अनुच्छेद-15 | भारत का संविधान

अनुच्छेद 15 (Article-15 in Hindi) – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध

[1] राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।

[2] कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर–

  • दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश, या
  • पूर्णतः या भागतः राज्य-निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग,

के संबंध में किसी भी निर्योषयता, दायित्व, निर्बन्धन या शर्त के अधीन नहीं होगा।

[3] इस अनुच्छेद की कोई बात राज्य को स्त्रियों और बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी, अर्थात

  • कुछ भी राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए कोई असाधारण व्यवस्था करने से नहीं रखेगा ।
  • महिलाओ और बच्चों को उनके स्वभाव के आधार पर असाधारण उपचार की आवश्यकता होती है ।

[4] इस अनुच्छेद की या अनुच्छेद 29 के खंड (2) की कोई बात राज्य को सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए नागरिकों के किन्हीं वर्गों की उन्नति के लिए या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।

अनुच्छेद 15 (Article-15 in Hindi)

खंड 15 (4) के तहत, दो चीजों का निर्धारण किया जाना है:

  • सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग;
  • आरक्षण की सीमा।

अनुच्छेद 15 के खंड (4) में की गई व्यवस्था केवल एक सशक्त व्यवस्था है और इसके तहत कोई विशिष्ट कार्रवाई करने के लिए राज्य पर कोई प्रतिबद्धता को बाध्य नहीं करती है । आरक्षण देने के लिए राज्य को रिट जारी नहीं की जा सकती।

………….

अनुच्छेद 15 (4) एक अन्य विशेष मामला है जो अनुच्छेद 15 के प्रावधानों (1) और (2) का अपवाद है, जिसे मद्रास राज्य वी चम्पाकम दोरईराजन में निर्णय के कारण संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, १९५१ द्वारा शामिल किया गया था । 

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