क्या होता है अंतरिक्ष मलबा ?

अंतरिक्ष मलबा उन कृत्रिम वस्तुओं को कहते हैं जिसका अब स्पेस में कोई इस्तेमाल नहीं बचा है जैसे कि खंडित और पुराने उपग्रहों और रॉकेट के अवशेष इत्यादि क्युकिं यह अवशेष पृथ्वी के कक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण घूमतें रहतें हैं और एक दुसरे से टकराते रहते हैं तथा मलबे पैदा करते हैं। कुछ मलबे सौर मंडल के खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, और उल्कापिंड (बाहरी अंतरिक्ष में एक छोटी चट्टानी या धातु निकाय) में पाए जाने वाले प्राकृतिक मलबे को संदर्भित करता है।

क्या है अंतरिक्ष मलबा – मुख्य बिंदु

  • अंतरिक्ष का शारीरिक तौर पर अन्वेषण मानवीय अंतरिक्ष उड़ानों व रोबोटिक अंतरिक्ष यानो द्वारा किया जाता है। पृथ्वी की कक्षा में भेजे जाने वाले कई मानव-निर्मित उपग्रह वहीं नष्ट हो जाते हैं और छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में  पृथ्वी की कक्षा में घूमते रहते हैं।
  • नासा के अनुमान के मुताबिक अंतरिक्ष से रोज़ाना क़रीब एक मलबा पृथ्वी पर गिरता है। ये मलबा या तो धरती पर गिरता है या वातारवरण में प्रवेश के साथ ही जल जाता है।
  • संयुक्त राज्य स्पेस सर्विलांस नेटवर्क के अनुसार, अंतरिक्ष में 10 सेंटीमीटर (या चार इंच के बराबर) से बड़े 23000, एक सेंटीमीटर से बड़े 500,000 तथा एक मिलीमीटर से बड़े 100,00,000 अंतरिक्ष मलबे बिखरे पड़े हैं।
  • लगभग 1800 से अधिक मानव निर्मित उपग्रह हमारी पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं। अपना कार्य समाप्त करने के पश्चात इनमे से कोई भी उपग्रह पृथ्वी पर वापस नहीं आते हैं।
    • पृथ्वी पर स्थित अंतरिक्ष केंद्रों से संपर्क टूटने के पश्चात भी ये पृथ्वी का चक्कर लगाते है और एक-दूसरे से टकराकर छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित हो जाते है।
    • इसमें नष्ट हो चुके स्पेस क्राफ्ट, रॉकेट, उपग्रह प्रक्षेपण यानों के अवशेष, मिसाइल शार्पनेल व अन्य निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अवशेष शामिल हैं।
  • इनमे से कुछ ऐसे मलबे पृथ्वी पर स्थित जलीय क्षेत्र में गिरते हैं क्योंकि धरती का क़रीब 70 फ़ीसदी हिस्सा पानी का है। पिछले 50 सालों से भी अधिक समय से चल रहे अंतरिक्ष अभियानों में एकत्र मलबे आज भी बड़ी संख्या में अंतरिक्ष में मौजूद हैं।

अंतरिक्ष मलबा से नुकसान

  • अंतरिक्ष में बिखरा यह कचरा सिर्फ उपग्रहों की कक्षा में ही नहीं, बल्कि हमारे वायुमंडल के लिये भी काफी खतरनाक हो सकता है।  यदि कोई बड़ा टुकड़ा पूरी तरह नष्ट हुए बिना हमारे वायुमंडल में प्रवेश कर जाए तो विनाशक प्रभाव पैदा कर सकता है।
  • यह मलबा अंतरिक्ष में आण्विक अभिक्रिया के माध्यम से संचार व्यवस्था को भी बाधित करने में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त यह मलबा उपग्रहों द्वारा प्रदत्त सेवाओं एवं उनके प्रक्षेपण को प्रभावित कर सकता हैं।
  • वर्तमान में अंतरिक्ष में मृत, कृत्रिम रूप से निर्मित वस्तुओं की 7,500 टन अनुमानित मात्रा मौजूद है।
  • क़रीब 10 सेंटीमीटर से बड़े मलबे की 30 हज़ार संख्या मौजूद है जबकि 2013 की एक स्टडी के मुताबिक अंतरिक्ष में एक से 10 सेंटीमीटर के आकार के कचरों(छोटे-छोटे टुकड़ों) या मलबों की संख्या 6,70,000 से भी अधिक है।
  • अंतरिक्ष कचरे की गति लगभग 28,000 किमी. प्रति घंटा होती है जो कि किसी अंतरिक्ष यान को नष्ट करने के लिये काफी है।
  • अंतरिक्ष में 17000 मानव निर्मित वस्तुओं धरती से मॉनिटर की जाती है। इन 17000 वस्तुओं में 7% क्रियाशील उपग्रह है। जो अंतरिक्ष मलबे के टकराने से नुकसान हो सकती है।

अंतरिक्ष मलबा को ट्रैक और मापने के लिए उपकरण

  • अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करने के लिए लिडार (रडार और ऑप्टिकल डिटेक्टर का संयोजन) नामक उपकरण का निर्माण किया गया है।
  • नासा ऑर्बिटल डेब्रिस वेधशाला ने तरल दर्पण पारगमन दूरबीन नामक यंत्र का निर्माण किया है जो 3 मीटर (10 फीट) तक के आकार वाले अंतरिक्ष मलबे का पता लगा सकता है। 
  • एफएम रेडियो तरंगों की मदद से भी अंतरिक्ष में मलबे का पता लगाया जा सकता है।
  • भारत अंतरिक्ष के मलबे को मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रेडार से ट्रैक करता है। श्रीहरिकोटा के पास यह रेडार है, अमरीका के पास ऐसे कई रेडार हैं और वो इनकी सार्वजनिक सूचना साझा करते हैं।

अंतरिक्ष मलबा को कम करने के लिए समाधान

  • निष्क्रिय करना (Passivation) : एक अंतरिक्ष यान के Passivation का अर्थ है कि किसी मिशन के अथवा उपयोगिता के अंत में स्पेसक्राफ्ट में निहित किसी भी आंतरिक ऊर्जा स्रोत को हटा देना।
  • हाल ही में अंतरिक्ष में फैले रॉकेटों और उपग्रहों के टुकड़ों को हटाने के लिये इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से रिमूव डिब्री (Remove DEBRIS) नामक स्पेसक्राफ्ट लॉन्च किया गया। 
    • 100 किलोग्राम वज़न वाले इस स्पेसक्राफ्ट का निर्माण एयरबस की सहायक ‘सरे सेटेलाइट टेक्नोलॉजी’ द्वारा किया गया है। 
    • यह स्पेसक्राफ्ट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से छोड़ा जाने वाला सबसे बड़ा स्पेसक्राफ्ट है।
    • यह यूरोपीय संघ की अनुसंधान परियोजना है जो भविष्य में सक्रिय मलबे को हटाने से संबंधित मिशनों के लिये आवश्यक प्रौद्योगिकियों के परीक्षण में मददगार साबित हो सकता है। 
    • अंतरिक्ष में फैले कचरे को हटाने के लिये इस स्पेसक्राफ्ट में तीन एयरबस प्रौद्योगिकियों का प्रयोग किया गया है। 
    • यह स्पेस क्राफ्ट अंतरिक्ष में तैर रहे छोटे लेकिन खतरनाक टुकड़ों को हटाने का प्रयास करेगा जो उपग्रहों या इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को क्षति पहुँचा सकते हैं।
    • यह परियोजना वैश्विक/यूरोपीय ADR (Active Debris Removal) रोडमैप में योगदान देने के उद्देश्य पर आधारित है। 
  • यूनिवर्सिटी ऑफ सरे के स्पेस सेंटर के नेतृत्व में एक अन्वेषण के तहत 2 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिये SpaceX उड़ान को लॉन्च किया गया था।
  • मई में इसे पृथ्वी की निम्न-कक्षा में छोड़ दिया जाएगा, जहाँ यह एक छोटे से उपग्रह की सहायता से अंतरिक्ष मलबे को रिकैप्चर (पुनर्ग्रहण) कर लेगा। इसमें एक जाल के साथ लगे भालानुमा यंत्र द्वारा यह कार्य किया जाएगा।

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