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आहार नियोजन क्या है? अर्थ, सिद्धांत, प्रभावित करने वाले तत्व

आहार नियोजन का अर्थ हैं कि भोजन के पदार्थों की मात्रा इस प्रकार लेनी चाहिए कि सभी पौष्टिक तत्व उन भोज्य पदार्थों द्वारा उचित मात्रा में भोजन में सम्मिलित किये जाये।

Last updated: September 9, 2024 6:38 pm
By TD Desk
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9 Min Read
आहार नियोजन क्या है? अर्थ, सिद्धांत, प्रभावित करने वाले तत्व

आहार नियोजन एक कला है। कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया भोजन हर व्यक्ति के लिए आनंददायक होता है चाहे उसका सेवन गृह में किया गया हो या बाहर। परिवार के प्रत्येक सदस्य की आयु एवं कार्य तथा रुचि भिन्न-भिन्न होती है। एक कुषल गृहिणी इन बातों को ध्यान में रखकर अपनी योग्यता तथा पाक ज्ञान से परिवार के प्रत्येक सदस्य को उसकी पसन्द का भोजन देकर खुश कर सकती है। 

Contents
आहार नियोजन का अर्थ आहार नियोजन के सिद्धांतआहार आयोजन को प्रभावित करने वाले तत्वआहार आयोजन का महत्वनिष्कर्ष

आहार नियोजन का अर्थ 

आहार नियोजन का अर्थ हैं कि भोजन के पदार्थों की मात्रा इस प्रकार लेनी चाहिए कि सभी पौष्टिक तत्व उन भोज्य पदार्थों द्वारा उचित मात्रा में भोजन में सम्मिलित किये जाये। इसके साथ ही परिवार की आवश्यकता, समय तथा उपलब्ध धन को भी ध्यान में रखना चाहिए। आहार योजना एक कला है।

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आहार नियोजन के सिद्धांत

इसके लिये तालिका बनाते समय कुछ सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है, जो कि है-

1. पोषण सिद्धांत के अनुसार

आहार आयोजन करते समय गृहणी को पोषण के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए आहार आयोजन करना चाहिये अर्थात् आहार आयु के अनुसार, आवश्यकता के अनुसार तथा आहार में प्रत्येक भोज्य समूह के खाद्य पदार्थों का उपयोग होना चाहिये।

2. परिवार के अनुकूल आहार

भिन्न-भिन्न दो परिवारों के सदस्यों की रूचियाँ तथा आवश्यकता एक दूसरे से अलग-अलग होती है। अत: आहार, परिवार की आवश्यकताओं के अनुकूल होना चाहिये। जैसे उच्च रक्त चाप वाले व्यक्ति के लिये बिना नमक की दाल निकाल कर बाद में नमक डालना। भिन्न-भिन्न परिवारों में एक दिन में खाये जाने वाले आहार की संख्या भी भिन्न-भिन्न होती है। उसी के अनुसार पोषक तत्वों की पूर्ति होनी चाहिये।

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3. आहार में नवीनता लाना

एक प्रकार के भोजन से व्यक्ति का मन ऊब जाता है। चाहे वह कितना ही पौष्टिक आहार क्यों न हो। इसलिये गृहणी भिन्न-भिन्न तरीकों, भिन्न-भिन्न रंगों, सुगंध तथा बनावट का प्रयोग करके भोजन में प्रतिदिन नवीनता लाने की कोशिश करना चाहिये। 

4. तृप्ति दायकता

वह आहार जिसे खाने से संतोष और तृप्ति का एहसास होता है। अर्थात् एक आहार लेने के बाद दूसरे आहार के समय ही भूख लगे अर्थात् दो आहारों के अंतर को देखते हुए ही आहार का आयोजन करना चाहिये। जैसे दोपहर के नाश्ते और रात के भोजन में अधिक अंतर होने पर प्रोटीन युक्त और वसा युक्त नाश्ता तृप्तिदायक होगा। 

5. समय शक्ति एवं धन की बचत

समयानुसार, विवेकपूर्ण निर्णय द्वारा समय, शक्ति और धन सभी की बचत संभव है। उदाहरण- छोला बनाने के लिये पूर्व से चने को भिगा देने से और फिर पकाने से तीनों की बचत संभव है।

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आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले तत्व

आहार आयोजन के सिद्धातों से परिचित होने के बावजूद ग्रहणी परिवार के सभी सदस्यों के अनुसार भोजन का आयोजन नहीं कर पाती। क्योंकि आहार आयोजन को बहुत से कारक प्रभावित करते हैं-

1. आर्थिक कारक

गृहणी भोज्य पदार्थों का चुनाव अपने आय के अनुसार ही कर सकती है। चाहे कोई भोज्य पदार्थ उसके परिवार के सदस्य के लिये कितना ही आवश्यक क्यों न हो, किन्तु यदि वह उसकी आय सीमा में नहीं है तो वह उसका उपयोग नहीं कर पाती। उदाहरण- गरीब गृहणी जानते हुए भी बच्चों के लिये दूध और दालों का समावेश नहीं कर पाती। 

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2. परिवार का आकार व संरचना

यदि परिवार बड़ा है या संयुक्त परिवार है तो गृहणी चाहकर भी प्रत्येक सदस्य की आवश्यकतानुसार आहार का आयोजन नहीं कर पाती।

3. मौसम

आहार आयोजन मौसम द्वारा भी प्रभावित होता है। जैसे कुछ भोज्य पदार्थ कुछ खास मौसम में ही उपलब्ध हो पाते हैं। जैसे गर्मी में हरी मटर या हरा चना का उपलब्ध न होना। अच्छी गाजर का न मिलना। अत: गृहणी को मौसमी भोज्य पदाथोर्ं का उपयोग ही करना चाहिये। सर्दी में खरबूज, तरबूज नहीं मिलते। 

4. खाद्य स्वीकृति

व्यक्ति की पसंद, नापसंद, धार्मिक व सामाजिक रीति-रिवाज आदि कुछ ऐसे कारक हैं। जो कि व्यक्ति को भोजन के प्रति स्वीकृति व अस्वीकृति को प्रभावित करते हैं। जैसे परिवारों में लहसुन व प्याज का उपयोग वर्जित है। लाभदायक होने के बावजूद गृहणी इनका उपयोग आहार आयोजन में नहीं कर सकती। 

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5. भोजन संबंधी आदतें

भोजन संबंधी आदतें भी आहार आयोजन को प्रभावित करती हैं। जिसके कारण गृहणी सभी सदस्यों को उनकी आवश्यकतानुसार आहार प्रदान नहीं कर पाती। जैसे- बच्चों द्वारा हरी सब्जियाँ, दूध और दाल आदि का पसंद न किया जाना। 

6. परिवार की जीवन-शैली

प्रत्येक परिवार की जीवन-शैली भिन्न-भिन्न होती है। अत: परिवार में खाये जाने वाले आहारों की संख्या भी भिन्न-भिन्न होती है। जिससे आहार आयोजन प्रभावित होता है। 

7.  साधनों की उपलब्धता

गृहणी के पास यदि समय, शक्ति बचत के साधन हो तो गृहणी कम समय में कइ तरह के व्यंजन तैयार करके आहार आयोजन में भिन्नता ला सकती है अन्यथा नहीं। 

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8. भोजन संबंधी अवधारणायें

कभी-कभी परिवारों में भोजन संबंधी गलत अवधारणायें होने से भी आहार आयोजन प्रभावित होता है। जैसे- सर्दी में संतरा, अमरूद, सीताफल खाने से सर्दी का होना। 

आहार आयोजन का महत्व

गृहिणी के लिये आहार का आयोजन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वह इसके द्वारा परिवार के लिये लक्ष्य प्राप्त कर सकती है-

1. संतुलित भोजन की प्राप्ति

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पूर्व में आयु, लिंग, व्यवसाय के अनुसार आहार का आयोजन करने से सभी सदस्यों को संतुलित भोजन प्राप्त हो जाता है।

2. समय शक्ति और धन की बचत 

समयानुसार पूर्व में आहार निर्माण की योजना बना लेने से समय, शक्ति एवं धन की बचत हो जाती है। उदाहरण- आलू और अरवी को एक साथ उबालना, राजमा को 6 घंटे पहले भिगो देना।

3. आहार में भिन्नता 

आहार आयोजन के द्वारा हम पहले से निश्चित करके भोजन में विभिन्नता का समावेश कर सकते हैं। जैसे- दोपहर में राजमा की सब्जी बनायी हो तो रात में आलू गोभी की सब्जी बनायी जा सकती है।

4. खाद्य बजट पर नियंत्रण

आहार का आयोजन करने से गृहणी बजट पर नियंत्रण रख सकती है। जैसे- हफ्ते में एक दिन पनीर रख सकते हैं। बाकी दिन सस्ती सब्जियों को उपयोग करना।

5. आकर्षक एवं स्वादिष्ट आहार

आहार आयोजन आकर्षक एवं स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति होती है।

6. बचे हुए खाद्य पदार्थों का सदुपयोग

आहार द्वारा बचे हुए खाद्य पदाथोर्ं का सदुपयोग किया जा सकता है। जैसे- रात की बची भाजी या दाल का पराठे बनाकर उपयोग करना।

7. व्यक्तिगत रूचियों का ध्यान

आहार आयोजन से सदस्यों की व्यक्तिगत रूचि के खाद्य पदाथोर्ं को किसी न किसी आहार में शामिल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

हर व्यक्ति की पोषक तत्वों की आवश्यकता अलग-अलग होती है। पोषक तत्वों की आवश्यकता निर्धारित होती है, व्यक्ति की उम्र, लिंग व व्यवसाय से एक व्यक्ति के लिये आहार नियोजन आसान है, किन्तु एक परिवार के कई व्यक्तियों के लिये जिनकी उम्र, स्थिति अलग-अलग होती है। हर व्यक्ति के पौष्टिक तत्वों की माँग अलग-अलग होती है, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के लिये अलग-अलग भोजन नहीं बन सकता। परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य के लिये उचित पोषण आवश्यक होता है और परिवार के सभी सदस्यों को उचित पोषण मिले, इसके लिये आहार नियोजन आवश्यक है जिसका मुख्य आधार सभी को सन्तुलित भोजन देना ही होता है। 

भारतीय प्राचीन इतिहास को जानने के स्रोत
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986: मुख्य प्रावधान और महत्व
पौधों और जानवरों का संरक्षण
आसमान से बिजली पृथ्वी पर कैसे गिरती है?
सूर्य और उसकी संरचना
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