भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan biography) को संख्या का जादूगर भी कहा जाता है, अपनी प्रतिभा और मौलिक शक्ति से उन्होंने कई महान रिसर्च किए। जी हां श्रीनिवास साहब ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में बिना किसी औपचारिक शिक्षा के मैथेमेटिकल थियोरम की खोज शुरू की थी और महज 32 साल की उम्र में गणित के करीब 3900 सिद्धांत बनाए।
श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan biography in hindi)
- इनका जन्म 22 सितंबर, 887 को दक्षिण भारत के कोयंबदूर में इरोड नामक स्थान पर हुआ था।
- इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता श्रीनिवास आयंगर तथा माता कोमलताम्मल थीं।
- इन्होंने मात्र दस वर्ष की आयु में प्राइमरी परीक्षा में पूरे ज्िले में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।
- रामानुजन अपने अध्यापकों से निरंतर प्रश्न पूछते थे। कभी-कभी इनके प्रश्न इतने जटिल होते थे कि अध्यापक उनका उत्तर सहज रूप से नहीं दे पाते थे।
- भारत के गुलामी के काल में एक अश्वेत व्यक्ति होते हुए भी रामानुजन को रॉयल सोसायटी का फेलो नामित किया गया।
- रॉयल सोसायटी के पूरे इतिहास में रामानुजन से कम उम्र का कोई सदस्य आज तक नहीं हुआ।
- ये बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
श्रीनिवास रामानुजन द्वारा विज्ञान के विकास में योगदान
- इन्होंने अपने जीवन काल में गणित की 3,884 प्रमेयों का संकलन किया; इनमें से अधिकांश प्रमेयों को सिद्ध किया जा चुका है।
- इनके द्वारा गणित पर शोध और बहुत से मौलिक एवं अपारंपरिक परिणाम दिये गए; जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रहे हैं। यद्यपि इनकी कुछ खोजों को गणित की मुख्यधारा में अब तक नहीं अपनाया गया है।
- इनके द्वारा प्रतिपादित कई सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है।
- इन्होंने बीजगणित प्रकलन में भी योगदान दिया। इनके कार्य से प्रभावित होकर गणित के क्षेत्र में हो रहे कार्यों के लिये रामानुजन जर्नल की स्थापना की गई।
- इनका पुराना रजिस्टर वर्ष 976 में अचानक ट्रिनिटी कॉलेज के पुस्तकालय में मिला; इसमें इनके द्वारा लिखे गए कई प्रमेय और सूत्र प्राप्त हुए हैं।
- इस रजिस्टर का प्रकाशन रामानुजन की नोटबुक नाम से टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (मुंबई) द्वारा किया गया।
- रामानुजन का कार्य करने का तरीका बड़ा विलक्षण था। ये कभी-कभी आधी रात को जागकर अपनी सलेट पर गणित के सूत्र लिखकर सो जाते थे।
- इनके इस कार्य से ऐसा महसूस होता है; कि ये सपने में भी गणित के प्रश्नों को हल करते थे।
- रामानुजन के कार्य करने की एक विशेषता यह भी थी; कि वे पहले गणित का कोई नया सूत्र या प्रमेय लिख देते थे, लेकिन उसकी उत्पत्ति पर उतना ध्यान नहीं देते थे।
- इन्होंने शून्य और अनंत के बीच के अंतर्सबंधों को समझने के लिये गणित के सूत्रों का सहारा लिया।
- इनका अध्यात्म के प्रति इतना गहरा विश्वास था; कि वे अपने गणित के क्षेत्र में किये गए किसी भी कार्य को अध्यात्म का ही एक अंग मानते थे।
- इनकी मृत्यु महज 33 वर्ष की आयु में ही हो गई; लेकिन श्रीनिवास रामानुजन अपने युग के महान गणितज्ञ थे।
- इन्होंने अपने अमूल्य योगदान के द्वारा विश्व में भारत को अपूर्व गौरव प्रदान किया।