अनुच्छेद- 163 | भारत का संविधान

अनुच्छेद 163 (Article 163 in Hindi) – राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद

(1) जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने कृत्यों या उनमें से किसी को अपने विवेकानुसार करे उन बातों को छोड़कर राज्यपाल को अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद होगी जिसका प्रधान, मुख्यमंत्री होगा।

(2) यदि कोई प्रश्न उठता है कि कोई विषय ऐसा है या नहीं जिसके संबंध में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने विवेकानुसार कार्य करे तो राज्यपाल का अपने विवेकानुसार किया गया विनिश्चय अंतिम होगा और राज्यपाल द्वारा की गई किसी बात की विधिमान्यता इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएगी कि उसे अपने विवेकानुसार कार्य करना चाहिए था या नहीं।

(3) इस प्रश्न की किसी न्यायालय में जाँच नहीं की जाएगी कि क्या मंत्रियों ने राज्यपाल को काई सलाह दी, और यदि दी तो क्या दी।

अनुच्छेद 163 – राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद

अनुच्छेद 163 के अनुसार,

  • राज्यपाल के कार्यों में सहायता एवं सुझाव देने के लिये राज्यों में एक मंत्रिपरिषद एवं इसके शीर्ष पर मुख्यमंत्री होगा,
  • राज्यपाल को सदन को बुलाने का विशेषाधिकार प्राप्त है; परंतु राज्यपाल को मंत्रिमंडल की “सहायता और सलाह” पर कार्य करना आवश्यक है।
  • लेकिन राज्यपाल के स्वविवेक संबंधी कार्यों में वह मंत्रिपरिषद के सुझाव लेने के लिये बाध्य नहीं होगा
  • राज्यपाल के पास कुछ विवेकाधीन शक्तियाँ होती हैं; तथा न्यायालय इन शक्तियों पर प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। 
  • राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर आसीन होने के बाद किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

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