कार्टोसैट-3 भारत की तीसरी आँख बनेगा : दुश्मन के उड़ जाएँगे

इसरो चंद्रयान २ के सफल परिक्षण कर पुरे विश्व को चकित कर चूका है, अब नया भारत भी 21वीं सदी में नये नेतृत्व के साथ एक बार पुनः एक के बाद एक नये कीर्तिमान स्थापित करता जा रहा है और नई-नई शक्तियाँ अर्जित करके विश्व को चकित कर रहा है। इसी क्रम में भारत अब एक और नया कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। कहा जाता है की भारत अपनी तीसरी आँख ( कार्टोसैट-3 ) खोलने जा रहा है, जो देश के दुश्मनों के लिये होश उड़ा देने वाली चुनौती के समान है।

लेकिन क्या है यह भारत की तीसरी आँख का रहस्य

भारत की यह तीसरी आँख है इसरो का नया सैटेलाइट कार्टोसैट-3 । इसरो के इसी सीरीज़ के उपग्रह पाकिस्तान में चल रहे आतंकियों के लांचिंग पैड और टेरर ट्रेनिंग कैंप की जानकारी देकर भारतीय सेना और वायुसेना की क्रमशः सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में मददगार बने थे। अब यह तीसरा उपग्रह उससे भी कहीं अधिक शक्तिशाली है। इसकी शक्ति का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसकी नज़र इतनी तेज होगी कि यह उपग्रह आपकी कलाई में बँधी घड़ी का टाइम भी देख सकता है। अर्थात् अब दुश्मनों की बारीक से बारीक हरकत को भी भारत की तेज आँख देख लेगी। इस उपग्रह में दुनिया का सबसे शक्तिशाली कैमरा उपयोग किया गया है, जो अभी तक विश्व के किसी भी देश ने उपयोग नहीं किया है। इससे इसरो की बढ़ती ताकत का भी सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। भारतीय इसरो अब विज्ञान और टेकनोलॉजी के मामले में दुनिया की किसी भी अंतरिक्ष एजेंसी से पीछे नहीं है, बल्कि दुनिया की सभी ताकतवर अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ कदम से कदम और आँख से आँख मिला कर चलने की कूबत रखती है। हाल ही में इसरो ने चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने का नया इतिहास रचा, जिसके बारे में दूसरी ताकतवर अंतरिक्ष एजेंसियाँ विचार भी नहीं कर सकती थी, इसके लिये दुनिया भर की शक्तिशाली अंतरिक्ष एजेंसियों ने इसरो की प्रशंसा भी की है।

क्या हैं कार्टोसैट-3 की विशेषताएँ ?

कार्टोसैट-3 इसरो का कार्टोसैट सीरीज़ का नौवाँ उपग्रह है। इस कार्टोसैट-3 का कैमरा इतना ताकतवर है कि यह उपग्रह अंतरिक्ष से पृथ्वी पर 0.25 मीटर अर्थात् 1 फीट से भी कम यानी 9.84 इंच ऊँची वस्तु की भी स्पष्ट तस्वीर ले सकता है। कदाचित इतनी सटीकता वाला कैमरा अभी तक किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है। क्योंकि अमेरिका की निजी स्पेस कंपनी डिजिटल ग्लोब का जिओआई-1 सैटेलाइट भी 16.14 इंच ऊँची वस्तु की ही तस्वीरें ले सकता है और इसी कंपनी का वर्ल्डव्यू-2 उपग्रह भी 18.11 इंच ऊँची वस्तु की तस्वीरें लेने में ही सक्षम है, परंतु मात्र 9.84 इंच ऊँची वस्तु की सटीक तस्वीर लेने की क्षमता एक मात्र कार्टोसैट-3 में ही होगी। यह उपग्रह पृथ्वी की कक्षा से 450 कि.मी. ऊपर की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

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इसी सीरीज़ का कार्टोसैट-2 उपग्रह सर्जिकल स्ट्राइक के लिये भारतीय सेना को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में स्थित आतंकवादियों के लांचिंग पैड की सटीक जानकारी देकर सेना की सर्जिकल स्ट्राइक को सफल बनाने में मददगार बना था और इसी उपग्रह ने बालाकोट में स्थित जैशे-मोहम्मद के आतंकी ट्रेनिंग सेंटर की वायुसेना को सटीक जानकारी उपलब्ध करवा कर वायुसेना की एयर स्ट्राइक को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

क्या-क्या काम करेगी भारत की यह तीसरी आँख ?

वैसे तो भारत ने अलग-अलग मौसम में पृथ्वी की तस्वीरें लेने के लिये और प्राकृतिक आपदाओं में मदद के लिये इस उपग्रह को तैयार किया है, जो अंतरिक्ष से भारत की ज़मीन पर नज़र रखेगा। आपदाओं में तथा ढाँचागत विकास में मदद करेगा। साथ ही इस उपग्रह का उपयोग देश की सीमाओं की निगरानी करने के लिये भी किया जाएगा। इस प्रकार पाकिस्तानी षड़यंत्रों और उसके यहाँ चल रहे आतंकी कैंपों पर नज़र रखने के लिये भी यह मिशन देश की सबसे तेज-तर्रार आँख बनेगा। देश के किसी भी दुश्मन या आतंकियों ने भारत के खिलाफ कोई भी हिमाकत की तो वह इस आँख की नज़र से बच नहीं पाएगा।

यूँ तो भारत की यह तीसरी आँख अगले महीने के आखिर में ही खुलने वाली थी, परंतु अब लगता है कि इसरो कार्टोसैट-3 सैटेलाइट को अक्टूबर के अंत तक लॉन्च नहीं कर पाएगा और इस सैटेलाइट को लॉन्च करने की तारीख एक महीने टाल सकता है। क्योंकि इसरो के वैज्ञानिकों की एक बड़ी टीम चंद्रयान-2 यानी विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने के प्रयासों में जुटी है। इसलिये इस सैटेलाइट की लॉन्चिंग में देरी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

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