सम्पर्क भाषा क्या है? इसके प्रकार, महत्व व दुष्प्रभाव

आजकल सम्पर्क भाषा या संचार भाषा (communication language) का उपयोग लोगों के बीच संवाद के लिए बहुत आवश्यक हो गया है। इस भाषा का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है जैसे कि बैंकिंग, व्यवसाय, उद्योग, सेवा क्षेत्र, सामाजिक संगठन और शिक्षा आदि। यह भाषा संवाद को सरल बनाने के लिए एक माध्यम के रूप में काम करती है।

सम्पर्क भाषा आमतौर पर अंग्रेजी या कोई अन्य राष्ट्रीय भाषा होती है जो एक संवाद को समझने में मदद करती है। इस भाषा का उपयोग लोगों के बीच भाषा बैंकिंग और अन्य वित्तीय संबंधों में किया जाता है। लोगों को अपनी मातृभाषा के अलावा एक अन्य भाषा का ज्ञान होना चाहिए ताकि वे अपने व्यवसाय को अधिक व्यापक तरीके से बढ़ा सकें।

सम्पर्क भाषा किसे कहते हैं? (What is communication language)

सम्पर्क भाषा का अर्थ होता है दो व्यक्तियों या समूहों के बीच संवाद के लिए उपयोग की जाने वाली भाषा। इसे आम तौर पर संचार भाषा या संचार का माध्यम भाषा भी कहा जाता है। सम्पर्क भाषा का उपयोग अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में भाषा बैंकिंग, व्यवसाय, व्यापार, औद्योगिक उत्पादन, सेवा क्षेत्र, सामाजिक संगठन और शिक्षा आदि में होता है।

डॉ. विजयपाल सिंह के मतानुसार, “वह भाषा जो दो भिन्न भाषा-भाषी अथवा एक भाषा की दो मित्र उपभाषाओं के मध्य अथवा अनेक बोलियाँ बोलने वालों के मध्य संपर्क का माध्यम होती है, जिसके माध्यम से भावों एवं विचारों में आदान प्रदान किया जाता है, ‘सम्पर्क भाषा’ कहलाती है।

सम्पर्क भाषा के प्रकार (Types of communication language)

सम्पर्क भाषा (communication language) के विभिन्न प्रकार होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. व्यवसायिक सम्पर्क भाषा

यह सम्पर्क भाषा व्यवसाय या कारोबार से संबंधित होती है। इसमें उद्योग, वित्त, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, वित्तीय विपणन और व्यापार शामिल होते हैं।

2. सामाजिक सम्पर्क भाषा

इस प्रकार की सम्पर्क भाषा में सामाजिक संबंधों से संबंधित शब्दों का उपयोग किया जाता है। इसमें परिवार, मित्र, समुदाय, समाज और आदिक शामिल होते हैं।

3. शैक्षणिक सम्पर्क भाषा

यह सम्पर्क भाषा शैक्षणिक संस्थानों या विभिन्न विषयों से संबंधित होती है। इसमें विद्यार्थियों, शिक्षकों, विद्यालयों और कॉलेजों से संबंधित शब्दों का उपयोग किया जाता है।

4. सरकारी सम्पर्क भाषा

इस प्रकार की सम्पर्क भाषा में सरकार या सरकारी विभाग से संबंधित शब्दों का उपयोग किया जाता है। इसमें विभिन्न सरकारी विभागों, नीतियों, योजनाओं के संबंधित शब्दों का उपयोग किया जाता है।

सम्पर्क भाषा का महत्व

सम्पर्क भाषा (communication language) आज के दौर में बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। व्यावसायिक, सामाजिक, शैक्षणिक या सरकारी स्तर पर, सम्पर्क भाषा एक बुनियादी संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसका महत्व निम्नलिखित कारणों से होता है:

अधिकांश कंपनियों के लिए सम्पर्क भाषा एक आवश्यकता होती है। व्यावसायिक सम्पर्क भाषा के माध्यम से, व्यवसायियों के बीच संचार करना आसान हो जाता है और वे अपने व्यापार को बढ़ाने में सक्षम होते हैं। समाज के साथ संचार में भी सम्पर्क भाषा का उपयोग किया जाता है। इससे लोग अपनी समस्याओं और अन्य जरूरतों को समझाने में सक्षम होते हैं और उन्हें समाधान प्राप्त करने में मदद मिलती है। शैक्षणिक सम्पर्क भाषा के माध्यम से, विद्यार्थी और शिक्षक अपने विषय से संबंधित जानकारी साझा कर सकते हैं और आपस में संवाद कर सकते हैं।

सम्पर्क भाषा का दुसप्रभाव

जब दो या दो से अधिक भाषाओं का संघटित रूप सम्पर्क भाषा उत्पन्न होता है, तो इसके दुष्प्रभाव भी होते हैं। सम्पर्क भाषा के विकास से पहले उन भाषाओं के अधिकांश शब्द और व्याकरण निश्चित रूप से ही विलुप्त हो जाते हैं। इस तरह की भाषा विलुप्ति के कारण अनेक भाषाएं गायब होती हैं तथा इसमें अनेक विषमताएं भी शामिल होती हैं जो उसे असामान्य बना सकती हैं। इससे उस भाषा को समझना और सीखना कठिन हो सकता है तथा विकास से भाषाओं के बीच संज्ञानात्मक संघर्ष उत्पन्न हो सकता है। इससे लोग एक दूसरे को समझने में असफल हो सकते हैं और इससे मिशनाओं की भ्रमिति भी हो सकती है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, सम्पर्क भाषा (communication language) दो या दो से अधिक भाषाओं के संघटित रूप होती है और इसका महत्व आज के समय में बहुत अधिक हो गया है। यह व्यक्तियों और देशों के बीच संचार के लिए एक माध्यम है जो संचार की समस्याओं को कम करता है और अधिक संचार को सुगम बनाता है।

हालांकि, जैसा कि हमने देखा है, सम्पर्क भाषा के कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं, जो इसे असामान्य बना सकते हैं और संज्ञानात्मक संघर्ष को उत्पन्न कर सकते हैं।

सम्पर्क भाषा (communication language) का उपयोग आज के समय में विश्व स्तर पर होता है और इसे सीखना और इसे उपयोग करना अहम होता है। सम्पर्क भाषा अपनी अहमियत को बनाए रखने वाली है, क्योंकि इससे अलग-अलग भाषाओं के बीच संवाद और समझौता संभव होता है।

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