीत युद्ध (cold war) का प्रभाव

शीत युद्ध (cold war) ने 1946 से 1989 तक विभिन्न चरणों से गुजरते हुए अलग-अलग रूप में विश्व राजनीति को प्रभावित किया। इसने अमेरिका तथा सोवियत संघ के मध्य तनाव पैदा करने के साथ-साथ अन्य प्रभाव भी डाले। इसके अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

  • इससे यूरोप का विभाजन हो गया।
  • विश्व में नव उपनिवेशवाद का जन्म हुआ।
  • इसने शक्ति संतुलन के स्थान पर ‘आतंक के संतुलन’ को जन्म दिया।
  • इससे राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलनों का विकास हुआ।
  • इससे शस्त्रीकरण को बढ़ावा मिला और विश्वशान्ति के लिए भयंकर खतरा उत्पन्न हो गया।

निष्कर्ष

अतः शीत युद्ध का अमेरिका और सोवियत संघ के साथ-साथ पुरे अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। उपरोक्त दिए हुए तथ्यों पर हम ध्यान दे तो हम यह भी कह सकते है कि आज दुनिया के लिए गंभीर समस्या बन रहे आंतक का शुरुवात भी कही न कही ये युद्ध इसका मुख्य कारक है।

यह भी पढ़ें :-

  • गौरवपूर्ण क्रांति: इतिहास के रक्तहीन क्रांति से जुड़ें 7 तथ्य
  • 1857 के विद्रोह और असफलता के ये 6 महत्वपूर्ण कारण थे।
  • 4 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतारने वाला शख्श

Note :- अगर आपको शीत युद्ध के इस लेख बारे में कुछ कहना है तो हमें कमेंट कर सकते है, और ये पोस्ट अच्छी लगी तो इसे दोस्तों के साथ अभी शेयर करे और हम से जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे और यू-ट्यूब चेंनल को सब्सक्राइब करें ।

You Might Also Like

प्रबोधन क्या है? कारण, विशेषताएँ, प्रमुख चिंतक, प्रभाव व सीमाएं

प्रोटेस्टेंट आंदोलन के कारण और प्रभाव

इस्लाम का उदय व विकास कैसे हुआ | Rise of Islam in Hindi

व्यावसायिक क्रांति क्या था ? इसके कारण और प्रभाव क्या थे

यहूदी धर्म का इतिहास और मूल सिद्धांत

TAGGED: शीत युद्ध के परिणाम
Gulshan Kumar 2019-12-20 2019-12-20
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article Demotion What is demotion, Reason and principle of demotion
Next Article Citizenship Amendment Bill नागरिकता संशोधन बिल (CAB) क्या है? कानून में इससे क्या बदलाव होंगे?
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

रेडियो वेव्स
रेडियो तरंगें क्या है? प्रक्रिया, फ्रीक्वेंसी व उपयोग
Science and Tech
ताप रसायन
ताप रसायन क्या है? ताप रसायन की जानकारी
Science and Tech
बायोटेक्नोलॉजी (जैव प्रौद्योगिकी) क्या है? पूरी जानकारी
Science and Tech
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस क्या है? परिभाषा व उपयोग
Science and Tech
घूर्णन गति
घूर्णन गति क्या है? परिभाषा, उदाहरण, समीकरण
Science and Tech

Explore the world of technology with timesdarpan.com, Our website offers a comprehensive range of web tutorials, academic tutorials, app tutorials, and much more to help you stay ahead in the digital world.

Quick Link

  • Top gadgets of 2015

Top Categories

© 2023 TimesDarpan.com. All Rights Reserved.
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?