जल्लीकट्टू क्या है?

पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार की वकालत करने वाले पशु अधिकार संगठन पेटा ने तमिलनाडू सरकार से जल्लीकट्टू खेल को आयोजित करने के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया है।

जल्लीकट्टू क्या है?

जल्लीकट्टू ‘मट्टू पोंगल’ के दिन आयोजित किया जाने वाला एक परंपरागत खेल है; जिसमें बैलों को इंसानों द्वारा नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है;। मट्टू पोंगल तमिलनाडू में चार दिन तक चलने वाले त्योहार पोंगल के तीसरे दिन मनाया जाता है।

जल्ली कट्टू तमिल शास्त्रीय युग (400-100 ईसा पूर्व) से संबंधित एक प्राचीन खेल है;। इसका वर्णन प्रसिद्ध तमिल महाकाव्य शिलप्पदिकारम और दो अन्य ग्रन्थों मालीपादुकादम और कालीथोगई में भी मिलता है। इसके अलावा; एक 2500 साल पुरानी गुफा पेंटिंग में एक बैल को नियंत्रित करने वाले एक आदमी को दर्शाया गया है; जिसे इसी खेल से जोड़ा जाता है।

जल्लीकट्टू को येरुथा ज़ुवुथल, मदु पिदिथल, पोलरुधु पिदिथल जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।

जल्लीकट्टू से जुड़ा विवाद

2010 में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया की अगुवाई में हुई एक जाँच कहा गया; कि जल्लीकट्टू स्वाभाविक रूप से जानवरों के लिए क्रूर है;। इसके बाद से भारतीय पशु संरक्षण संगठनों के संघ (FIAPO) और पेटा इंडिया जैसे पशु कल्याण संगठनों ने इस प्रथा का विरोध करना शुरू कर दिया है।

वर्ष 2014 में पेटा की एक याचिका पर सुनवाई करने के बाद माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जल्लीकट्टू को प्रतिबंधित कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद राज्य भर में भारी विरोध प्रदर्शन हुये। इसके बाद 2017 में तमिलनाडू सरकार ने सर्वसम्मति से पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में संशोधन करने के लिए “सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बैल की देशी नस्लों के अस्तित्व और निरंतरता को सुनिश्चित करने” के लिए एक कानून बनाया; और इसके बाद जल्लीकट्टू आयोजन पर प्रतिबंध भी समाप्त हो गया। 

हालांकि अभी भी भारतीय पशु संरक्षण संगठनों के संघ (FIAPO) और पेटा इंडिया जैसे पशु कल्याण संगठनों समेत पशु प्रेमियों द्वारा इस प्रथा का विरोध किया जाता है।

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