कौन थी क्रांतिकारी दुर्गा भाभी?

केन्द्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने इलाहाबाद संग्रहालय में “आजाद गैलरी” बनाने का निर्णय किया है। शहीद चंद्रशेखर आजाद के साथ-साथ आजादी की लड़ाई में अमूल्य योगदान देने वाली क्रांतिकारी दुर्गा भाभी और मौलवी लियाकत अली को भी “आजाद गैलरी” का हिस्सा बनाया जाएगा।

कौन थी क्रांतिकारी दुर्गा भाभी?

क्रांतिकारी दुर्गा देवी का जन्म 7 अक्टूबर 1907 को इलाहाबाद में हुआ था; इनका विवाह ग्यारह वर्ष की आयु में ही नेशनल कालेज लाहौर के विद्यार्थी पन्द्रह वर्षीय भगवतीचरण वोहरा से हो गया था।

दुर्गा भाभी नौजवान भारत सभा की सक्रिय सदस्य थी और इनका नाम विषेशरूप से चर्चा में तब आया जब, नौजवान भारत सभा ने 16 नवम्बर 1926 को शहीद करतार सिंह सराबा की शहादत का ग्यारहवीं वर्षगाँठ मनाने का निश्चय किया; जिन्हें मात्र 19 वर्ष की आयु में ही फांसी दे दी गयी थी।

सन 1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलायी गई बैठक की अध्यक्षता भी दुर्गा भाभी ने ही की थी। दुर्गा भाभी का काम साथी क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से पिस्तौल लाना व ले जाना था।

दुर्गा देवी ने 18 दिसम्बर, 1928 को वेश बदलकर क्रांतिकारी भगतसिंह के साथ कलकत्ता मेल से यात्रा भी की थी।

9 अक्टूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी; जिसमें गवर्नर हैली तो बच गया लेकिन सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया। मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी; जिसके परिणाम स्वरूप अंग्रेज पुलिस इनके पीछे पड़ गई।

14 सितम्बर 1932 को पुलिस ने दुर्गा भाभी को गिरफ्तार कर लिया; लेकिन सबूतों के अभाव में दुर्गा भाभी को को रिहा कर दिया गया।

इन्होने गाजियाबाद के प्यारेलाल गर्ल्स स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य किया; और बाद में अड्यार में माण्टेसरी का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया;। वर्ष 1940 में इन्होने लखनऊ में पहला माण्टेसरी स्कूल खोला।

14 अक्टूबर 1999 को दुर्गा देवी का निधन हो गया।

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