गौरवपूर्ण क्रांति: इतिहास के रक्तहीन क्रांति से जुड़ें 7 तथ्य

इंग्लैंड में सन 1688 को एक क्रांति हुई जिसमे इंग्लैंड के राजा जेम्स द्वितीय को अपना राजसिहासन गवाना पड़ा। 18 सदी में विश्व में तीन क्रांति हुई जिसमे सबसे पहले इंग्लैंड के गौरवपूर्ण क्रांति थी। इस क्रांति को वैभव पूर्ण क्रांति या रक्त हीन क्रांति के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस क्रांति में किसी भी पक्ष के व्यक्ति के रक्त की एक बूंद भी नहीं निकली और केवल प्रदर्शन एवं वार्तालाप से ही क्रांति सफल हो गई।

1688 ई. में इंग्लैंड में हुई इस रक्तहीन क्रांति ने अमेरिका (इंग्लैंड का उपनिवेश) में भी स्वतंत्रता की मांग बुलंद की। अमेरिका में शासन ब्रिटिश संसद द्वारा चलाया जाता था जो अमेरिकावासियों को सहन न था। वे स्वतंत्र रूप से शासन करना चाहते थे। अतः अमेरिकी उपनिवेश ने अपनी स्वतंत्रता के लिए जो संघर्ष किया वही अमेरिकी क्रांति कहलाता है। ये क्रांति 1776 ई. में हुई।

इसी समय यूरोप में क्रांति का दौर प्रारम्भ हुआ। श्रमिकों और कृषकों का शोषण किया जाता था। ऐसी स्थिति में फ्रांस में बुद्धिजीवी वर्ग का उदय हुआ जिन्होंने जनता को उनके अधिकारों से परिचित करवाया। इस प्रकार कुलीन, शासकों तथा चर्च के विरुद्ध कृषकों,  श्रमिकों तथा बद्धिजीवियों द्वारा जो क्रांति हुई वही 1789 की फ्रांस की क्रांति कहलाई।

गौरवपूर्ण क्रांति की भूमिका

सन 1685 में इंग्लैण्ड के शासक चार्ल्स द्वितीय की मृत्यु हो गई। उसके बाद उसका भाई जैम्स द्वितीय के नाम से इंग्लैण्ड के राजसिंहासन पर बैठा। राजा बनने के बाद उसने कैथोलिक धर्म का प्रचार-प्रसार किया। उसने अपनी नीति सफल बनाने के लिए लुई-14वां (फ्रांस) से प्राप्त सेना तथा धन को आधार बनाया। 1685 में जब फ्रांस में आतंकवाद का वातावरण प्रारंभ हो गया तो बड़ी संख्या में शरणार्थी इंग्लैण्ड आने लगे।

इससे इंग्लैण्ड में असंतोष फैला। जेम्स ने विश्व वि्द्यालय तथा सरकारी नौकरियों में कैथोलिक मतावली को ही रखा। उसके अवैध और अनुचित कार्यों से इंग्लैण्ड में तीव्र रोष और विरोध फैल गया। अंत में जेम्स को इंग्लैण्ड छोड़ना पड़ा और संसद ने उसकी बेटी मेरी को इंग्लैंड की शासिका बनाया। इस घटना को इंग्लैण्ड में वैभवपूर्ण क्रांति कहते हैं इसमें रक्त की एक बूंद भी नहीं बही और परिवर्तन हो गया अतः इसे गौरवशाली क्रांति या गौरवपूर्ण क्रांति भी कहते हैं।

गौरवपूर्ण क्रांति के कारण

कारण 1: संसद द्वारा अधिकारों के लिए संघर्ष

संसद अपने विशेष अधिकारों का उपयोग करना चाहती थी तथा राजा के अधिकारों को सीमित व नियंत्रित करना चाहती थी। फलतः राजा और संसद के मध्य संघर्ष प्रारंभ हो गया और इस संघर्ष का अंत शानदार क्रांति के के रूप में हुआ और अंत में संसद ने राजा पर विजय प्राप्त की।

कारण 2: खूनी न्यायालय

चार्ल्स द्वितीय के अवैध पुत्र मन्मथ ने जेम्स द्वितीय के विरुद्ध सिंहासन प्राप्ति हेतु विद्रोह कर दिया। जेम्स ने मन्मथ को युद्ध में पराजित कर दिया तथा बंदी बना लिया। उसे तथा उसके साथियों को न्यायालय द्वारा मृत्युदण्ड दे दिया गया। इसे खूनी न्यायालय कहा गया।

इसी तरह स्कॉटलैंड में अर्ल ऑफ अरगिल ने विद्रोह किया तो इसे भी जेम्स ने कठोरतापूर्वक दबा दिया तथा 300 व्यक्तियों को मृत्युदण्ड दिया तथा 800 लोगों को दास बनाकर वेस्टइंडीज भेज दिया गया। स्त्रियों और बच्चों को भी क्षमा नहीं किया गया। इस क्रूरता से जनता रुष्ट हो गयी।

कारण 3: जेम्स द्वितीय की निष्फल विदेश नीति

जेम्स द्वितीय फ्रांस के कैथोलिक राजा लुई- 14 से आर्थिक और सैनिक सहायता प्राप्त कर इंग्लैंड में अपना निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासन स्थापित करना चाहता था। लुई कैथोलिक था और प्रोटेस्टेटों पर अत्याचार करता था। इससे ये प्रोटेस्टेंट इंग्लैण्ड में आकर शरण ले लिया। अतः इंग्लैण्ड वासी और संसद सदस्य नहीं चाहते थे कि जेम्स लुई से मित्रता रखे। अतः वे उसके विरोधी हो गये।

कारण 4: कैथोलिक धर्म का प्रसार 

जेम्स  कैथोलिक धर्म का अनुयायी था जबकि इंग्लैंड की अधिकांश जनता एंग्लिकन मत की थी। वह कैथोलिकों को अधिक सुविधाएँ देता था तथा अनेक महत्वपूर्ण पदों पर भी उन्हें ही नियुक्त करता था। उसने लंदन में अनेक कैथोलिक गिरजाघर भी स्थापित किये। इससे इंग्लैण्ड की जनता उसकी विरोधी हो गई।

कारण 5: विश्वविद्यालयों में हस्तक्षेप

कैथोलिक होने के कारण जेम्स ने विश्वविद्यालयों में भी ऊंचे पदों पर कैथोलिकों को नियुक्त किया। क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय पद में भी कैथोलिक को नियुक्त किया। इससे प्रोटेस्टेंट समुदाय के लोग जेम्स के विरोधी हो गये।

कारण 6: धार्मिक अनुग्रहों की घोषणाएँ

जेम्स द्वितीय ने इंग्लैण्ड को कैथोलिकों का देश बनाने के लिए दो बार धार्मिक अनुग्रहों की घोषणा की। इससे संसद में भारी असंतोष व्याप्त हो गया और वह इसकी घोर विरोधी हो गई।

कारण 7: कोर्ट ऑफ हाई कमीशन की स्थापना

जेम्स ने 1686 में कोर्ट ऑफ हाई कमीशन को पुन: स्थापित किया जिसके अन्तर्गत कैथोलिक धर्म की अवहेलना करने वालों पर मुकदमा चलाकर उनको दण्डित किया जाता था।

गौरवपूर्ण क्रांति का महत्व/ परिणाम

जेम्स द्वितीय की पहली पत्नी की मेरी नामक एक पुत्री हुई वह प्रोटेस्टेंट थी तथा हालैण्ड के राजकुमार विलियम को ब्याही थी वह भी प्रोटेस्टेंट था। इंग्लैण्डवासियों को विश्वास था कि वही इंग्लैण्ड की शासिका  बनेगी। अतः जेम्स के अत्याचारों से त्रस्त होकर मेरी और विलियम को बुलाया तथा उनके सम्मुख कुछ शर्ते रखी जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया तथा इसके साथ ही 13  फरवरी, 1689 को विलियम तथा मेरी संयुक्त रुप से इंग्लैण्ड के राजसिंहासन पर आसीन हुए।

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This Post Has One Comment

  1. Arun Kumar

    Best article about gauravpurn kranti

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