कर्नाटक युद्ध के कारण और परिणाम क्या था ।

18वीं सदी का कर्नाटक युद्ध भारत में ब्रिटिश कम्पनी एवं फ्रांसीसी कम्पनी तथा भारत से बाहर ब्रिटिश एवं फ्रांसीसी साम्राज्य के बीच राजनीतिक वर्चस्व के लिए चलने वाले एक दीर्घकालिक संघर्ष का परिणाम था। इसलिए इस युद्ध ने भारत में फ्रांसीसी कम्पनी के साथ फ्रांस के वैश्विक साम्राज्य के भविष्य का भी निर्णय कर दिया।

कर्नाटक युद्ध के कारक

इस युद्ध के लिए एक से अधिक कारक उत्तरदायी थे, ये इस प्रकार हैं:-

  • ये युद्ध यूरोपीय प्रश्न से जुड़े हुए थे।
  • ये युद्ध फ्रांसीसी एवं ब्रिटिश कम्पनी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से भी जुड़े हुए थे।
  • युद्ध का एक उद्देश्य फ्रांसीसी एवं ब्रिटिश कम्पनी के द्वारा दक्षिण के व्यापार पर नियंत्रण स्थापित करना था।

प्रथम कर्नाटक युद्ध (1744-48 ई.)

यह यूरोप में ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार के मुद्दे पर आरंभ हुआ था। यह युद्ध भारत में दोनों कम्पनियों के बीच अनिर्णित रहा था तथा यह विशेषकर सेंट टॉमे के युद्ध के लिए प्रसिद्ध है जिसने भारतीयों की तुलना में यूरोपीय युद्ध तकनीकी की श्रेष्ठता सिद्ध कर दी।

द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749-54 ई.)

यह युद्ध यूरोपीय कंपनियों की महत्वाकांक्षा के कारण आरंभ हुआ था क्योंकि इन कंपनियों के द्वारा हैदराबाद और कर्नाटक के मामले में हस्तक्षेप किया गया था। इस युद्ध के परिणामस्वरूप हैदराबाद पर फ्रांसीसी कंपनी तथा कर्नाटक पर ब्रिटिश कंपनी का वर्चस्व हो गया।

कर्नाटक युद्ध (Karnatak yudh)

तृतीय कर्नाटक युद्ध (1758-63 ई.)

यह युद्ध भी यूरोपीय प्रश्न के साथ आरम्भ हुआ था क्‍योंकि यह युद्ध यूरोप में हो रहे सप्तवर्षीय युद्ध का हिस्सा था। इस युद्ध में डुप्ले जेसे एक दूरदर्शी अधिकारी की अनुपस्थिति एवं फ्रांसीसी सरकार के अत्यधिक हस्तक्षेप के कारण फ्रांसीसी कम्पनी की स्थिति कमजोर हो गई और अन्तत: 1760 के वांडीवाश के युद्ध में फ्रांसीसी कम्पनी निर्णायक रूप से पराजित हो गयी। अतः भारत में अपने राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने का उसका सपना समाप्त हो गया।

निष्कर्ष

उधर यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्य के हाथों फ्रांसीसी साम्राज्य की हार ने फ्रांस को एक वेश्विक साम्राज्य स्थापित करने का सपना चकनाचूर कर दिया क्योंकि इस युद्ध में फ्रांस की हार के कारण उसके हाथों से एक तरफ कनाडा तथा दूसरी तरफ भारत जैसे महत्वपूर्ण
क्षेत्र निकल गया।

यह भी पढ़ें –

Leave a Reply