अनुच्छेद- 185 | भारत का संविधान

अनुच्छेद 185 (Article 185 in Hindi) – अध्यक्ष या उपसभापति को पद से हटाने का प्रस्ताव विचाराधीन होने के दौरान अध्यक्षता नहीं करना

(1) विधान परिषद् की किसी बैठक में, जब सभापति को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब सभापति, या जब उपसभापति को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उपसभापति, उपस्थित रहने पर भी पीठासीन नहीं होगा और अनुच्छेद 184 के खंड (2) के उपबंध ऐसी प्रत्येक बैठक के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उस बैठक के संबंध में लागू होते हैं जिससे, यथास्थिति, सभापति या उपसभापति अनुपस्थित है।

(2) सभापति को विधान परिषद में बोलने और अन्यथा उजब सभापति को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विधान परिषद् में विचाराधीन है तब उसको विधान परिषद् में बोलने और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग लेने का अधिकार होगा और वह अनुच्छेद 189 में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे संकल्प पर या ऐसी कार्यवाहियों के दौरान किसी अन्य विषय पर प्रथमतः ही मत देने का हकदार होगा किन्तु मत बराबर होने की दशा में मत देने का हकदार नहीं होगा।

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अनुच्छेद 185 के अनुसार,सभापति के पद से हटाने का कोई संकल्प परिषद में विचाराधीन है तो विधान परिषद में बोलने और अन्यथा उसकी कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार होगा। मत बराबर (निर्णायक मत) होने की दशा में मत देने का हकदार नहीं होगा।

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