नागरिकता संशोधन बिल (CAB) क्या है? कानून में इससे क्या बदलाव होंगे?

Citizenship Amendment Bill kya hai, CAB kya hai, सिटीजन अमेंडमेंट बिल क्या है, नागरिकता कानून में इससे क्या बदलाव होंगे? नागरिकता संशोधन बिल क्या है? नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा और लोकसभा में पारित हो चुका है। देश भर में आज बवाल मचा हुआ है, लोग इसे सविंधान विरोधी नियम बता रहे है। आज देश में इसके खिलाफ जगह जगह पर प्रदर्शन किया जा रहा है। आज देश में बहुत से लोग है जो इस बिल के बारे में जानते ही नहीं या थोड़ा बहुत उन्होंने पता है।

ऐसे में आपका यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर यह नागरिकता कानून क्या है और इसके लागू होने पर क्या-क्या बदलाव होंगे तथा किस आधार पर लोगों को नागरिकता दी जाएगी। आईये जानते है, Citizenship Amendment Bill kya hai, CAB kya hai, सिटीजन अमेंडमेंट बिल क्या है, नागरिकता कानून में इससे क्या बदलाव होंगे?

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हम नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill)को बेहतर रूप से जानने के लिए कुछ निम्न तथ्यों के बारे में जानते है :-

  • नागरिकता संशोधन बिल क्या है?
  • नागरिकता संशोधन बिल की प्रक्रिया
  • नागरिकता बिल में संशोधन
  • नागरिकता संशोधन लागू होने के बाद बदलाव
  • भारत की नागरिकता पाने की प्रक्रिया
  • भारत में निवास की अवधि
  • नागरिकता बिल विरोध होने के कारण
  • पूर्वोत्तर में ज्यादा हमला होने की वजह

1. नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) क्या है?

नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) एक ऐसा बिल है जिसे नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों में बदलाव करने के लिए बनाया गया है।

CAB इसका short name है, जिसकी Full form है :-

  • C – Citizenship
  • A – Amendment
  • B – Bill

इसी को हिंदी में नागरिकता संशोधन विधेयक कहते हैं। ये नया नागरिकता कानून है।

जिसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों (गैर-मुस्लिमों) के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भारतीय नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा।

2. नागरिकता संशोधन बिल की प्रक्रिया

नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय समिति को सौंपा गया था। समिति ने इस साल जनवरी 2019 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी थी।

इसके बाद 9 दिसंबर 2019 को यह विधेयक दोबारा लोकसभा में पेश किया गया, जहां देर रात यह ध्वनिमत से पारित हो गया। कड़े विरोध के बावजूद सरकार के द्वारा नागरिकता संशोधन बिल 11 Dec 2019 को राज्यसभा से भी पास करवा लिया गया।

3. नागरिकता बिल में संशोधन

बिल के संसद से पास होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे।

इसके अलावा इन तीन देशों के सभी छह धर्मों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के नियम में भी छूट दी जाएगी। ऐसे सभी प्रवासी जो 6 साल से भारत में रह रहे होंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिल सकेगी। पहले यह समय सीमा 11 साल थी। देशभर में इसका विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसीलिए असदुद्दीन ओवैसी सहित विपक्ष के कई नेता इसे संविधान विरोधी बता रहे हैं।

4. नागरिकता संशोधन लागू होने के बाद बदलाव

नागरिकता संशोधन बिल, नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा। इसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी।

यानी कि मुस्लिमों को इसमें जगह नहीं दी गई है केवल गैर मुस्लिमों को ही भारतीय नागरिकता दी जाएगी। यही विवाद का सबसे बड़ा कारण बन रहा है।

5. भारत की नागरिकता पाने की प्रक्रिया

इस बिल (CAB) के कानून को लागु होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों से जो गैर-मुस्लिम शरणार्थी भारत आएंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा।

क्योंकि इस बिल में भारत की नागरिकता पाने के लिए केवल भारत में 6 साल बिताने होंगे। पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था। अभी से 12 वर्ष से कम करके 6 वर्ष कर दिया गया है।

6. भारत में निवास की अवधि

जहां पहले भारत की नागरिकता पाने के लिए शरणार्थियों को भारत में 11 साल तक निवास करना पड़ता था वहीं अब केवल 6 साल में ही रहना पड़ेगा। नागरिकता संशोधन बिल में 11 साल की अवधि को कम करके 6 साल कर दिया गया है। वहीं कुछ अन्य बदलाव भी किए गए हैं जिनके तहत कुछ लोगों को तुरंत नागरिकता मिल जाएगी।

7. नागरिकता बिल विरोध होने के कारण

इस बिल को लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया है, क्योंकि इसमें धर्म को लेकर पक्षपात किया गया है। नए संशोधन बिल में मुस्लिमों को छोड़कर अन्य धर्मों के लोगों को आसानी से नागरिकता देने का फैसला किया गया है। विपक्ष इसी बात को उठा रहा है और मोदी सरकार के इस फैसले को धर्म के आधार पर बांटने वाला बता रहा है। उनका कहना है कि यह असंवैधानिक और गलत है।

इसीलिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) की कई सहयोगी पार्टियों ने भी इसका विरोध किया है। साथ ही इससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा, जिसमें समानता के अधिकार की बात कही गई है।

8. पूर्वोत्तर में ज्यादा हमला होने की वजह

अभी कुछ समय पहले ही नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन को लेकर असम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भारी विरोध हुआ था। NRC के तुरंत बाद अब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लाया गया, जिसका विरोध हो रहा है। नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (North East Organization) की अगुवाई में पूर्वोत्तर के कई छात्र संगठनों ने इस बिल का विरोध किया। इसके अलावा कई अन्य राज्य सरकार भी इसके खिलाफ है।

निष्कर्ष

हालांकि सविंधान बनने के बाद इससे पहले 1995 और 2016 में नागरिकता संशोधन बिल में बदलाव किए जा चूका है लेकिन यह बदलाव सबसे अलग था क्योंकि इसमें जाति के आधार पर नागरिकता दी जानी तय की गई है। लेकिन अभी लोगों की नाराजगी की होने की मुख्य वजह  यह है कि इस बिल के संसोधन में मुस्लिमों को शामिल  नहीं किया गया है।

जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में साफ़-साफ़ कहा है कि यह बिल (Citizenship Amendment Bill) भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे। यह बिल सिर्फ मुस्लिम देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को न्याय दिलाने के लिए है। आप का इस बिल के बारे में क्या राय है कमेंट कर जरूर शेयर करें।

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