अनुच्छेद 231 (Article 231 in Hindi) – दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
(1) इस अध्याय के पूर्ववर्ती उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, संसद, विधि द्वारा, दो या अधिक राज्यों के लिए अथवा दो या अधिक राज्यों और किसी संघ राज्यक्षेत्र के लिए एक ही उच्च न्यायालय स्थापित कर सकेगी।
(2) किसी ऐसे उच्च न्यायालय के संबंध में, —
- (क) अनुच्छेद 217 में उस राज्य के राज्यपाल के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उन सभी राज्यों के राज्यपालों के प्रति निर्देश है जिनके संबंध में वह उच्च न्यायालय अधिकारिता का प्रयोग करता है;
- (ख) अधीनस्थ न्यायालयों के लिए किन्हीं नियमों, प्रारूपों या सारणियों के संबंध में, अनुच्छेद 227 में राज्यपाल के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह उस राज्य के राज्यपाल के प्रति निर्देश है जिसमें वे अधीनस्थ न्यायालय स्थित हैं; और
- (ग) अनुच्छेद 219 और अनुच्छेद 229 में राज्य के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा; कि वे उस राज्य के प्रति निर्देश है, जिसमें उस उच्च न्यायालय का मुख्य स्थान है:
परंतु यदि ऐसा मुख्य स्थान किसी संघ राज्यक्षेत्र में है तो अनुच्छेद 219 और अनुच्छेद 229 में राज्य के, राज्यपाल, लोक सेवा आयोग, विधान-मंडल और संचित निधि के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे क्रमश: राष्ट्रपति, संघ लोक सेवा आयोग, संसद और भारत की संचित निधि के प्रति निर्देश हैं।
अनुच्छेद 231 – उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्यक्षेत्रों पर विस्तार
संविधान के अनुच्छेद 231 के अनुसार, संसद, विधि द्वारा दो या अधिक राज्यों के लिए अथवा दो या अधिक राज्यों और किसी संघ राज्यक्षेत्र के लिए एक ही उच्च न्यायालय स्थापित कर सकेगी।
वर्तमान में देश में 24 उच्च न्यायालय हैं; इनमें से 3 साझा उच्च न्यायालय हैं। केवल दिल्ली एक ऐसा संघ राज्य क्षेत्र है; जिसका अपना उच्च न्यायालय 1966 से है।
ऐसे तीन उच्च न्यायालय है; जिनकी अधिकारिता दो या दो से अधिक राज्यो पे है। (संघ राज्य क्षेत्र शामिल नहीं)
- मुम्बई उच्च न्यायालय- महाराष्ट और गोवा
- चंडीगढ़ उच्च न्यायालय – पंजाब और हरियाणा
- गुवाहाटी उच्च न्यायालय – असम, नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश