क्रिया क्या है?- क्रिया (Verb) हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो कार्य या क्रियाओं को व्यक्त करती है। यह वाक्य में मुख्य भूमिका निभाती है और यह बताती है कि कोई व्यक्ति, वस्तु या प्राणी क्या कर रहा है। क्रिया के द्वारा हम कार्य के समय, स्वरूप, और परिप्रेक्ष्य को स्पष्ट कर सकते हैं। हिंदी में क्रिया के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे कर्म क्रिया, संप्रदान क्रिया, अपादान क्रिया आदि, जो वाक्य की संपूर्णता को बढ़ाते हैं और विचारों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करते हैं।
क्रिया की परिभाषा (Definition of Verb)
जिस शब्द अथवा शब्द-समूह के द्वारा किसी कार्य के होने अथवा किये जाने का बोध हो उसे क्रिया (Verb) कहते हैं। जैसे-
- सीता ‘नाच रही है’।
- बच्चा दूध ‘पी रहा है’।
- सुरेश कॉलेज ‘जा रहा है’।
- शिवा जी बहुत ‘वीर’ थे।
इनमें ‘नाच रही है’, ‘पी रहा है’, ‘जा रहा है’ शब्दों से कार्य का बोध हो रहा हैं। इन सभी शब्दों से किसी कार्य के करने अथवा होने का बोध हो रहा है। अतः ये क्रियाएँ (Verb) हैं।
क्रिया (Verb) के भी कई रूप होते हैं, जो प्रत्यय और सहायक क्रियाओं द्वारा बदले जाते हैं। क्रिया के रूप से उसके विषय संज्ञा या सर्वनाम के लिंग और वचन का भी पता चल जात है। क्रिया वह विकारी शब्द है, जिससे किसी पदार्थ या प्राणी के विषय में कुछ विधान किया जाता है, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-
- घोड़ा जाता है।
- पुस्तक मेज पर पड़ी है।
- मोहन खाना खाता है।
- राम स्कूल जाता है।
इन वाक्यों में “जाता है”, “पड़ी है” और “खाता है” ये क्रियाएँ हैं।
धातु (Root)
धातु– क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है।
क्रिया के साधारण रूपों के अंत में ना लगा रहता है जैसे- आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना आदि। साधारण रूपों के अंत का ना निकाल देने से जो बाकी बचे उसे क्रिया की धातु कहते हैं। आना, जाना, पाना, खोना, खेलना, कूदना क्रियाओं में आ, जा, पा, खो, खेल, कूद धातुएँ हैं। शब्दकोश में क्रिया का जो रूप मिलता है उसमें धातु के साथ ना जुड़ा रहता है। ना हटा देने से धातु शेष रह जाती है। जैसे – लिख, पढ़, जा, खा, गा, रो, आदि।
धातु के भेद
धातु के दो भेद होते है–
- मूल धातु
- यौगिक धातु
मूल धातु:- यह स्वतंत्र होती है तथा किसी अन्य शब्द पर निर्भर नहीं होती है। मूल धातु के उदाहरण:- जा, खा, पी, रह, आदि ।
यौगिक धातु:- यौगिक धातु मूल धातु मे प्रत्यय लगाकर, कई धातुओ को संयुक्त करके, अथवा संज्ञा और विशेषण मे प्रत्यय लगाकर बनाई जाती है। यौगिक धातु के उदाहरण:- उठाना, उठवाना, दिलाना, दिलवाना, कराना, करवाना, रोना-धोना, चलना-फिरना, खा-लेना, उठ-बैठना, उठ-जाना, खेलना-कूदना, आदि।
यौगिक धातु के प्रकार–
- प्रेरणार्थक क्रिया
- संयुक्त यौगिक क्रिया
- नाम धातु क्रिया
- अनुकरणात्मक क्रिया
प्रेरणार्थक क्रिया:- वह क्रिया (Verb) जिसके द्वारा यह पता चलता है कि कर्त्ता स्वयं न काम करके किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता हो, वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है; जैसे– मोहन ने सोहन को जगाया, यहां पर सोहन, मोहन की प्रेरणा से जागा है। इस प्रकार प्रायः सभी धातुओं के दो-दो प्रेरणार्थक रूप होते हैं- प्रथम वह जिस धातु में ‘आना’ लगता हो और द्वितीय वह जिस धातु में ‘वाना’ लगता हो। जैसे- उठाना, उठवाना, कराना, करवाना।
यौगिक क्रिया:- दो या दो से अधिक धातुओं के संयोग से यौगिक क्रिया (Verb) बनती है।उदहारण:- रोना-धोना, चलना-फिरना, खा-लेना, उठ-बैठना, उठ-जाना, खेलना-कूदना, आदि।
नाम धातु:- संज्ञा या विशेषण से बनने वाली धातु को नाम धातु क्रिया कहते है। जैसे – गरियाना, लतियाना, बतियाना, गरमाना, चिकनाना, ठण्डाना। उदहारण:- गाली से गरियाना, लात से लतियाना, बात से बतियाना, अपना से अपनाना, गरम से गरमाना।
अनुकरणात्मक क्रियाएं:- वह वास्तविक या कल्पित ध्वनि जिसे क्रियाओं के रूप में अपना लिया जाता है, वह अनुकरणात्मक क्रियाएं कहलाती हैं; जैसे – खटखट से खटखटाना, थपथप से थपथपाना आदि।
क्रिया के भेद (Type of Verb)
क्रिया के मुख्य दो भेद होते हैं—सकर्मक क्रिया (Transitive Verb) और अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb)।
सकर्मक क्रिया:– वैसी क्रिया जिसके साथ कर्म से होती है या कर्म होने की संभावना होती हो तथा जिस क्रिया का फल कर्म पर पड़े, उसे सकर्मक क्रिया कहते है; जैसे – राम आम खाता है। इसमें खाना क्रिया के साथ आम कर्म है। मोहन पढ़ता है। यहां पढ़ना क्रिया के साथ पुस्तक कर्म की संभावना बनती है।
अकर्मक क्रिया:– वैसी क्रिया जिसके साथ कोई कर्म न हो तथा क्रिया का फल कर्ता पर पड़े उसे अकर्मक क्रिया कही जाती है। जैसे– राम हंसता है। इस वाक्य मे कर्म का अभाव है तथा क्रिया का फल राम (कर्ता) पर पड़ रहा है।
नोट– क्रिया को पहचानने का नियम– क्रिया की पहचान के लिए क्या और किसको से प्रश्न करने पर अगर उत्तर मिलता है तो समझना चाहिए कि क्रिया सकर्मक है, और अगर उत्तर न मिले तो समझना चाहिए कि क्रिया अकर्मक है। जैसे–
- राम सेब खाता है। (इस वाक्य में प्रश्न करने पर कि राम क्या खाता है, उत्तर मिलता है सेब। अतः ‘खाना’ सकर्मक क्रिया है)
- सीता सोयी है। (इस वाक्य में प्रश्न करने पर कि सीता क्या सोयी है उत्तर कुछ नहीं मिलता, अत: ‘सोना क्रिया अकर्मक क्रिया है।
प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद (Uses of Type of Verb)
सहायक क्रिया:– वह क्रिया जो मुख्य क्रिया के साथ प्रयुक्त होकर वाक्य के अर्थ को स्पष्ट एवं पूर्ण-करने में सहायता प्रदान करती है. वह सहायक क्रिया कहलाती है। जैसे– मैं बाजार जाता हूँ (यहां ‘जाना’ मुख्य क्रिया है तथा ‘हूँ’ सहायक क्रिया है।
पूर्वकालिक क्रिया:– वह क्रिया जिसके द्वारा कर्ता एक क्रिया को समाप्त कर दूसरी क्रिया को प्रारंभ करता है। तब पहली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहा जाता है। जैसे– श्याम भोजन करके सो गया (यहां “भोजन करके” पूर्वकालिक क्रिया है, जिसे करने के बाद दूसरी क्रिया “सो जाना” संपन्न की है।)
नामबोधक क्रिया:– वह क्रिया जो संज्ञा अथवा विशेषण के साथ जुड़ने से बनती है, वह नामबोधक क्रिया कहलाती है। जैसे–
- संज्ञा + क्रिया – नामबोधक क्रिया
- लाठी + मारना – लाठी मारना
- पानी+ खौलना – पानी खौलना
- विशेषण + क्रिया – नामबोधक क्रिया
- दुःखी + होना – दुःखी होना
अनेकार्थक क्रियाएं:– वैसी क्रियाएं जिसका प्रयोग अनेक अर्थो में किया जाता हो, वे अनेकार्थक क्रियाएं कहलाती है। जैसे– खाना क्रिया के अनेक अर्थ होते हैं; वह भात खाता है, वह मार खाता है, राम दूसरों की कमाई खाता है, लोहे को जंग खाती है, वह घूस खाता है आदि।