By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
Times DarpanTimes DarpanTimes Darpan
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Search
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Reading: कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण की दहलीज़ पर भारत
Share
Sign In
Notification Show More
Font ResizerAa
Times DarpanTimes Darpan
Font ResizerAa
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Search
  • Home
  • Politics
  • Constitution
  • National
  • Bookmarks
  • Stories
Have an existing account? Sign In
Follow US
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
MISC Tutorials

कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण की दहलीज़ पर भारत

Times Darpan
Last updated: 2020/11/26 at 3:30 PM
By Times Darpan
Share
15 Min Read
कोरोना वायरस
SHARE

कोरोना वायरस के संक्रमण की विभिन्न अवस्थाओं का उल्लेख करते हुए सामुदायिक संक्रमण को परिभाषित कीजिये। संक्रमण की रोकथाम हेतु सरकार के द्वारा किये जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख कीजिये।

Contents
कोरोना वायरस के संक्रमणसंक्रमण की विभिन्न अवस्थाएँ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषदICMR रिपोर्ट के आँकड़ेस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का विचारसीमित सामुदायिक संक्रमण से तात्पर्य  संक्रमण रोकने हेतु किये जा रहे प्रयास चिकित्सीय उपकरण राज्य सरकार द्वारा रोकथाम का प्रयास

कोरोना वायरस के संक्रमण

भारत कोरोना वायरस का तीव्र गति से हो रहा प्रसार से लॉकडाउन बढ़ाने के विमर्श तेज जोरो से पकड़ रहा है। इस वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व में कोहराम मचा दिया है। इसकी विभीषिका का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अब तक विश्व में 16 लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 1 लाख से भी अधिक लोग की मौत हो चुकी है। भारत में भी कोरोना वायरस के संक्रमण की दर पिछले 10 दिनों में दोगुनी से अधिक और कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़कर 7500 हो गई है ।

भारत में 7 हज़ार संक्रमण के मामलों में लगभग 242 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है। इसी आँकड़े पर जब हम अन्य देशों की स्थिति की तुलना करते है तो यह पाते हैं कि पहले 5 हज़ार संक्रमण के मामलों में संयुक्त राज्य अमेरिका में मृत्यु दर 158, स्पेन में मृत्यु दर 152 तथा फ्रांस में मृत्यु दर 145 थी। निश्चित ही यह आँकड़े भारत के लिये परेशानी उत्पन्न करने वाले हैं।

इसी बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) की एक रिपोर्ट ने सरकार की परेशानी को और बढ़ा दिया है। ICMR की रिपोर्ट में भारत में सामुदायिक संक्रमण के फैलने की आशंका व्यक्त की गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी आशंका जताई है कि देश के कई हिस्सों में सीमित सामुदायिक संक्रमण की संभावना है।

संक्रमण की विभिन्न अवस्थाएँ 

  • प्रथम अवस्था-यह किसी भी वायरस की प्रारंभिक अवस्था है, जिसमें कोई व्यक्ति तब संक्रमित होता है जब वह वायरस के उद्गम स्थल पर पहुँचता है और उसके बाद वह व्यक्ति उस वायरस का वाहक बन जाता है। इसे आयातित अवस्था भी कहा जाता है।
  • द्वितीय अवस्था- इसे सामान्य रूप से स्थानीय संक्रमण के नाम से भी जानते हैं। इसमें वायरस के उद्गम स्थल से संक्रमित होने वाला व्यक्ति जब अपने परिवार या परिजनों के संपर्क में आता है तो वायरस का संक्रमण उन लोगों तक भी हो जाता है।
  • तृतीय अवस्था- इस अवस्था को सामुदायिक संक्रमण के नाम से जानते हैं। यह एक खतरनाक अवस्था है क्योंकि, इसमें संक्रमण स्थानीय स्तर पर संक्रमित हुए किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या वस्तु से किसी व्यक्ति में श्रृंखलाबद्ध रूप में तेजी से फैलता है। इस अवस्था में संक्रमित होने वाले व्यक्ति को संक्रमण के स्रोत के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। स्रोत के बारे में कोई जानकारी न होने पर इसे ट्रेस (चिन्हित) कर पाना असंभव हो जाता है। संक्रमण के प्रसार की दृष्टि से यह अवस्था अत्यधिक हानिकारक होती है। इस समय भारत तृतीय अवस्था के प्रवेश द्वार पर खड़ा है।
  • चतुर्थ अवस्था- यह संक्रमण की अंतिम अवस्था होती है, जिसे महामारी के नाम से जाना जाता है। इसमें संक्रमण से प्रभावित व्यक्तियों की बड़े पैमाने पर मृत्यु हो जाती है। चीन, इटली, स्पेन, फ्रांस संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान तृतीय अवस्था को पार कर चतुर्थ अवस्था में पहुँच गए हैं।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद

  • वर्ष 1911 में भारतीय अनुसंधान कोष संघ की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य देश में चिकित्सा अनुसंधान को प्रायोजित और समन्वित करना है।
  • स्वतंत्रता के बाद, भारतीय अनुसंधान कोष संघ की गतिविधियों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किये गए। इसे वर्ष 1949 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के नाम से पुनर्नामंकित किया गया।
  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद भारत में जैव-चिकित्सा अनुसंधान हेतु निर्माण, समन्वय और प्रोत्साहन के लिये शीर्ष संस्था है।
  • यह विश्व के सबसे पुराने आयुर्विज्ञान संस्थानों में से एक हैं। इस परिषद को भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
  • इसका मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में स्थित है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री परिषद के शासी निकाय के अध्यक्ष हैं।
  •  जैव आयुर्विज्ञान के विभिन्न विषयों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की सदस्यता में बने एक वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड द्वारा इसके वैज्ञानिक एवं तकनीकी मामलों में सहायता प्रदान की जाती है।
  • इस बोर्ड को वैज्ञानिक सलाहकार दलों, वैज्ञानिक सलाहकार समितियों, विशेषज्ञ दलों, टास्क फोर्स, संचालन समितियों, आदि द्वारा सहायता प्रदान की जाती है, जो परिषद की विभिन्न शोध गतिविधियों का मूल्यांकन करती हैं और उन पर निगरानी रखती हैं।

ICMR रिपोर्ट के आँकड़े

  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, गंभीर श्वास संक्रमण (Severe Acute Respiratory Infections-SARI) से पीड़ित कोरोना वायरस संक्रमित कुल 104 मरीजों में से 40 मरीज ऐसे पाए गए जिन्होंने न विदेश यात्रा की थी और न ही वे किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए थे।
  • ICMR ने 15 फरवरी से दो अप्रैल के बीच 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 52 जिलों में गंभीर श्वास संक्रमण से पीड़ित 5,911 मरीजों की कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर औचक जाँच की थी जिसमें यह निष्कर्ष सामने आया।
  • शोध अध्ययन में कहा गया है कि इन रोगियों के बीच सकारात्मकता दर 14 मार्च तक शून्य थी, जो 15 मार्च से 21 मार्च के बीच 106 गंभीर श्वास संक्रमण से पीड़ित रोगियों में 2 रोगी कोरोना संक्रमित मिले और यह दर बढ़कर 1.9 प्रतिशत हो गई, 22 मार्च से 28 मार्च के बीच 2877 गंभीर श्वास संक्रमण से पीड़ित रोगियों में 48 रोगी कोरोना संक्रमित मिले और यह दर 1.7 प्रतिशत पर पहुँच गई, 29 मार्च से 2 अप्रैल के बीच यह दर बढ़कर 2.6 प्रतिशत हो गई।
  • ICMR द्वारा प्रकाशित आँकड़ों में रोगियों की उम्र और लिंग के हिसाब से भी विवरण दिया गया है। पुरुष और महिलाओं में गंभीर श्वास संक्रमण से पीड़ित रोगियों में सकारात्मकता दर क्रमशः 2.3 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत थी। वहीं 50 से 59 वर्ष की आयु के लोगों में उच्चतम सकारात्मकता दर लगभग 4.9 प्रतिशत पाई गई जबकि 40 से 45 वर्ष की आयु के रोगियों में ये दर 2.9 प्रतिशत थी।
  • आँकड़ों के विशेष अध्ययन से यह भी पता चलता है कि जितना अधिक रोगियों का परीक्षण किया गया था, कोरोना से पीड़ित मरीजों की दर में भी उतनी ही वृद्धि दर्ज की गई थी।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का विचार

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में संक्रमण की तृतीय अवस्था अर्थात सामुदायिक संक्रमण फैलने की आशंका को खारिज़ कर दिया है। परंतु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि देश के कई हिस्सों में सीमित सामुदायिक संक्रमण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

सीमित सामुदायिक संक्रमण से तात्पर्य  

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों के अनुसार, सीमित सामुदायिक संक्रमण से तात्पर्य ऐसी निर्धारित सीमा से है जहाँ संक्रमण के स्रोत की जानकारी पीड़ित व्यक्ति को न हो परंतु संक्रमण का प्रसार भी निर्धारित सीमा से बाहर नहीं हुआ हो।

संक्रमण रोकने हेतु किये जा रहे प्रयास 

  • लॉकडाउन-लॉकडाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है। लॉकडाउन को एपिडमिक डीज़ीज एक्ट, 1897 के तहत लागू किया जाता है। ये अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है। इस अधिनियम का इस्तेमाल किसी विकराल समस्या के दौरान होता है।  जब केंद्र या राज्य सरकार को ये विश्वास हो जाए कि कोई गंभीर बीमारी देश या राज्य में आ चुकी है और सभी नागरिकों तक पहुँच रही है तो केंद्र व राज्य सरकार इसे आपदा के समय शासकीय रूप से लागू करती है। इसमें लोगों से घर में रहने का आह्वान और अनुरोध किया जाता है।  इसमें ज़रूरी सेवाओं के अलावा सारी सेवाएँ बंद कर दी जाती हैं। कार्यालय, दुकानें, फ़ैक्टरियाँ और परिवहन सुविधा सब बंद कर दी जाती है। जहाँ संभव हो वहाँ कर्मचारियों को घर से काम करने के लिये कहा जाता है।
  • सोशल डिस्टेंसिंग-सोशल डिस्टेंसिंग से तात्पर्य समाजिक स्तर पर उचित दूरी बनाए जाने से है। सभाओं में शामिल होने से बचना, सामजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक कार्यक्रमों के आयोजन से बचना ही सोशल डिस्टेंसिंग है। प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी प्रकार के भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर नहीं जाना चाहिये। किसी व्यक्ति से बात करते समय हमें किसी भी प्रकार से शारीरिक स्पर्श से बचना चाहिये।
  • कर्फ्यू-दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत कर्फ़्यू लगाया जाता है।  इस धारा को लागू करने के लिए ज़िला मजिस्ट्रेट एक विज्ञप्ति ज़ारी करता है। जिस स्थान पर यह धारा लगाई जाती है, वहाँ चार या उससे ज़्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति कर्फ्यू के दौरान धारा-144 का उल्लंघन करता है तो धारा-188 के तहत उसे चार महीने की क़ैद या जुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।
  • सीलिंग-देश के भीतर कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट अर्थात वे क्षेत्र जहाँ संक्रमण का एक भी मामला प्रकाश में आया है, उन स्थानों को चिन्हित कर पूरी तरह से सील किया गया है। इन स्थानों में प्रशासन द्वारा ही आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
  • आइसोलेशन-आइसोलेशन की प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब कोई व्यक्ति किसी संक्रामक बीमारी से संक्रमित हो जाता है। इस प्रक्रिया में संक्रमित व्यक्ति को अन्य गैर संक्रमित लोगों से अलग कर दिया जाता है ताकि संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में न स्थानांतरित हो पाए। विभिन्न सरकारी व निज़ी अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं, इसके साथ ही भारतीय रेलवे ने ट्रेन के कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदल दिया है।
  • क्वारंटाइन-क्वारंटाइन की प्रक्रिया तब अपनाई जाती है जब किसी समूह या समुदाय के संक्रमित होने की आशंका व्यक्त की जाती है। क्वारंटाइन का उद्देश्य संक्रमण की आशंका वाले समूह या समुदाय की निगरानी करना है। प्रत्येक राज्य के सभी जिलों में क्वारंटाइन सेंटर्स बनाए गए हैं ताकि संक्रमण की आशंका वाले व्यक्तियों को क्वारंटाइन कर चिकित्सीय निगरानी की जा सके।

चिकित्सीय उपकरण 

सरकार के द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस से बचाव हेतु व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment-PPE) उपलब्ध कराया जा रहा है। PPE सूट विभिन्न स्वास्थ्य उपकरणों का एक सेट है, जिसमें शरीर को ढँकने वाला बॉडी कवर, पैरों के लिये विशेष जूते, हाथों को सुरक्षित रखने के लिये विशेष दस्ताने और चहरे को ढँकने के लिये फेस कवर व N-95 मास्क शामिल हैं।

  • इसके साथ ही बड़ी संख्या में वेंटीलेटर और गहन चिकित्सा कक्ष (Intensive Care Unit-ICU) से संबंधित चिकित्सीय उपकरणों के निर्माण का कार्य भी चल रहा है।
  • सरकार के द्वारा बड़ी संख्या में टेस्टिंग किट को उपलब्ध कराया गया है, जिससे प्रतिदिन लगभग 15, 000 की संख्या में टेस्ट किये जा रहे हैं।
  • भारत ने स्वदेश निर्मित टेस्टिंग किट के निर्माण में सफलता प्राप्त की है। जिसके द्वारा निशुल्क रूप से अधिक संख्या में टेस्ट किये जा रहे हैं।
  • सरकार ने अल्कोहल बनाने वाली कंपनियों को अधिक संख्या में सैनेटाईज़र बनाने का निर्देश दिया है, ताकि वायरस से प्रभावित क्षेत्रों को सैनेटाईज़ किया जा सके।

आरोग्यसेतु एप- इस एप को अपने स्मार्टफोन में इन्स्टॉल करने वाला कोई व्यक्ति COVID-19 सकारात्मक व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो एप उस व्यक्ति को निर्देश भेजने के साथ ही ख्याल रखने के बारे में भी जानकारी प्रदान करेगा।


राज्य सरकार द्वारा रोकथाम का प्रयास

कोरोना वायरस की रोकथाम में केंद्र सरकार के प्रयासों के अतिरिक्त विभिन्न राज्य सरकारों ने भी निम्नलिखित मॉडल अपनाएँ हैं-

  • राजस्थान का भीलवाड़ा मॉडल- राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले में संचालित एक अस्पताल में कुछ डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी कोरोना वायरस से पीड़ित पाए गये। जिससे अस्पताल आए सभी मरीजों में संक्रमण की आशंका व्यक्त की गई। परिणामस्वरूप देश में सर्वप्रथम भीलवाड़ा ज़िले को लॉकडाउन कर कर्फ़्यू लगा दिया गया। ज़िले की सीमाओं को पूर्णतः सील कर दिया गया। ज़िला प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग की सहायता से 850 टीमें गठित कर ज़िला मुख्यालय में डोर-टू-डोर सर्वे प्रारंभ किया।

संक्रमण के केंद्र भीलवाड़ा ज़िला मुख्यालय में 3 दिन के भीतर ही लगभग 3 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई और लक्षण प्रदर्शित करने वाले लोगों को क्वारंटाइन कर दिया गया। इस सफलता के बाद 3000 से अधिक टीमें गठित कर पूरे जिलें में डोर-टू-डोर सर्वे प्रारंभ किया गया। 10 दिनों के भीतर ही 30 लाख की जनसंख्या की स्क्रीनिंग की गई। इसके साथ ही कोरोना से पीड़ित व्यक्तियों को आईसोलेशन में रखकर उनके संपर्क में आने वाले लोगों की गहन ट्रेसिंग की गई। कोरोना से पीड़ित व्यक्ति के घर के आस-पास 2 किलोमीटर के क्षेत्र को ज़ीरो मोबिलिटी जोन बना दिया गया। क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों की एप के माध्यम से निगरानी की गई।

  • दिल्ली का 5T प्लान-दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये 5T प्लान अर्थात टेस्टिंग (testing), ट्रेसिंग (tracing), ट्रीटमेंट (treatment), टीम वर्क (team work) और ट्रैकिंग व मानीटरिंग (tracking and monitoring) जैसा एक समन्वित प्लेटफार्म तैयार किया है।

Source – The Hindu, The Indian Express, Business Line, Drishti IAS

You Might Also Like

शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?

Top Current Affairs 2023: Latest News and Updates You Should Know

क्या है पॉक्सो अधिनियम (POSCO Act) और इसकी जरूरत क्यों है?

How to be successful in life: जीवन में सफलता प्राप्त करने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स

साइबर अपराध क्या है? इनसे कैसा बचा जा सकता है?

Times Darpan 2020-11-26 2020-04-12
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article SHREYAS scheme SHREYAS scheme 2020 | Benefit and Eligibility for Higher education
Next Article ‘स्ट्रैंडेड इन इंडिया’ पोर्टल ‘स्ट्रैंडेड इन इंडिया’ पोर्टल
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

बौद्ध धर्म का इतिहास क्या है? महात्मा बुद्ध से जुड़ी जानकारी
History
Optical fibre और coaxial cable क्या है, और इसमें क्या अंतर है?
Science and Tech
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार (RVP)क्या है?
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार क्या है? जाने पूरी जानकारी
Science and Tech
रेडियो वेव्स
रेडियो तरंगें क्या है? प्रक्रिया, फ्रीक्वेंसी व उपयोग
Science and Tech
ताप रसायन
ताप रसायन क्या है? ताप रसायन की जानकारी
Science and Tech

Explore the world of technology with timesdarpan.com, Our website offers a comprehensive range of web tutorials, academic tutorials, app tutorials, and much more to help you stay ahead in the digital world.

Quick Link

  • Top gadgets of 2015

Top Categories

© 2023 TimesDarpan.com. All Rights Reserved.
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?