न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम अर्थात विश्व का प्रत्येक कण अन्य दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहा जाता है।

न्यूटन के बारे में एक बहुत ही रोचक कहानी है। यह कहा जाता है कि जब न्यूटन एक सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे, तब उन पर एक सेब गिरा। सेब के गिरने से न्यूटन के दिमाग में यह प्रश्न उठा कि यह सेब नीचे ही क्यों गिरा? यदि सेब पर कोई बल कार्य कर रहा है, तो यह त्वरित गति में होना चाहिए। 

इस नियम के अनुसार

  • ब्रम्हांड में उपस्थित सभी दो वस्तुएँ आपस में एक दुसरे को आकर्षित करती है , दो पिण्डो के मध्य लगने वाले इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहते है।
  • और चूँकि इस आकर्षण बल के बारे में सबसे पहले न्यूटन ने बताया था और इसका मान ज्ञात करने के लिए एक नियम या सूत्र दिया जिसे न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम कहते है
  • गुरुत्वाकर्षण-बल के बारे में एक रोचक तथ्य यह है कि यह सदैव आकर्षण-बल ही होता है, चाहे पिंडों का आकार कुछ भी हो।

आइये इस नियम अथवा इस सूत्र की स्थापना करते है और इसे विस्तार से पढ़ते है।

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम

ब्रह्माण्ड का प्रत्येक कण, प्रत्येक दूसरे कण को एक बल द्वारा आकर्षित करता है। यह बल, उनके द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल, दोनों कणों को जोड़नेवाली रेखा के अनुदिश होता है। गणितीय रूप में,

m1m2
F ∝ ------------  
     r2

जहाँ m1 एवं m2 दो कणों के द्रव्यमान हैं, जो एक-दूसरे से r दूरी पर स्थित हैं।
अथवा

m1m2
F ∝ G ----------  
     r2

जहाँ G आनुपातिकता का एक स्थिरांक है, ओर इसे सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक कहते हैं। इसका मान पृथ्वी पर सभी जगहों एवं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक समान है।

SI मात्रकों में, जहाँ m को किलाग्राम में, F को न्यूटन में तथा r को मीटर में मापा जाता है, G का मान्य मान 6.67 × 10–11 Nm2kg–2 होता हैं। क्योंकि G का मान बहुत ही कम है, आप यह समझ सकते हैं कि साधारण द्रव्यमानवाली वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरुत्वीय-बल अत्यन्त दुर्बल होता है।

गुरुत्व (gravity)

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार दो पिंडो के बीच एक आकर्षण बल कार्य करता है. यदि इनमें से एक पिंड पृथ्वी हो तो इस आकर्षण बल को गुरुत्व कहते हैं। यानी कि, गुरुत्व वह आकर्षण बल है, जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है. इस बल के कारण जो त्वरण उत्पन्न होती है, उसे गुरुत्व जनित त्वरण (g) कहते हैं, जिनका मान 9.8 m/s^2 होता है।
गुरुत्व जनित त्वरण (g) वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है।

  • g के मान में परिवर्तन:
    • पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है।
    • ‘g’ का मान महत्तम पृथ्वी के ध्रुव (pole) पर होता है।
    • ‘g’ का मान न्यूनतम विषुवत रेखा (equator) पर होता है।
    • पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर ‘g’ का मान कम हो जाता है।
    • पृथ्वी की घूर्णन गति घटने पर ‘g’ का मान बढ़ जाता है।

नोट: यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुनी अधिक चाल से घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर रखी हुई वस्तु का भार शून्य हो जाएगा।

गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration Due to Gravity)

  • जब कोई वस्तु ऊपर से मुक्त रूप से छोड़ी जाती है, तो वह गुरुत्व बल के कारण पृथ्वी की ओर गिरने लगती है और जैसे-जैसे वस्तु पथ्वी के सतह के निकट आती जाती है, उसका वेग बढ़ता जाता है। अतः उसके वेग में त्वरण उत्पन्न हो जाता है। इसी त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते है।
  • यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो, तो इस पर कार्य करने वाला गुरुत्वीय बल mg (वस्तु का भार) के बराबर होगा। अतः गुरुत्वीय त्वरण उस बल के बराबर होता है, जिस बल से पृथ्वी एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती हैं।
  • यह वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान इत्यादि पर निर्भर नहीं करता। इसे 8 से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक मीटर/सेकेंड अथवा न्यूटन/किग्रा है।

गुरुत्वीय त्वरण एवं गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक में संबंध

  • माना कि पृथ्वी का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R है, तथा पृथ्वी का कुल द्रव्यमान उसके केन्द्र पर संकेन्द्रित है। माना कोई वस्तु, जिसका द्रव्यमान m है, पृथ्वी तल अथवा उससे कुछ ऊँचाई पर स्थित है। पृथ्वी की त्रिज्या के सापेक्ष पृथ्वी तल से वस्तु की दूरी उपेक्षणीय है।
  • अतः वस्तु की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी R के ही बराबर मानी जा सकती है। अतः गुरुत्वाकर्षण के नियमानुसार, पृथ्वी द्वारा वस्तु पर लगाया गया आकर्षण बल :
F= G
  • अब न्यूटन की गति के दूसरे नियम के अनुसार, बल F के कारण वस्तु में गुरुत्वीय त्वरण 8 उत्पन्न होता है। इसीलिए बल F= mg [बल = द्रव्यमान – त्वरण ]

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