भारत की मिट्टी के प्रकार

मृदा प्रकार मिट्टी विज्ञान में एक वर्गीकरण इकाई है। अच्छी तरह से परिभाषित गुणों के एक निश्चित सेट को साझा करने वाली सभी मिट्टी एक विशिष्ट मिट्टी के प्रकार का निर्माण करती है। मृदा प्रकार मृदा वर्गीकरण का एक पारिभाषिक शब्द है, विज्ञान जो मिट्टी के व्यवस्थित वर्गीकरण से संबंधित है। दुनिया की हर मिट्टी एक निश्चित मिट्टी के प्रकार की होती है।

भारत देश में विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ पाई जाती हैं। भारतीय मिट्टी का सर्वेक्षण (survey of Indian soils) कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने किया है, इंडियन एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट, दिल्ली के survey पर आधारित कुछ विभिन्न प्रकार के मिट्टी है। आये जानते हैं :-

भारत की मिट्टी के प्रकार

कणों (texture) के आधार पर मिट्टी को कई वर्गों में बांटा जा सकता है। मिट्टी के किसी नमूने में उपस्थित विभिन्न खनिज-कणों के आकार के आधार बनाकर यह वर्गीकरण किया जाता है।

भारत में मिट्टी के प्रकार निम्न है –

  • जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)
  • काली मिट्टी (Black Soil)
  • लाल मिट्टी (Red Soil)
  • लैटेराइट मिट्टी (बलुई – Laterite Soil)
  • रेतीली मिट्टी (रेगिस्तानी -Desert Soil)

1.जलोढ़ मिट्टी :-

  • जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil) को दोमट और कछार मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है।
  • नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी कहते हैं। यह मिट्टी हमारे देश के समस्त उत्तरी मैदान में पाई जाती है।
  • प्रकृति से यह एक उपजाऊ मिट्टी होती है। उत्तरी भारत में जो जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है, वह तीन मुख्य नदियों द्वारा लाई जाती है – सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र।
  • यह मिट्टी राजस्थान के उत्तरी भाग, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिमी बंगाल तथा असम के आधे भाग में पाई जाती है।
  • भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी भाग में पूर्वी तट पर भी जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है। यह मिट्टी कृषि के लिए बहुत उपयोगी है।

2. काली मिट्टी

  • काली मिट्टी (Black Soil) में एक विशेषता है कि यह नमी को अधिक समय तक बनाये रखती है।
  • इस मिट्टी को कपास की मिट्टी या रेगड़ मिट्टी भी कहते हैं। काली मिट्टी कपास की उपज के लिए महत्त्वपूर्ण है, यह मिट्टी लावा प्रदेश में पाई जाती है।
  • इस प्रकार इस मिट्टी के क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश का पश्चिमी भाग और मैसूर का उत्तरी भाग आते हैं।

3. लाल मिट्टी

  • यह चट्टानों की कटी हुई मिट्टी है। यह मिट्टी अधिकतर दक्षिणी भारत में मिलती है।
  • लाल मिट्टी (Red Soil) के क्षेत्र महाराष्ट्र के दक्षिण-पूर्वी भाग में, मद्रास में, आंध्र में, मैसूर में और मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में, उड़ीसा, झारखण्ड के छोटा नागपुर प्रदेश में और पश्चिमी बंगाल तक फैले हुए हैं।

4. लैटेराइट मिट्टी

  • लैटेराइट मिट्टी (Laterite Soil) के क्षेत्र दक्षिणी प्रायद्वीप के दक्षिण-पूर्व की ओर पतली पट्टी के रूप में मिलते हैं।
  • इन मिट्टियों को पश्चिम बंगाल से असम तक देखा जा सकता है।

5. रेगिस्तानी मिट्टी

  • यह मिट्टी राजस्थान के थार प्रदेश में, पंजाब के दक्षिणी भाग में और राजस्थान के कुछ अन्य भागों में मिलती है।
  • थार मरुस्थल ही लगभग 1,03,600 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक फैला हुआ है।

नोट: जलोढ़, काली, लाल और पीली मिट्टियाँ पोटाश और चूने से युक्त होती हैं, परन्तु उनमें फास्फोरिक एसिड, नाइट्रोजन और ह्यूमस की कमी होती है। लैटेराइट मिट्टी और रेतीली मिट्टी में ह्यूमस बहुत मिलता है परन्तु अन्य तत्त्वों की कमी होती है।

भारत की मिट्टी का उपजाऊपन

उपज की दृष्टि से मिट्टी इतनी दृढ़ होनी चाहिए कि पौधों की जड़ों को पकड़ सके और दूसरी ओर इतनी मुलायम भी होनी चाहिए कि उससे जल को पूर्णतः सोख लिया जा सके। मिट्टी के उपजाऊ पन के पीछे मिट्टी में संतुलित मात्रा में क्षार यानी salts का होना भी आवश्यक है।

भारत देश में गंगा-जमुना के दोआब प्रदेश, पूर्वी तट और पश्चिमी तट के प्रदेश और कुछ-कुछ लावा प्रदेश में उपजाऊ मिट्टी पाई जाती है। थार प्रदेश, गुजरात और पर्वर्तीय प्रदेश में बहुत कम उपजाऊ मिट्टियाँ मिलती हैं।

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