अघोरी साधुओं के ऐसे प्रैक्टिसें, जो कानूनी तौर पर जुर्म हैं

अघोरी साधु का भी एक अपनी अलग दुनिया होती है, उन्होंने इस बाहरी दुनिया के मोह माया से कोई मतलब नही होता. उनका रहन सहन हम लोगो से बहुत ही भिन्न होता है अगर और सीधी शव्द में कहे तो ये इन दुनिया के कोई मतलब नही होता इनके लिए अपनी दुनिया अपनी समाज श्मशान ही होते है. अघोरी साधुओं अपनी जीवनशैली और अपने तौर तरीकों को लेकर चर्चा में रहे हैं. इनकी दुनिया में कई चौंकाने वाली बातें हैं. अघोरियों की इस दुनिया की कुछ ऐसी प्रैक्टिसें व कुछ ऐसे सीक्रेट्स होते है, जिसे हमारी दुनिया में कानून इसे अवैध ठहराते है लेकिन फिर भी ये अपनी लाइफ में करते जरुर है.

1.श्मशान में सेक्स : कहा जाता है कि अघोरी (aghori miracle)अपने भाव समाधि के उद्देश्य से लड़कियों और औरतों के साथ, उनकी मर्ज़ी से शारीरिक संबंध बनाते हैं. अपनी मान्यताओं के हिसाब से अघोरी साधु श्मशानों में लाशों के ऊपर ये क्रिया करते हैं और उनका कहना होता है कि यह किसी किस्म के आनंद या मज़े के लिए नहीं, अघोरियों का यह कार्यकलाप अक्सर चर्चा और कई तरह की बहसों में रहा है.

कानूनी तौर में देखे तो आईपीसी की धारा 294 ए के मुताबिक खुले में यानी सार्वजनिक स्थानों पर सेक्स करना भारत के कानून के हिसाब से अपराध है. सार्वजनिक स्थान पर कोई भी अगर अश्लीलता करता है तो उसे तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों सज़ाएं दी जा सकती हैं. वैसे भी भारत के ज़्यादातर इलाकों में आप खुले में होंठों पर किस तक नहीं कर सकते क्योंकि इसे कानूनी तौर पर अश्लीलता और सामाजिक तौर पर अपराध माना जाता है.

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2. गांजा और चिलम : अघोरियों को बारे में अगर अपना पढ़ा होगा तो आप जानते ही होंगे कि गांजे का सेवन करना अघोरियों का पहचान होता है. चिलम के ज़रिये अघोरी साधु गांजा पीते हैं. अघोरी पंथ का कहना है कि गांजा पीना उनके लिए नशा करना नहीं होता है बल्कि यह भाव समाधि में पहुंचने का रास्ता होता है जिसके ज़रिये वो अलौकिक दुनिया में पहुंचते हैं और ध्यान की अवस्था को हासिल करते हैं. कुंभ के मेलों में इन साधुओं को सार्वजनिक तौर पर गांजे का सेवन करते हुए देखा जाता है.

अघोरी साधुओं

भारत के कानून के अनुसार गांजा भारत में नशीला पदार्थ माना जाता है और इसकी सार्वजनिक खरीद व बिक्री पर प्रतिबंध है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के मुताबिक एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/20 के तहत गांजे की खरीद व बिक्री को अवैध करार दिया गया है और अलग अलग मात्रा के हिसाब से सज़ा का प्रावधान है. कमर्शियल क्वांटिटि यानी 20 किलो से ज़्यादा की खरीदी बिक्री के मामले में 20 साल कैद तक की सज़ा हो सकती है. हालांकि अघोरी आम तौर से गांजे का इस्तेमाल कम मात्रा में करते हैं लेकिन यह भी कानूनन अवैध है.

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3. कैनिबलिज़्म यानी नरभक्षण : अघोरियों के विश्वास के अनुसार उनका भोजन केवल लाश होता है. वो जीवित का भोजन नहीं करते इसलिए श्मशानों में मरे हुए मनुष्यों को वो अपना भोजन बनाते हैं. एक और मान्यता के हिसाब से अघोरी अपने भोजन को पका नहीं सकते हैं इसलिए वो ये मांस या तो कच्चा खाते हैं या सिर्फ आग यानी चिता में जला हुआ.

अघोरी साधुओं

कानून के अनुसार नरभक्षण भारत में वैध नहीं है. हालांकि इसके लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है लेकिन फिर भी कई कारणों के चलते इस वैध नहीं माना गया है. देश के ज़्यादातर इलाकों में यह प्रैक्टिस अवैध है. इसे दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के सिलसिले में समझा जाता है. बनारस में यह वैध न होने के बावजूद अघोरियों को बनारस के घाटों पर यह प्रैक्टिस करते हुए देखा जा सकता है.

ये थे अघोरी साधुओं के ऐसे प्रैक्टिसें जो की हमारी कानून के नज़रों में जुर्म है. अगर यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अभी शेयर करें.

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