ब्रह्मगुप्त द्वारा विज्ञान के विकास में योगदान

ब्रह्मगुप्त एक भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे। वह गणित और खगोल विज्ञान पर दो प्रारंभिक कार्यों के लेखक हैं: ब्रह्मस्फुशसिद्धांत, एक सैद्धांतिक ग्रंथ, और खकखाद्यक, एक अधिक व्यावहारिक पाठ। शून्य से गणना करने के नियम देने वाले पहले ब्रह्मगुप्त थे

ब्रह्म गुप्त का जीवन परिचय (Biography of Brahmagupta)

  • ब्रह्मगुप्त का जन्म 598 ई. में भीनमाल नगर (राजस्थान) में हुआ था, जिस कारण इन्हें भिल्‍लमाल आचार्य भी कहा जाता था।
  • इनका सबसे पहला ग्रंथ ब्रह्मस्फुट सिद्धांत था जिसमें शून्य की गणना एक अलग अंक के रूप में की गई है।
  • इस ग्रंथ में ऋणात्मक अंकों और शून्य को हल करने के सभी नियम भी दिये गए हैं।
  • ब्रह्मस्फुट सिद्धांत का 2वाँ अध्याय गणित, अंकगणितीय श्रृंखलाओं तथा ज्यामिति के बारे में है। इसके 8वें अध्याय कुट्टक (बीजगणित) में आर्यभट्ट के रैखिक अनिर्धार्य समीकरण  के हल की विधि की चर्चा है।
  • ब्रह्मगुप्त के द्वारा किसी वृत्त के क्षेत्रफल को उसके समान क्षेत्रफल वाले वर्ग से स्थानांतरण को भी हल किया गया है।
  • बीजगणित के जिस प्रकरण के तहत अनिर्धार्य समीकरणों का अध्ययन किया जाता है; उसका पुराना नाम कुट्टक है; ब्रह्मगुप्त द्वारा इसे कुट्ूटक गणित कहा जाता था।
  • त्रह्मगुप्त के द्वारा द्विघात समीकरणों के हल की विधि खोजी गई। इस विधि का नाम चक्रवाल विधि है।
  • ब्रह्मगुप्त के द्वारा ज्ञात पृथ्वी की परिधि वर्तमान परिधि के मान के अत्यधिक निकट है।
  • ब्रह्म गुप्त गणित के सिद्धांतों का ज्योतिष में प्रयोग करने वाले प्रथम व्यक्ति थे।
  • ब्रह्मगुप्त ने बताया कि चक्रीय च॒तुर्भुज के विकर्ण परस्पर लंबवतू्‌ होते हैं। इन्होंने चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्रफल निकालने का सन्निकट सूत्र और यथावत्‌ सूत्र दिया।

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ब्रह्मगुप्त ने किसकी खोज की?

ब्रह्मगुप्त ने द्विघातीय अनिर्धार्य समीकरणों (Nx2 + 1 = y2) के हल की विधि भी खोज निकाली। 

ब्रह्म गुप्त का जन्म कब हुआ था?

ब्रह्मगुप्त का जन्म 598 ई. में भीनमाल नगर (राजस्थान) में हुआ था

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