अनुच्छेद- 233A | भारत का संविधान

अनुच्छेद 233A (Article 233A in Hindi) – कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्तियों का और उनके द्वारा किए गए निर्णयों आदि का विधिमान्यकरण

किसी न्यायालय का काई निर्णय, डिक्री या आदेश होते हुए भी,–

(क) उस व्यक्ति की जो राज्य की न्यायिक सेवा में पहले से ही है या उस व्यक्ति की, जो कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता या लीडर रहा है, उस राज्य में जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की बाबत, और ऐसे व्यक्ति की जिला न्यायाधीश के रूप में पदस्थापना, प्रोन्नति या अंतरण की बाबत, जो संविधान (बीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1966 के प्रारंभ से पहले किसी समय अनुच्छेद 233 या अनुच्छेद 235 के उपबंधों के अनुसार न करके अन्यथा किया गया है, केवल इस तनय के कारण कि ऐसी नियुक्ति, पदस्थापना, प्रोन्नति या अंतरण उक्त उपबंधों के अनुसार नहीं किया गया था, यह नहीं समझा जाएगा कि वह अवैध या शून्य है या कभी भी अवैध या शून्य रहा था ;

(ख) किसी राज्य में जिला न्यायाधीश के रूप में अनुच्छेद 233 या अनुच्छेद 235 के उपबंधों के अनुसार न करके अन्यथा नियुक्त, पदस्थापित, प्रोन्नत या अंतरित किसी व्यक्ति द्वारा या उसके समक्ष संविधान (बीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1966 के प्रारंभ से पहले प्रयुक्त अधिकारिता की, पारित किए गए या दिए गए निर्णय, डिक्री, दंडादेश या आदेश की और किए गए अन्य कार्य या कार्यवाही की बाबत,  केवल इस तनय के कारण कि ऐसी नियुक्ति, पदस्थापना, प्रोन्नति या अंतरण उक्त उपबंधों के अनुसार नहीं किया गया था, यह नहीं समझा जाएगा कि वह अवैध या अधिमान्य है या कभी भी अवैध या अधिमान्य रहा था।

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