विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के बारे में मुख्य बिंदु

  • स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization-WHO) की स्थापना वर्ष 1948 हुई थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
  • वर्तमान में 194 देश WHO के सदस्य हैं। 150 देशों में इसके कार्यालय होने के साथ-साथ इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है तथा सामान्यतः अपने सदस्य राष्ट्रों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहयोग से कार्य करता है।
  • WHO वैश्विक स्वास्थ्य मामलों पर नेतृत्व प्रदान करते हुए स्वास्थ्य अनुसंधान संबंधी एजेंडा को आकार देता है तथा विभिन्न मानदंड एवं मानक निर्धारित करता है।
  • WHO साक्ष्य-आधारित नीति विकल्पों को स्पष्ट करता है, देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है तथा स्वास्थ्य संबंधी रुझानों की निगरानी और मूल्यांकन करता है।
  • WHO ने 7 अप्रैल, 1948 से कार्य आरंभ किया, अतः वर्तमान में 7 अप्रैल को प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का उद्देश्य/कार्य:

  • अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी कार्यों पर निर्देशक एवं समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य करना।
  • संयुक्त राष्ट्र के साथ विशेष एजेंसियों, सरकारी स्वास्थ्य प्रशासन, पेशेवर समूहों और ऐसे अन्य संगठनों जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी हैं, के साथ प्रभावी सहयोग स्थापित करना एवं उसे बनाए रखना।
  • सरकारों के अनुरोध पर स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिये सहायता प्रदान करना।
  • ऐसे वैज्ञानिक और पेशेवर समूहों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देना जो स्वास्थ्य प्रगति के क्षेत्र में योगदान करते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का संचालन

WHO का संचालन विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) के माध्यम से किया जाता है।

  • विश्व स्वास्थ्य सभा संस्था का मुख्य बिंदु
    • विश्व स्वास्थ्य सभा सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों से बनी होती है।
    • प्रत्येक सदस्य का प्रतिनिधित्व अधिकतम तीन प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है जिनमें से किसी एक को मुख्य प्रतिनिधि के रूप में नामित किया जाता है।
    • इन प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी तकनीकी क्षमता के आधार पर सबसे योग्य व्यक्तियों में से चुना जाता है क्योंकि ये सदस्य राष्ट्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रशासन का अधिमान्य प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक नियमित वार्षिक सत्र और कभी-कभी विशेष सत्रों में भी आयोजित की जाती है।
  • विश्व स्वास्थ्य सभा के कार्य
    • विश्व स्वास्थ्य सभा WHO की नीतियों का निर्धारण करती है।
    • यह संगठन की वित्तीय नीतियों की निगरानी करती है एवं बजट की समीक्षा तथा अनुमोदन करती है।
    • यह WHO तथा संयुक्त राष्ट्र के मध्य होने वाले किसी भी समझौते के संदर्भ में आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council) को रिपोर्ट करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का वैश्विक योगदान

  • ये संबंधित देश की सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच प्राथमिक संपर्क बिंदु होते हैं।
  • ये स्वास्थ्य मामलों पर तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ प्रासंगिक वैश्विक मानकों और दिशा-निर्देशों को साझा करते हैं एवं सरकार के अनुरोधों तथा आवश्यक मांगों को WHO के अन्य स्तरों तक पहुँचाते हैं।
  • ये देश के बाहर किसी बीमारी के फैलने के बारे में मेज़बान सरकार को सूचित करते हैं और उसके साथ मिलकर कार्य करते हैं।
  • ये देश में स्थित अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के कार्यालयों को सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सलाह एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  • सरकारों के अतिरिक्त WHO स्वयं भी अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, प्रदाताओं, गैर-सरकारी संगठनों (NGO) और निजी क्षेत्र के साथ समन्वय स्थापित करता है।
  • WHO के अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यों से सभी देश लाभान्वित होते हैं जिसमें सर्वाधिक विकसित देश भी शामिल हैं। उदाहरणार्थ- चेचक का वैश्विक उन्मूलन, क्षय रोग को नियंत्रित करने के बेहतर एवं सस्ते तरीकों का प्रसार आदि।
  • WHO का मानना है कि टीकाकरण से बचपन के छह प्रमुख संक्रामक रोगों – डिप्थीरिया, खसरा, पोलियोमाइलाइटिस, टिटनेस, क्षय रोग एवं काली खाँसी की रोकथाम होती है। 

WHO संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के सहयोग से सभी बच्चों के लिये प्रभावी टीकाकरण सुनिश्चित करने हेतु एक विश्वव्यापी अभियान का नेतृत्व कर रहा है।

WHO की ऐतिहासिक यात्रा

  • WHO ने अपनी स्थापना के पहले दशक (वर्ष 1948-58) के दौरान विकासशील देशों के लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले विशिष्ट संक्रामक रोगों पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया।
  • वर्ष 1958 से 1968 की अवधि में अफ्रीका में कई उपनिवेश स्वतंत्र हुए जो बाद में संगठन के सदस्य बन गए।
  • WHO ने 1960 के दशक में विश्व रासायनिक उद्योग (World Chemical Industry) के साथ मिलकर कार्य किया ताकि ओनोकोसेरिएसिस (रिवर ब्लाइंडनेस) और सिस्टोसोमियासिस (Schistosomiasis) के रोगवाहक से लड़ने के लिये नए कीटनाशक विकसित किये जा सकें।
  • बीमारियों एवं मृत्यु के कारणों की नामपद्धति का वैश्विक मानकीकरण करना अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संचार में WHO का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
  • WHO की स्थापना के तीसरे दशक (1968-78) में विश्व में चेचक उन्मूलन के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त हुई।
  • WHO की स्थापना के चौथे दशक (1978-88) की शुरुआत WHO और यूनिसेफ के एक वृहद् वैश्विक सम्मेलन द्वारा हुई। यह सम्मेलन सोवियत संघ के एशियाई हिस्से में स्थित एक शहर ‘अल्मा अता’ (Alma Ata) में आयोजित किया गया था।
  • WHO की स्थापना के 30 वर्षों के उपरांत 134 सदस्य राष्ट्रों ने समान प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की जो कि इसके ध्येय वाक्य ‘सभी के लिये स्वास्थ्य’ (Health for All) में सन्निहित है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1980 में सभी के लिये सुरक्षित पेयजल एवं पर्याप्त उत्सर्जन निपटान के प्रावधान हेतु की गई ‘अंतर्राष्ट्रीय पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता दशक’ (वर्ष 1981-90) की घोषणा WHO द्वारा समर्थित थी।
  • इस अवधि में प्रत्येक देश को वैश्विक बाज़ारों में बेचे जाने वाले हजारों ब्रांड के उत्पादों के बजाय सभी सार्वजनिक सुविधाओं में उपयोग के लिये ‘आवश्यक दवाओं’ की एक सूची विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया गया था।
  • ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी द्वारा संपूर्ण विश्व में शिशुओं में होने वाली डायरिया नामक बीमारी पर नियंत्रण एक और बड़ी सफलता थी जो कि बहुत ही सरल सिद्धांतों पर आधारित थी।
  • वर्ष 1995 में कांगो में इबोला वायरस का प्रकोप जिससे WHO तीन महीने तक अनभिज्ञ रहा, ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी एवं अधिसूचना प्रणालियों की एक चौंकाने वाली कमी का खुलासा किया।
  • अतः वर्ष 1997 में WHO ने कनाडा के साथ मिलकर ‘ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इंटेलिजेंस नेटवर्क’ (Global Public Health Intelligence Network-GPHIN) को सभी जगह प्रसारित किया जिसने संभावित महामारियों की सूचना देने के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करने हेतु इंटरनेट तकनीक का लाभ उठाया।
  • WHO ने वर्ष 2000 में GPHIN को ‘ग्लोबल आउटब्रेक अलर्ट रिस्पांस नेटवर्क’ (Global Outbreak Alert Response Network-GOARN) के साथ घटनाओं का विश्लेषण करने के लिये जोड़ दिया।
  • GOARN ने 120 नेटवर्क एवं संस्थानों को किसी भी संकट के प्रति तीव्र कार्रवाई करने के उद्देश्य से डेटा प्रयोगशालाओं, कौशल एवं अनुभव के साथ जोड़ दिया।

WHO द्वारा किये गए अन्य प्रयास

  • WHO ने कैंसर से निपटने के लिये भी अपने प्रयासों में वृद्धि की है जो समृद्ध राष्ट्रों की तरह ही अब विकासशील देशों में भी मौतों का कारण बन रहा है।
  • तंबाकू पुरुषों एवं महिलाओं दोनों की होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है।
  • इन मौतों को रोकने के लिये WHO द्वारा प्रत्येक देश में तंबाकू के सेवन को प्रतिबंधित करने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
  • एड्स की विश्वव्यापी महामारी ने इस घातक यौन संचारित वायरस के प्रसार को रोकने के लिये बढ़ते वैश्विक प्रयासों के बीच WHO के लिये एक और चुनौती पेश की है।
    • WHO एचआईवी पीड़ितों के स्व-परीक्षण की सुविधा पर कार्य कर रहा है ताकि HIV
    • पीड़ित अधिक लोगों को उनकी स्थिति का पता चल सके और वे सही उपचार प्राप्त कर सकें।
  • आज पुरे विश्व में COVID-19 अपना कोहराम मचा रहा है। इस बीच कोरोना वायरस की विश्वव्यापी महामारी के इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिये बढ़ते वैश्विक प्रयासों के बीच WHO एक चुनौती का सामना कर रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की संगठनात्मक चुनौतियाँ

  • WHO देशों से सुरक्षित वित्तपोषण के बजाय मुख्य रूप से समृद्ध देशों एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसी संस्थाओं द्वारा प्रदत्त फंड्स पर निर्भर है।
  • परिणामस्वरूप वर्तमान में WHO का 80% वित्त उन कार्यक्रमों से संबंधित है जिन्हें फंड देने वालों द्वारा चुना जाता है। WHO के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम अल्प वित्तपोषित हैं क्योंकि इन कार्यक्रमों को निर्धारित करने में फंड देने वाली संस्थाओं और समृद्ध एवं विकसित देशों के बीच हितों का टकराव होता है।
  • नतीजतन वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक प्रतिनिधि के रूप में WHO की भूमिका को विश्व बैंक जैसे अन्य अंतर-सरकारी निकायों द्वारा और बड़े प्रतिष्ठानों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
  • वर्ष 2014 में पश्चिम अफ्रीका में फैली इबोला महामारी को खत्म करने में इसके अपर्याप्त प्रदर्शन के बाद संगठन की प्रभावकारिता सवालों के घेरे में आ गई है।
  • WHO में अपर्याप्त वित्तपोषण, योजना, कर्मचारी एवं पदाधिकारियों की कमी भी इसकी एक प्रमुख चुनौती है।

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