प्रोटीन और एमिनो एसिड क्या होते हैं?

मानव शरीर का बीस प्रतिशत भाग प्रोटीन से बना होता है। लगभग सभी जैविक प्रक्रियाओं में प्रोटीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अमीनो एसिड इसके निर्माण कार्य में मदद करता हैं। आज के इस आर्टिकल में हम जानते है प्रोटीन और एमिनो एसिड (Protein and amino acids) क्या होते हैं और उसके (Protein and amino acids) कार्य-प्रणाली के बारे में जानते है?

प्रोटीन और एमिनो एसिड

एमिनो एसिड (Amino Acid in Hindi)

अमीनो एसिड जैविक यौगिक (organic compound) जिसमे a-कार्बन के एमिनो समूह (NH2) एवं अम्लीय समूह (COOH) पाया जाता है। इसलिए इनको a-एमिनो एसिड भी कहा जाता है। यह सभी विकल्पित (substitute) मीथेन है। सभी प्रोटीन α-एमिनो एसिड के पॉलीमर होते हैं। एमिनो एसिड में एमिनो (-NH2) एवं कार्बोक्सील (-COOH) फंक्शनल समूह मौजूद होते हैं। कार्बोक्सील समूह में उनके स्थान के आधार पर α, β, γ, δ के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। α-एमिनो एसिड प्रोटीन के हाइड्रोलिसिस से मिलते हैं।

हर α-एमिनो एसिड का एक अनोखा नाम होता है जिससे उसकी यौगिक या स्रोत के विशेषता का पता चलता है। Glycine (ग्रीक भाषा = मीठा ) का नाम ऐसा इसलिए है क्योंकि उसका स्वाद मीठा होता है। Tyrosine (ग्रीक – cheese) पहली बार cheese से प्राप्त हुआ था। एमिनो एसिड (Protein and amino acids) के अणु (molecule) में एमिनो एवं कार्बोक्सील समूह की जितनी संख्या होती है, उस आधार पर उनको अम्लीय (acid), क्षार (basic) एवं न्यूट्रल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

  • अगर एमिनो और कार्बोक्सील ग्रुप समान बराबर मात्रा में हो, एमिनो एसिड न्यूट्रल होते हैं।
  • अगर एमिनो की संख्या कार्बोक्सील से ज्यादा हो तो वह क्षार (basic) होता है।
  • अगर कार्बोक्सील समूह एमिनो से ज्यादा हो तो वह अम्लीय (acidic) होता है।

शरीर के लिए जो एमिनो एसिड (Protein and amino acids) नहीं बन सकते वह खाना द्वारा लेना जरुरी है, जिसे essential एमिनो एसिड कहा जाता है।

अमीनो एसिड के कार्य

1. ये प्रोटीन्स की एकलकी इकाइयों (monomeric units) का काम करते हैं।
2. इनकी पार्श्व श्रंखलाओं (R समूहों) पर प्रोटीन्स की आक्रति, प्रक्रति, लोच और दृढ़ता, स्थिरता, रसायनिक अभिक्रियाशीलता, आदि निर्भर करती हैं।
3. आवश्यकतानुसार प्रोटीन्स (H+) को देकर या लेकर ये अम्ल-क्षार संतुलन बनाए रखते हैं।
4. प्रक्रति की नाइट्रोजन के जीव तंत्र में प्रवेश के लिए ग्लूटामेट तथा ग्लुटामीन प्रवेश द्वार (gateway) का काम करते हैं।
5. निरर्थक अमीनों अम्लों के एमिनोकरण (deamination) के बाद बचे हुए अल्फा-कीटो अम्ल (alpha-keto acid) भाग से उर्जा प्राप्त की जाती है।
6. डीऐमीनेशन के फलस्वरूप कीटोजीनी (ketogenic) अमीनो अम्लों (ल्युसीन तथा लाइसीन) से ऐसीटोऐसीटेट तथा ऐसीटल सहएन्जाइम ए बनते हैं। डीऐमीनेशन के बाद ये, gluconeogenesis प्रक्रिया के अंतर्गत, ग्लूकोस के संश्लेषण हेतु आवश्यक कार्बन परमाणु प्रदान करते हैं। कुछ अमीनो अम्ल कीटोजीनी और ग्लूकोजीनी दोनों होते हैं। ग्लूकोस की कमी होने पर मस्तिष्क की कोशिकाएं ल्यूसीन से कीटोनकाय बनाकर इनसे जैव उर्जा प्राप्त करती हैं।
7. ग्लाईसीन से पोरफाइरिन वलय (prophyrin ring) बनती है जो हीमोग्लोबिन, साइटोक्रोम्स तथा पर्णहरिम या क्लोरोफिल के अणुओं की रचना में महत्वपूर्ण भाग लेती है।
8. ग्लाईसीन, आर्जिनीन तथा मिथिओनीन से व्युत्पन्न phosphocreatine कंकाल पेशियों में उर्जा के भण्डारण का काम करती हैं।
9. ग्लाइसीन, ग्लूटामेट एवं सिस्टीन से व्युत्पन्न Glutathione सभी कोशिकाओं में अपचायक ( reducing agent) का काम करता है, जीव कलाओं के आर-पार अमीनो अम्लों के आवागमन में सहायता करता है तथा लाल रूधिराणुओं की कोशिकाकला के अनुरक्षण (maintenance) का काम करता है।
10. कुछ अमीनो अम्लों से महत्वपूर्ण प्रतिजैविक (antibiotic) पदार्थों का संश्लेषण होता है।
11. ट्रिप्टोफैन से विटामिन B5, मेलाटोनिन (melatonin- निद्रा-प्रेरक पदार्थ), सिरोटोनिन (serotonin- तंत्रिसंचारी- neurotransmitter), आदि व्युत्पन्न होते हैं।
12. टाइरोसीन से थायरोक्सिन (thyroxine) तथा एपिनेफ्रिन (epinephrine) हॉर्मोन तथा डोपामाइन (dopamine) नामक तंत्रिसंचारी पदार्थ व्युत्पन्न होते हैं। यह एक ऐसा अमीनो अम्ल है, जिसका कार्य मस्तिष्क में एड्रेलिन, नोरएड्रेलिन और डोपामाइन आदि न्यूरोट्रांसमीटर्स का निर्माण करना है. इसकी कमी होने से व्यक्ति स्वयं को दुखी और सुस्त महसूस करता है. टायरोसीन से शारीरिक सतकर्ता और उर्जा को बढ़ाने में मदद मिलती है।
13. ग्लूटामेट का कार्बोक्सिलहरण (decarboxylation) से महत्वपूर्ण तंत्रिसंचारी पदार्थ, gama- aminobutyrate – GABA) व्युत्पन्न होते हैं।
14. हिस्टिडीन महत्वपूर्ण उभयप्रतिरोधी (buffer) होता है. इससे व्युत्पन्न हिस्टामीन (histamine) नामक प्रोटीन एलर्जी (allergy) प्रतिक्रियाओं का नियंत्रण करती है।
15. एलानीन (Alanine) से विटामिन B3 बनता है।
16. सेरीन से लिपिड्स के नाइट्रोजनीय घटक बनते हैं. इसी से व्युत्पन्न selenocysteine प्रोटीन्स की पोलीपपेप्टाइड श्रीख्लाओं के संश्लेषण को mRNA के UGA कोडोन (codon) पर रोकती है।
17. एस्पर्टेट तथा ग्लूटामेट, धात्विक एन्जाइमों में धातु परमाणुओं का वहन करते हैं।

प्रोटीन (Protein in Hindi)

प्रोटीन जीवों में पाया जाने वाला सबसे प्रमुख जैविक अणु (biomolecule) है। दूध, पनीर, दाल, मूंगफली, मीट, मछली आदि प्रोटीन के प्रमुख स्रोत हैं। यह सभी प्रकार के जैविक शरीरों में पाए जाते हैं एवं शरीर के संरचना एवं अंगों के कार्य प्रणाली के लिए जरुरी हैं। यह एक पॉलीपेप्टाइड हैं। खाने से मिलने वाले प्रोटीन एमिनो एसिड के प्रमुख स्रोत हैं। non-essential एमिनो एसिड वह हैं जिनका निर्माण शरीर में हो जाता है जबकि essential एमिनो एसिड खाद्य से प्राप्त होता है। Collagen जीवों के शरीर में पाया जाने वाला एक प्रमुख प्रोटीन है।

प्रोटीन की संरचना (Structure of Protein in Hindi)

हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि प्रोटीन α-एमिनो एसिड के पॉलीमर हैं। यह पेप्टाइड बंध के द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं। रासायनिक तौर पर पेप्टाइड बंध एक amide (एक यौगिक जिसमे C(O)NH2 समूह मौजूद होता है) है।

जब एमिनो एसिड (Protein and amino acids) के दो समान या विभिन्न अणुओं में प्रक्रिया होती है तब एमिनो समूह का एक अणु कार्बोक्सिलिक समूह के दूसरे अणु से संयोजित हो जाती है, इससे पानी का एक अणु का अणु हट जाता है एवं पेप्टाइड बंध -CO-NH- का निर्माण होता है। परिणाम में मिले अम्ल को डाइपेप्टाइड कहा जाता है क्योंकि यह दो एमिनो एसिड से मिलकर बना है। अगर तीसरा एमिनो एसिड आकर डाइपेप्टाइड में प्रक्रिया करता है तो उसे ट्राइपेप्टाइड कहा जाता है।

रेशेदार प्रोटीन (Fibrous Protein in Hindi)

जब पेप्टाइड चेन की समानांतर (parallel) संरचना होती है और वह हाइड्रोजन और डाईसल्फाइड बंध द्वारा बंधे हुए होते हैं तब एक रेशेदार संरचना बनती है। इस प्रकार के प्रोटीन (Protein and amino acids) पानी में नहीं घुलते। उदहारण:- keratin, myosin आदि।

प्रोटीन के कार्य

1. कोलेजन (collagen): कोलेजन शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन है और शरीर में हमारे बालों, त्वचा, नाखून, हड्डियों, लिगामेंट्स (ligaments) और टेनडंस (tendons) को संरचना देने में मदद करता है। इसका मुख्य कार्य है कि यह तंतुमय (रेशेदार) संयोजी ऊतक के निर्माण में प्रयुक्त होता है। अस्थि व कार्टिलेज के आधार पदार्थ का भी निर्माण करता हैं।
2. फ़ाइब्राइन (Fibroin): फ़ाइब्राइन मकड़ियों द्वारा बनाई गई रेशम में एक अघुलनशील प्रोटीन है अर्थार्त यह रेशम या मकड़ियों के धागे का निर्माण करता है।
3. केराटिन (Keratin): केराटिन तंतुमय (रेशेदार) संरचनात्मक प्रोटीन में से एक है. केराटिन प्रोटीन क्षति या तनाव से उपकला कोशिकाओं (epithelial cells) की सुरक्षा करता है। यह मानव त्वचा की बाहरी परत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। केराटिन प्रोटीन का मुख्य कार्य है कि यह त्वचा, बाल, नाखून, सींग, खुर के निर्माण में सहायक होते है।
4. इलास्टिन (Elastin) : यह भी तंतुमय प्रोटीन है, जो लिगामेंट्स व रुधिर वाहिनियों के पीले ऊतक में मिलता है। इलास्टिन संयोजी ऊतकों में भी पाया जाता है परन्तु कोलेजन की तुलना में एक अलग प्रकार का प्रोटीन है। इसमें लचीलेपन की प्रॉपर्टी होती है. यह शरीर में ऊतकों को बढ़ाकर या अनुबंधित होने के बाद अपने मूल आकार में “वापस स्नैप” में आ जाता है।
5. गोसिपिन (Gossypin): गोसिपिन एक कपास प्रोटीन (Protein and amino acids) है, जो कीट नाशक के रूप में प्रयुक्त होता है।
6. एक्टिन एवं मायोसिन (Actin and Myosin): आमतौर पर मायोसिन के साथ मिलकर एक्टिन फिलामेंट्स, कई प्रकार के सेल मूवमेंट्स कराता हैं। मायोसिन एक आणविक मोटर का प्रोटोटाइप प्रोटीन है जो कि एटीपी के रूप में रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है, जिससे कारण फ़ोर्स और मूवमेंट होता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण मांसपेशी संकुचन (muscle contraction) है. इसलिए यह सभी कंकालीय पेशियों में संकुचनशीलता का हेतु हैं।
7. ग्लाएडिन (Gliadin): ग्लूटेन एक प्रोटीन है जो खाद्य पदार्थों में प्रयुक्त होता है जब दो अन्य प्रोटीन, ग्लाएडिन और ग्लूटेनिन मिलते हैं। ग्लाएडिन प्रोटीन गेहूँ में पाया जाता है।
8. जिन (Zein) : यह मक्का में पाये जाने वाला प्रोटीन है।
9. ग्लोब्युलिन (Globulin): ग्लोबुलिन, ग्लोबुलर प्रोटीन का ही हिस्सा है जिसका एल्ब्यूमिन से भी अधिक आणविक वजन है और शुद्ध पानी में अघुलनशील होता है, लेकिन नमक के पानी में यह घुल जाता है। कुछ ग्लोब्युलिन लीवर में बनते हैं, जबकि अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाए जाते हैं. यह प्रोटीन अंडे में पाया जाता है।
10. केसीन (Casein): केसीन प्रोटीन शारीर में धीरे-धीरे पचता है, इसमें अपचयी गुण होते हैं, जिसका मतलब यह है कि भोजन की अनुपस्थिति में भी यह प्रोटीन मांसपेशियों को टूटने नहीं देता है। यह दूध, दही, पनीर आदि में पाया जाता है।
11. ग्लूटेलिन्स (Glutelins): अनाज में पाया जाने वाला प्रोटीन है।
12. प्रोलामिन (Prolamin): प्रोलामिन पौध भंडारण प्रोटीन का एक समूह है जिसमें एक उच्च प्रोलीन सामग्री होती है. यह दालों में पाया जाता है।
13. फाइब्रिनोजन तथा थ्रोम्बिन (Fibrinogen and Thrombin): यह प्रोटीन चोट लगने पर रुधिर का थक्का बनाकर रक्तस्त्राव को रोकता है।
14. हिस्टोन (Histone): यह न्यूक्लिओ प्रोटीन है जो अनुवांशिक लक्षणों के विकास एवं वंशागति का नियंत्रण करता हैं।
15. ग्लोबिन (Globin): यह रुधिर में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो हीमोग्लोबिन के रूप में ऑक्सीजन का संवहन करता है।
16. साइटोक्रोम (Cytochrome): यह माइटोकॉन्ड्रिया में पाये जाने वाला प्रोटीन है जो श्वसन-प्रक्रिया को पूर्ण करने में सहायता करता है।
17. एंटीबॉडीज (Antibodies): यह सुरक्षात्मक प्रोटीन होता है जो हानिकारक पदार्थों तथा आक्रमणकारी जीवाणुओं आदि से शारीर की सुरक्षा करता है।

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